उत्तर प्रदेश के 51 सहकारी बैंकों के विलय का प्रारूप तैयार
लखनऊ, रविवार, 8 सितंबर 2019। उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक लिमिटेड तथा 50 जिला सहकारी बैंकों के विलय का मसौदा तैयार कर लिया गया है। दो सितंबर को एकेडेमिक टेक्निकल समिति के सदस्यों के बीच विलय के बिंदुओं पर सहमति बन गई है। जल्द ही यह मसौदा सरकार के पास भेजा जाएगा।
आईआईएम के प्रोफेसर विकास श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बनी एकेडेमिक टेक्निकल समिति की दो सितंबर को संपन्न बैठक में प्रमुख सचिव सहकारिता एम.वी.एस. रामीरेड्डी, आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता एस.बी.एस. रंगाराव, अपर आयुक्त एवं अपर निबंधक (बैंकिंग) आंद्रा वामसी के साथ ही समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे। समिति ने विलय किए जाने वाले सभी सहकारी बैंकों की बैलेंस सीट पर गहन मंथन किया। विलय के बाद नये बैंक का स्वरूप क्या होगा, इसकी रूपरेखा भी तय की गई है।
करीब 3,000 करोड़ घाटे में हैं सहकारी बैंक
51 बैंकों का विलय कर एक नया सहकारी बैंक बनाने की राह में सबसे बड़ी बाधा इन बैंकों का करीब 3,000 करोड़ रुपये का घाटा है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने इस घाटे की भरपाई का भरोसा दिया है। विलय के मसौदे का अध्ययन शासन स्तर पर प्रमुख सचिव सहकारिता कर रहे हैं। इनकी संस्तुति के पश्चात मसौदा सरकार के पास विचार के लिए भेजा जाएगा।
सरकार की सहमति बनने पर नाबार्ड और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सहमति ली जाएगी। इस प्रक्रिया के पश्चात विलय पर अंतिम मुहर लग सकेगी। इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लग सकता है।
विलय के बाद नया बैंक 1,200 शाखाओं वाला होगा
विलय के बाद में उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक और 50 जिला सहकारी बैंकों की करीब 1,200 शाखाएं एक छतरी के नीचे आ जाएंगी। उ.प्र. सहकारी बैंक की प्रदेश में कुल 27 शाखाएं हैं। वहीं करीब 1,175 शाखाएं जिला सहकारी बैंकों की हैं। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय करीब 7,500 प्रारंभिक समितियाँ (पैक्स) इस नये बैंक के एक्सटेंशन काउंटर का काम करेंगे। सभी सहकारी बैंकों के साथ ही पैक्स के कंप्यूटरीकरण का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है।
उत्तर प्रदेश के 51 सहकारी बैंकों के विलय का प्रारूप तैयार