छिंदवाड़ा। किसान और गाँव आत्मनिर्भर होंगे तो देश आत्मनिर्भर होगा। पुरातन काल में हमारी कृषि और हमारे गाँव स्वाभाविक रूप से आत्मनिर्भर हुआ करते थे। हमारी आवश्यकता की सारी चीजें गाँव में हुआ करती थीं। गाँव में ही सारी चीजों का समाधान होता था। गाँव के उत्पाद हमें स्वाभाविक रूप से आत्मनिर्भर बनाते थे। वर्तमान समय में हमें उसी भाव को जागृत करना है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा मध्यप्रदेश की जिला छिंदवाड़ा इकाई द्वारा रविवार, 14 जून 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किसान संगोष्ठी में इस आशय के विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी जिला छिंदवाड़ा के जिलाध्यक्ष बंटी साहू, भाजपा किसान मोर्चा मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रावत, भाजपा किसान मोर्चा जिला छिंदवाड़ा के जिलाध्यक्ष संजय सक्सेना, भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी संदीप श्रीवास्तव, भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कार्यालय मंत्री पदम सिंह ठाकुर सहित जिला छिंदवाड़ा के कई किसान उपस्थित रहे।
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि गाँव अपने स्थानीय उत्पादों का उपयोग करें। लोकल को वोकल बनाएं, अर्थात् गुणवत्तायुक्त स्थानीय उत्पादों की लोगों के बीच चर्चा करें। उन्हें दूसरों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करें। स्थानीय उत्पादों का विपणन करें। स्थानीय उत्पादों की ब्राडिंग करें। ऐसा करने से गाँव के उत्पादों की माँग बढ़ेगी। गाँव के लोगों की आमदनी बढ़ेगी। गाँव में रोजगार बढ़ेगा, बेरोजगारी हटेगी।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लिया है। किसान और गाँव आत्मनिर्भर होंगे तो देश आत्मनिर्भर होगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। जिसमें से एक लाख करोड़ रुपये कृषि अधोसंरचना निर्माण के लिए हैं। मत्स्यपालन के लिए 20 हजार करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 15 हजार करोड़ रुपये, छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये, औषधीय खेती के लिए 4 हजार करोड़ रुपये, मधुमक्खीपालन के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि देश में 80 प्रतिशत किसान लघु और सीमांत किसान हैं। यह किसान जब खेती करते हैं तो खेती की लागत बढ़ती है। कम जोत में सीमित उपज की पैदावार होती है, जिसे कई बार न चाहते हुए भी औने-पौने दामों पर बेचने के लिए विवश होना पड़ता है। अपने परिश्रम और उद्यम के अनुरूप किसान को जितना आर्थिक लाभ मिलना चाहिए था वो उसे मिल नहीं पाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (फारमर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन्स- एफ.पी.ओ.) गठित करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत मैदानी क्षेत्रों में 300 कम जोत वाले किसानों और पहाड़ी क्षेत्र में 100 कम जोत वाले किसानों को इक_ा करके सामूहिक खेती करने के लिए तैयार किया जाएगा। एफ.पी.ओ. का गठन कंपनी या सहकारिता अधिनियम के तहत किया जा सकता है। जब कम जोत वाले किसान मिलकर सामूहिक निर्णय के अनुसार किसी एक फसल की, एक प्रजाति की खेती करेंगे तो एक बड़े क्लस्टर या क्षेत्र में अधिक उत्पादन होने से व्यापारी या बड़ी कंपनियाँ उस उपज को खरीदने में अधिक रुचि दिखलाएंगी और वह एफ.पी.ओ. मुँहमाँगे दामों पर अपनी उपज को जहाँ चाहे और जिसे चाहे विक्रय कर सकेगा। इसका बड़ा लाभ उस एफ.पी.ओ. से जुड़े सभी किसानों को मिलेगा। बड़े क्षेत्र के लिए आवश्यक सभी कृषि आदान एफ.पी.ओ. को थोक भाव से मिल जाने से किसानों की कृषि लागत में भी कमी आएगी। इस तरह से कम जोत वाले किसानों की माली हालत सुधरेगी। उनके जीवन में समृद्धि आएगी।
श्री तोमर ने कहा कि केन्द्र सरकार एफ.पी.ओ. गठन के लिए 15 लाख रुपये और उसे अच्छी तरह से चलाने के लिए सक्षम एजेंसी को 25 लाख रुपये की सहायता देगी। एजेंसी का काम एफ.पी.ओ. को तकनीकी मार्गदर्शन देना, प्रशिक्षण देना तथा परिचालन में सहायता करना है। उन्होंने कहा कि एफ.पी.ओ. भविष्य में चाहे तो अपनी उपज को रोककर बाजार में अधिक भाव मिलने पर बेचने के लिए भण्डारगृह का निर्माण कर सकते हैं। आगे चलकर उपज का वेल्यू एडिशन अर्थात् मूल्य संवर्धन करने के लिए खुद की खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित कर सकते हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने भाजपा किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे एफ.पी.ओ. गठन के उद्देश्यों और उसकी प्रक्रिया को समझते हुए अपने-अपने क्षेत्र में किसानों को जोड़कर अधिक से अधिक संख्या में एफ.पी.ओ. का गठन करें। उन्होंने कहा कि किसान मोर्चा सीधे किसानों के बीच जाकर काम कर रहा है। उनसे जुड़कर काम कर रहा है। मोर्चा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता किसान ही हैं, इसलिए एफ.पी.ओ. के गठन में निश्चित रूप से किसान मोर्चा एक बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकता है।
नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 3 जून 2020 को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में तीन महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक निर्णय लिए गए, जो देश के किसानों की मदद करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने में भी काफी मददगार साबित होंगे। इनमें से एक निर्णय कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को अनुमति प्रदान करना है। अध्यादेश के लागू हो जाने से किसानों को मण्डी क्षेत्र के बाहर अपनी सुविधा के हिसाब से कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने की आजादी होगी। इससे किसानों को अधिक विकल्प मिलेंगे। बाजार की लागत कम होगी और उन्हें अपने उपज की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इस पर उन्हें राज्य व केन्द्र सरकार किसी को भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
दूसरा, 'मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020' है जिसमें किसान, खेत में बोई गयी फसल की उपज आने से पूर्व खरीदी के लिए कृषि व्यवसाय संस्थाओं, प्रसंस्करणकर्ताओं, थोक व्यापारियों, निर्यातकों आदि से अनुबंध या करार कर सकता है। इसमें किसानों की भूमि किसानों के पास ही सुरक्षित रहेगी। अनुबंधित संस्था, अनुबंधित दर पर किसानों से उपज की खरीदी करेगी। यदि अनुबंधित दर से बाजार भाव अधिक है तब किसान को बढ़ी हुई कीमत में बोनस या हिस्सेदारी के रूप में अतिरिक्त लाभ मिल सकेगा।
कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना स्वैच्छिक कर दी गई है। उन्होंने कहा कि हमें बीमा योजना के व्यवहार को समझना होगा। बीमा, सुरक्षा कवच है जिसका लाभ प्रतिकूल परिस्थितियों में मिलता है। बीमा राशि जमा करने का तात्पर्य यह नहीं है कि हमें बीमा योजना का फायदा मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान मोर्चा को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में किसानों को जागरूक करते हुए यह समझाना चाहिए कि फसल बीमा के रूप में किसान सुरक्षा कवच का उपयोग करें। श्री तोमर ने बताया कि विगत दो वर्षों में किसानों ने 13 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा किया, जिसके बदले में 64 हजार करोड़ रुपये की फसल क्षतिपूर्ति किसानों को की गई है।
श्री तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में 24 फरवरी, 2019 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-केएसएन) योजना का शुभारंभ किया था। योजना के अंतर्गत लघु एवं सीमांत किसानों के खातों में प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये की आय सहायता राशि 2 हजार रुपये की तीन किश्तों में हर चार माह के अंतराल से केन्द्र सरकार द्वारा जमा करायी जाती है। योजना से 12.5 करोड़ लघु और सीमांत किसान लाभान्वित होने वाले थे। अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री ने मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में इस योजना का विस्तार सभी किसानों के लिए किया। योजना में संशोधन के बाद 2 करोड़ और किसानों को लाभ होगा, जिसके बाद लाभार्थियों की संख्या बढ़कर कुल 14.50 करोड़ हो जाएगी। आम बजट 2019-20 में इस योजना के लिए 75 हजार करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया। श्री तोमर ने बताया कि पीएम-किसान योजना के तहत अब तक 9.39 करोड़ किसानों को लगभग 72 हजार करोड़ रुपये उनके खाते में जमा करा दिए गए हैं। 24 मार्च 2020 से लेकर 27 मई 2020 तक की लॉकडॉउन अवधि के दौरान पीएम-किसान योजना के तहत लगभग 9.67 करोड़ किसानों को 19,350.84 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि 3 जून की स्थिति में 1.70 लाख करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत लगभग 42 करोड़ गरीब परिवारों को 53,248 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली। इसके तहत पीएम-किसान की पहली किश्त के रूप में 8.19 करोड़ किसानों को 16,394 करोड़ रुपये उनके खाते में डाले गए। पहली किश्त के रूप में 20.05 करोड़ महिला जन-धन खाताधारकों के खातों में 10,029 करोड़ रुपये डाले गए। दूसरी किश्त के रूप में 20.62 करोड़ खाताधारकों के खाते में 10,315 करोड़ रुपये डाले गए। 2.81 करोड़ वृद्ध व्यक्तियों, विधवाओं और दिव्यांगों को दो किश्तों में 2,814.5 करोड़ रुपये हस्तान्तरित किए गए। 2.3 करोड़ भवन और निर्माण श्रमिकों को कुल 4,312.82 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत बुक हुए 9.25 करोड़ सिलैंडरों में से 8.58 करोड़ लाभार्थियों को नि:शुल्क गैस सिलैंडर वितरित किए गए हैं।
श्री तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 3 जून तक 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा 101 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उठाया गया है। 3 जून तक लगभग 5.06 लाख मीट्रिक टन दालें राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में भेजी गई हैं। इसमें से 1.91 लाख मीट्रिक टन दालें 19.40 करोड़ लाभार्थियों में से 17.90 करोड़ लाभार्थियों के बीच वितरित की गई हैं।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत एक लाख एक हजार पाँच सौ करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक आवंटन किया गया है। पूर्व में यह राशि 61,500 करोड़ रुपये थी। लेकिन कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुए संकट के दौरान रोजगार प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इस कार्यक्रम के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की राशि का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 31,493 करोड़ रुपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है जो चालू वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान के 50 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने कहा कि मनरेगा सबसे बड़ी रोजगार सृजन योजनाओं में से एक है जो ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार प्रदान करती है। इस कार्यक्रम के तहत 261 स्वीकृति योग्य कार्य हैं, जिनमें से 164 प्रकार के कार्य कृषि और संबद्ध गतिविधियों से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में मनरेगा अनुसूची-1 में संशोधन किया गया था जिसके तहत कम से कम 60 प्रतिशत व्यय कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों पर करना अनिवार्य किया गया। इसमें से भी लगभग 75 प्रतिशत कार्य जल सुरक्षा एवं जल संरक्षण पर किया जाना तय किया गया है। 8 जून की स्थिति में 60.80 करोड़ श्रम दिवसों का सृजन किया गया है और 6.69 करोड़ व्यक्तियों को कार्य प्रदान किया गया है। मई 2020 में औसतन 2.51 करोड़ व्यक्तियों को प्रतिदिन कार्य दिया गया जो कि गत वर्ष मई में प्रदान किए गए कार्य से 73 प्रतिशत अधिक है। मई 2019 में 1.45 करोड़ व्यक्तियों को प्रतिदिन कार्य दिया गया था। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत 1 अप्रैल, 2020 से मजदूरी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री तोमर ने बताया कि वर्ष 2019 में अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मतिथि 25 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल जल योजना और जल जीवन मिशन प्रारंभ किया है। अटल जल योजना उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देगी जहाँ भूजल (ग्राउंडवॉटर) बहुत नीचे है। अटल जल योजना से 7 राज्यों के 78 जिलों में 8,300 से अधिक ग्राम पंचायतों में भूजल स्तर को ऊपर बढ़ाने का काम किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन है, जो वर्ष 2024 तक हर घर तक पाइप से जल पहुँचाने का काम करेगा। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 वर्षों बाद भी 18 करोड़ ग्रामीण घरों में से सिर्फ 3 करोड़ घरों में ही नल से जल पहुँचता है। केन्द्र सरकार अगले 5 साल में 15 करोड़ घरों तक पीने का साफ पानी, पाइप से पहुँचायेगी जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेंगी। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन का अभियान सिर्फ हर घर तक स्वच्छ जल पहुँचाने से नहीं जुड़ा हुआ है। हमारी माँ-बहिनों को घर से दूर जाकर पानी न लाना पड़े, उनकी गरिमा का सम्मान हो, उनकी जिंदगी आसान बने, इस मिशन का यह भी लक्ष्य है।
श्री तोमर ने बताया कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में लायी गई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के घटक 'प्रति बूँद अधिक फसल' के तहत पिछले पाँच वर्षों (2015-16 से 2019-20 तक) के दौरान 46.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया है। गरीबों को चिकित्सा सुविधा का लाभ दिलाने के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत एक करोड़ से अधिक लोगों को लाभ पहुँचाया है।
किसान संगोष्ठी को भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रावत ने भी संबोधित किया। श्री रावत ने कहा कि विगत 6 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने ऐसे अभूतपूर्व और ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, जिनके पूरा होने की आस देश की जनता को वर्षों से थी। सशक्त, सक्षम और दृढ़ संकल्पित सरकार ने यह कर दिखाया।
0भाजपा किसान मोर्चा जिला छिंदवाड़ा के जिलाध्यक्ष संजय सक्सेना ने स्वागत भाषण दिया।