नयी दिल्ली। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हरियाणा के पानीपत में पेट्रोलियम ईंधन के रूप में बायोमास एथेनॉल का संयंत्र लगाने की इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) को अनुमति दे दी है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार, 10 नवम्बर 2019 को यह जानकारी दी।
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि पर्यावरण हितैषी ईंधन के रूप में एथनॉल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये मंत्रालय ने इस परियोजना को अनुमति दी है। इसके तहत आईओसीएल को दूसरी पीढ़ी के बायोमास आधारित ईंधन 2जी एथेनॉल के संयंत्र को लगाने की आईओसीएल को मंत्रालय ने पर्यावरण अनुमति दी है।
प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीटर पर भी कहा, ''यह जानकारी देते हुये खुशी है कि आईओसीएल को पानीपत में नये 2जी एथेनॉल संयंत्र स्थापित करने की पर्यावरण अनुमति दी गयी है।'' उन्होंने कहा कि इस परियोजना से न सिर्फ पर्यावरण हितैषी ईंधन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि आईओसीएल ने 100 किलोलीटर प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाले 2जी एथेनॉल संयंत्र से पर्यावरण पर पडऩे वाले संभावित असर की आंकलन रिपोर्ट इस साल जून में मंत्रालय के समक्ष पेश करते हुये इसकी स्थापना के लिये अनुमति का आवेदन किया था।
पेट्रोलियम उत्पादों की देश की सबसे बड़ी खुदरा कारोबारी कंपनी आईओसीएल ने हरियाणा के पानीपत जिले के बहोली में अपने प्रस्तावित 100 केएलपीडी लिग्नो-सेलुलोसिक 2-जी इथेनॉल प्लांट के लिए पर्यावरणीय संबंधी स्वीकृति अनुमति की माँग की थी। संयंत्र स्थापित करने में 766 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है।
इसमें बायोमास आधारित ईंधन के रूप में एथेनॉल के उत्पादन के लिये धान और अन्य कृषि उत्पादों की पराली का उपयोग किया जायेगा। संयंत्र में 100 किलोलीटर एथेनॉल के उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रतिदिन 473 टन पराली की आवश्यकता होगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने आयात निर्भरता को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इथेनॉल के उत्पादन और उपयोग को एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में चिन्ह्ति किया है। इस उत्पादित इथेनॉल का उपयोग परिवहन ईंधन में मिश्रण के लिए किया जाएगा।
यह भी बताना प्रासंगिक है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि बी-हैवी शीरा से अतिरिक्त इथेनॉल के उत्पादन के लिए अलग से पर्यावरणीय संबंधी स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह प्रदूषण में नहीं बढ़ाता है। साथ ही, किसानों और चीनी उद्योग को इससे अधिक लाभ मिलता है।
इंडियन ऑयल को पानीपत में बायोमास एथेनॉल संयंत्र लगाने की अनुमति मिली