किसान मंडियों के बाहर देश में कहीं भी अपनी कृषि उपज बेचने के लिए स्वतंत्र: कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर

Union Minister of Agriculture, Farmers Welfare, Rural Development and Panchayati Raj


किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में केन्द्र सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिए
नयी दिल्ली। किसान मंडियों के बाहर देश में कहीं भी अपनी कृषि उपज बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बुधवार, 3 जून 2020 को यहाँ संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। इस अवसर पर पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी उपस्थित रहे।
नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि आज आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन  तथा कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 एवं मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020। यह तीनों कृषि क्षेत्र के ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय है कि यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की आज का दिन एक ऐतिहासिक दिन है।
उन्होंने कहा कि जब इस बात की घोषणा हुई थी, तब कई जानकार लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए थे, तो उसमें कुछ लोगों ने यह भी कहा कि देश तो 1947 में आजाद हुआ लेकिन किसानों को आजादी अब इस अध्यादेश के माध्यम से मिलने जा रही है। इतना बड़ा महत्व इस अध्यादेश का है। इस अध्यादेश के माध्यम से सरकार की यह कोशिश है कि किसान पर जो अपने उत्पादन को बेचने के लिए प्रतिबंध लगे थे, उन प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि मंडियाँ रहेंगी, राज्य का एपीएमसी एक्ट रहेगा। लेकिन एपीएमसी की परिधि के बाहर जो सारा क्षेत्र है। चाहे वह किसान का घर ही क्यों ना हो, उस घर में जाकर भी कोई कंपनी, संस्था, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ), सहकारिता क्षेत्र का समूह, कोई भी जाकर उसको उत्पादन का उचित मूल्य देकर वहाँ से माल खरीदेगा। मंडी की परिधि के बाहर पूरा व्यापार क्षेत्र होगा जहाँ पर व्यापार हो सकेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि इस खरीद और बिक्री पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स (कर) किसी सरकार का नहीं होगा। कानूनी बंधन किसी भी प्रकार का नहीं होगा। इससे निश्चित रूप से किसानों को एक तो अपने उत्पादन को कहाँ बेचना, किसे बेचना, किस दाम पर बेचना इसकी स्वतंत्रता और आजादी मिलेगी।
श्री तोमर ने कहा कि आमतौर पर एक मंडी में ज्यादा से ज्यादा 25 से 30 लायसेंसी व्यापारी होते हैं। जब ये खुलाव आ जाएगा तो इसमें कीमतों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। 30 की जगह 300 लोग आएंगे और जितनी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी वह निश्चित रूप से किसान के लिए फायदेमंद होगी। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि बहुत सारी कानूनी अड़चनें ना हों। किसी प्रकार का इंस्पेक्टर राज ना आए। मंडी से बाहर निकलेंगे प्रतिबंधों से फिर कोई दूसरा इंस्पेक्टर आ गया, तो इससे भी बचाव रखा गया है। इसलिए किसी के पास अगर पैन कार्ड है तो वह भी व्यक्ति खरीद कर सकता है। एफपीओ खरीद कर सकते हैं, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ आदि भी खरीद कर सकती हैं। लेकिन पैन कार्ड अगर होगा तो निश्चित रूप से वो लोग खरीद कर सकते हैं।
दूसरा, कोई भी व्यक्ति ई-प्लेटफार्म बना सकता है। यह ई-प्लेटफार्म बनाने के लिए कोई भी व्यक्ति स्वतंत्र है लेकिन उसके नियम केंद्र सरकार बनाएगी और उसका हिसाब किताब भी केंद्र सरकार रखेगी और अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म की किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी और गड़बड़ करेगा तो उसको सुनवाई करना और उसको दंडित करना और उसको व्यापार से बाहर करना, यह निर्णय निश्चित रूप से केंद्र सरकार करेगी।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि उत्पादों के इस प्रकार के व्यवसाय पर कोई भी शुल्क देय नहीं होगा। यदि व्यापारी और किसान के बीच में कोई विवाद की स्थिति बनती है सामान्य तौर पर हम लोगों ने यह प्रावधान किया है कि किसान को तुरंत भुगतान किया जाए, लेकिन अगर किसी स्थान पर प्रक्रिया में कोई देर लगने वाली है, मान लीजिए व्यापारी ने चेक दिया और आज शुक्रवार का दिन है तो शनिवार और रविवार बैंक बंद रहेगी तो उसका भुगतान सोमवार को ही मिलेगा। तो ऐसी परिस्थितियों में केन्द्र सरकार ने कहा है कि तत्काल अथवा तीन दिन। तीन दिन में उसको भुगतान करना ही होगी। लेकिन जिस समय उत्पाद की डिलीवरी होगी तो खरीददार व्यक्ति को उसको रसीद देना पड़ेगी कि आपका इस ग्रेड का इतना माल मैंने प्राप्त किया, इसका इतना रुपया बनता है यह आपको परसों दिया जाएगा। यह रसीद उसको हाल के हाल देना होगी।
श्री तोमर ने बताया कि यदि कोई विवाद की स्थिति बनेगी तो ऐसी स्थिति में हम लोगों ने इसको न्यायालय से बाहर रखा है। पहली जो शिकायत है वह एसडीएम के पास जाएगी। एसडीएम सुलह कराने के लिए कुछ लोगों को नियुक्त करेगा। अगर सुलह नहीं होगी तो एसडीएम सुनवाई करेगा। 30 दिन के भीतर उसे निर्णय करना पड़ेगा और अगर एसडीएम के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो कलेक्टर के पास अपील हो सकेगी और कलेक्टर उसमें सुनवाई करेगा और निर्णय देगा।
इस प्रकार से किसान को निश्चित रूप से इस मामले में पूरी सुरक्षा देने का काम हम लोगों ने किया है। इससे किसानों को कृषि उत्पाद के विक्रय में स्वतंत्रता मिलेगी। लाइसेंस राज से किसान मुक्त हो जाएंगे। इलेक्ट्रॉनिक व्यापार के लिए सुविधाजनक ढाँचा मिलेगा। परिवहन लागत कम होगी। आय में वृद्धि होगी। किसान अपना उत्पाद मंडी में ले जाने की बाध्यता से मुक्त हो सकेगा। आपूर्ति शृंखला मजबूत होगी। कृषि के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। और एक देश, एक बाजार यह सुनिश्चित करने में यह अध्यादेश निश्चित रूप से अपनी सार्थक भूमिका का निर्वहन करेगा।