प्रधानमंत्री करेंगे पशुओं की बीमारियों से निपटने की 13,500 करोड़ रुपये की योजना की शुरुआत: गिरिराज सिंह

Minister of Animal Husbandry, Dairy and Fisheries of India Shandilya Giriraj Singh with State Minister Sanjeev Balyan 4 September 2019 in New Delhi


प्रधानमंत्री करेंगे पशुओं की बीमारियों से निपटने की 13,500 करोड़ रुपये की योजना की शुरुआत: गिरिराज सिंह
नई दिल्ली, बुधवार, 4 सितंबर 2019। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह देश में पशुओं को होने वाली बीमारी के नियंत्रण के लिये 13,500 करोड़ रुपये की बड़ी योजना की शुरुआत करेंगे। इस योजना की शुरुआत मथुरा जिले से होगी। इसमें विशेष रूप से पशुओं की खुरपका-मुंहपका बीमारी (एफएमडी) तथा 'ब्रूसेलोसिस' बीमारी को नियंत्रित किया जा सके। ब्रूसेलोसिस, मवेशियों की एक गंभीर संक्रमणकारी बीमारी है जिसके बाद उनका दूध काफी कम हो जाता है। यह जानकारी मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने दी।
श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री 11 सितंबर को मथुरा से इस कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि 13,500 करोड़ रुपये की टीकाकरण योजना की मदद से अगले पाँच साल में पशुओं को खुरपका मुंहपका और ब्रूसेलोसिस बीमारी से मुक्ति दिला दी जायेगी। मंत्री ने कहा कि दूध उत्पादों तथा क्षेत्र से होने वाले अन्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इन बीमारियों को समाप्त करने की जरूरत है। नरेन्द्र मोदी सरकार के इस साल मई में फिर से सत्ता संभालने के बाद अपनी पहली बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले पाँच वर्षो में विशेषकर खुरपका, मुंहपका तथा 'ब्रूसेलोसिस' जैसे मवेशियों की बीमारी को नियंत्रित करने की योजना पर आने वाली 13,343 करोड़ रुपये की पूरी लागत को वहन करने का निर्णय किया था। इससे पहले, केंद्र और राज्य सरकारें इस कोष के लिए 60:40 के अनुपात में धन का योगदान करती थीं।
उन्होंने कहा कि खुरपका-मुंहपका और ब्रूसेलोसिस की बीमारी- गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर जैसे पशुधन में आम बात है। योजना के तहत 30 करोड़ गोजातीय (गाय-बैल और भैंस) और 20 करोड़ भेड़/ बकरी और अन्य के टीकाकरण किये जाने की परिकल्पना है। सरकार ने कहा कि अगर कोई गाय या भैंस खुरपका और मुंहपका बीमारी से संक्रमित हो जाती है, तो दूध का नुकसान 100 प्रतिशत तक हो जाता है जो चार से छह महीने तक रह सकता है। ब्रूसेलोसिस के मामले में, पशु के पूरे जीवन चक्र के दौरान दूध का उत्पादन 30 प्रतिशत कम हो जाता है और पशुओं में बांझपन का कारण बनता है। ब्रूसेलोसिस का संक्रमण खेत श्रमिकों और पशुधन मालिकों को भी हो सकता है।