किसानों के कल्याण और देश की प्रगति में कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है: नरेन्द्र सिंह तोमर

Narendra Singh Tomar Cabinet Minister for Farmer and Farmer Welfare laying stone for Agriculture Scientist Recruitment Board ASRB new office building on Monday, 4 November, 2019 in Pusa New Delhi
कृषि मंत्री ने कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के कार्यालय भवन का शिलान्यास किया
नयी दिल्ली। किसानों के कल्याण और देश की प्रगति में कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सोमवार, 4 नवम्बर 2019 को यहाँ स्थित पूसा कैम्पस में कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल (एएसआरबी) के नये कार्यालय के भवन का शिलान्यास करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि कृषि देश के लिए विशेष अहमियत रखती है और सरकार का उद्देश्य कृषि उत्पादन, किसानों की आमदनी और कृषि निर्यात में बढ़ोतरी सुनिश्चित कर कृषि अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए मेहनती किसानों, उनके समुचित प्रशिक्षण, गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता, बेहतर उपकरण, उर्वरकों के उचित उपयोग के लिए किसानों की जागरूकता इत्यादि अत्यंत आवश्यक है।
कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि इन सभी के साथ-साथ इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से बहुमूल्य योगदान भी अत्यंत जरूरी है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए एएसआरबी को उचित समय पर पर्याप्त संख्या में सक्षम एवं योग्य कृषि वैज्ञानिकों की उपलब्धता में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, ताकि उनकी समुचित भर्ती प्रक्रिया और पदोन्नति सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि पुनर्गठित एएसआरबी पारदर्शी एवं सुव्यवस्थित प्रक्रिया के जरिए सक्षम एवं योग्य कृषि वैज्ञानिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


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श्री तोमर ने कहा कि सरकार एसएसआरबी के विशेष महत्व से अवगत है, जिसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 1 अगस्त 2018 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय के जरिए इसे स्वायत्त निकाय का दर्जा दिया गया है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप अद्यतन भर्ती नियमों और वैज्ञानिकों की सुव्यवस्थित चयन प्रक्रिया के साथ इसका पुनर्गठन किया गया, ताकि देश भर के विभिन्न संस्थानों में वैज्ञानिकों की निर्बाध भर्ती सुनिश्चित की जा सके। एएसआरबी की शुरुआत से लेकर अब तक के 45 वर्षों में इसकी भर्ती प्रक्रिया में कई बार संशोधन किए गए हैं, वैज्ञानिकों की भर्ती में तेजी लाई गई तथा प्रशासनिक बदलाव किये गये हैं, जिससे यह पता चलता है कि सरकार कृषि अनुसंधान को कितना महत्व देती है।
चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कृषि मंत्री श्री तोमर ने अधिकारियों से आधुनिक प्रौद्योगिकी जैसी आवश्यकताओं के उपयोग को न टालने को कहा। इससे बेहतर भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित होगी, जिससे अनुसंधान और बेहतर हो पाएगा तथा कृषि क्षेत्र की बेहतरी का मार्ग प्रशस्त होगा। इससे भारत एक समृद्ध एवं मजबूत राष्ट्र बन पाएगा।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अपने 45 वर्षों के कार्यकाल में मंडल ने वैज्ञानिकों की नियुक्ति के साथ-साथ संस्थानों के निदेशक, मुख्यालय में सहायक महानिदेशकों तथा उपमहानिदेशकों के गुणवत्तापूर्ण चयन में सराहनीय कार्य किया है।



इस अवसर पर डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) एवं सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) ने नए भवन के शिलान्यास के अवसर पर इससे जुड़ी शुरुआती समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के लिए वैज्ञानिकों के चुनाव से लेकर संस्थानों के निदेशक, मुख्यालय में सहायक महानिदेशकों तथा उपमहानिदेशकों के गुणवत्तापूर्ण चयन में कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के योगदान और उसके अब तक की उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे कई बार कई पदों के लिए उनके खुद का भी चुनाव इसी मंडल के जरिए हुआ है।
डॉ. महापात्र ने एएसआरबी के प्रयासों की सराहना की, जिसने आईसीएआर तथा अन्य संस्थानों के लिए अब तक 6,000 से भी अधिक वैज्ञानिकों की भर्ती की है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि पिछले दो वर्षों से जारी विचार-विमर्श के बाद भर्ती प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने से योग्य अभ्यर्थियों के चयन में तेजी आएगी तथा कृषि वैज्ञानिकों की कोई कमी नहीं रहेगी।
महानिदेशक ने कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल की कार्य-पद्धतियों में हुए बदलाव के बारे में बताया कि कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल का उनसे अलग स्वतंत्र भवन हो जहाँ वह स्वायत संस्था के तौर पर पारदर्शिता और मजबूती से अपने कार्यों को अंजाम दे सके।
एएसआरबी के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) ए.के. मिश्रा ने कहा कि आज यदि हम खाद्यानों का निर्यात कर रहे हैं तो इसमें किसानों की मेहनत के साथ-साथ वैज्ञानिकों की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भर्ती के तहत दो प्रमुख उद्देश्यों वैज्ञानिक कौशल एवं शोध संबंधी योग्यता को ध्यान में रखते हुए समग्र आकलन सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया का डिजिटलीकरण प्रभावकारी ढंग से जारी है तथा ऑनलाइन आवेदन के लिए एक विशिष्ट प्रणाली पहले ही अमल में ला दी गई है। श्री मिश्रा ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक भर्ती प्रक्रिया को छह महीनों की अवधि में पूरा कर लिया जाएगा, जिससे भर्ती में देरी की समस्या का निराकरण हो जाएगा। प्रो. मिश्रा ने आँकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि अपने शुरुआती दौर से अब तक कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल ने कृषि-वैज्ञानिकों के चयन के साथ-साथ सफलतापूर्वक नेट अभ्यर्थियों का चयन भी किया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भारतीय वैज्ञानिकों के अलावा दूसरे देशों के वैज्ञानिकों के चयन की प्रक्रिया भी हमारे नए कार्य-प्रणाली में शामिल होगा।


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प्रो. मिश्रा ने कहा कि अगले डेढ़ से दो वर्षों में यह भवन बनकर तैयार हो जाएगा।
विवेक अग्रवाल, सचिव, कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूप-रेखा के बारे में बताया और यह जानकारी दी कि भारत सरकार द्वारा कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल को 01, अगस्त 2018 से स्वायत संस्था के तौर पर मान्यता दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर कृषि-क्षेत्र के लिए कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि 2.5 एकड़ में निॢमत होने जा रही यह भवन गृह 5 स्टार रेटिंग के अनुकूल होगी।
मंच पर कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल के सदस्य पी. के. चक्रवर्ती और के.के. सिंह भी उपस्थित रहे। ए.के. श्रीवास्तव, सदस्य, कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल ने गणमान्य अतिथियों को आभार प्रस्तुत किया।
इस समारोह में भा.कृ.अनु.प. मुख्यालय के सहायक महानिदेशक, उप महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प.-संस्थानों के निदेशक और अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।


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ऐसा होगा नया भवन
प्रस्तावित भवन 2.05 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा, जिसमें भूतल के अलावा तीन तल होंगे। इसका निॢमत क्षेत्र (बिल्ट-अप एरिया) 4,900 वर्गमीटर तथा हरित क्षेत्र 2,730 वर्गमीटर होगा। नये निर्माण के लिए निर्दिष्ट पर्यावरण अनुकूल एवं ऊर्जा बचत उपायों पर दिए जा रहे विशेष जोर को ध्यान में रखते हुए इस भवन को हरित इमारतों से जुड़ी गृह-5 स्टार रेटिंग के अनुरूप बनाया जाएगा। इस भवन की डिजाइनिंग कुछ इस तरह से की गई है कि यहाँ पर अत्यधिक प्राकृतिक रोशनी संभव हो पाएगी, जिससे ऊर्जा की आवश्यकता स्वत: ही कम हो जाएगी। ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति सोलर पैनलों के जरिए की जाएगी और इसके साथ ही वर्षा जल के संचयन तथा अपशिष्ट में कमी की व्यवस्था की गई है। समूचे अग्रभाग को इस तरह से ताप-रोधी किया जाएगा, जिससे भवन के अंदर सूरज की गर्मी अपेक्षाकृत कम मात्रा में जाएगी। इसी तरह अपेक्षाकृत कम ताप सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी की सामान्य ईंटों के बजाय एएसी विकासखण्डों का उपयोग किया जाएगा। भवन के अंदर मौजूद हवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कम वीओसी वाले पेंट और पॉलिश का उपयोग किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि औपचारिक रूप से ठेका देने के बाद 18 महीनों के भीतर इस परियोजना को सौंपने का काम पूरा हो जाएगा।
कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल (एएसआरबी)
कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल (एएसआरबी) का गठन आरंभ में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की एक स्वतंत्र भर्ती एजेंसी के रूप में 1 नवम्बर, 1973 को आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में उसकी अनुमति से किया गया था। आईसीएआर के तहत सभी वैज्ञानिक पदों पर भर्ती करने के मुख्य उद्देश्य से इसका गठन किया गया था, क्योंकि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) इस आधार पर आईसीएआर के पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के पक्ष में नहीं था कि यह कोई सरकारी संगठन नहीं, बल्कि समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक पंजीकृत समिति थी।
अब इस मंडल को एक स्वतंत्र दर्जा तथा कामकाज में स्वायत्तता प्रदान करने के उद्देश्य से मंत्रिमण्डल ने 1 अगस्त, 2018 को अपनी बैठक में एएसआरबी को आईसीएआर से अलग करने और इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीनस्थ कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) से सम्बद्ध करने को अनुमति दे दी। कामकाज में स्वायत्तता, गोपनीयता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए मंत्रिमण्डल ने अन्य बातों के अलावा इस बात की अनुमति दे दी है कि कर्मचारियों की पोस्टिंग के मौजूदा प्रावधान को आईसीएआर के मुख्यालय से अलग करते हुए इस चयन मंडल के सचिवालय में प्रशासनिक कर्मचारियों का अपना कैडर सुनिश्चित किया जाएगा और इसे स्वतंत्र प्रशासनिक नियंत्रण प्राप्त होगा। इस निकाय मंडल के सचिव के पद का अद्यतन कर इसे भारत सरकार के संयुक्त सचिव के स्तर का कर दिया गया है।  
पुनर्गठित चयन मंडल में एक अध्यक्ष, तीन सदस्य और सचिव होंगे। एएसआरबी के मुख्य कार्यों में एआरएस/नेट परीक्षा आयोजित करना, सभी वरिष्ठ वैज्ञानिक पदों के लिए सीधी भर्ती (लैटरल एंट्री) चयन करना और वैज्ञानिक कैडर के लिए करियर संवर्धन योजना (सीएएस) के मामलों पर विचार करना शामिल हैं। यह चयन मंडल प्रशासनिक एवं तकनीकी कैडरों में ग्रुप 'ए' पदों पर भर्ती के लिए भी परीक्षा आयोजित करता है।