टिड्डी दल से रहें सतर्क

Locust Tiddiटिड्डी दल किसानों के सबसे प्राचीन शत्रु हैं। वे मध्यम से बड़े आकार के टिड्डे होते हैं। जब वे अकेले होते हैं तब वे साधारण टिड्डों की तरह व्यवहार करते हैं, तब उन्हें एकाकी अवस्था में जाना जाता है। भीड़-भाड़ की सामूहिक स्थितियों में वे साथ-साथ समूह बनाकर रहते हैं और चिरस्थायी तथा सम्बद्ध वयस्क टिड्डियों का झुंड बनाते हैं। यह तब होता है जब वह यूथचारी रूप में रहते हुए समूहशीलता या सामूहिक जीवन की अवस्था में पाए जाते हैं।
इसके बाद वाली अवस्था में वे फसलों और अन्य पेड़़-पौधों, वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुँचाते हैं।
टिड्डी दलों की तलाश करो:- टिड्डियों का झुण्ड दिन के दौरान उड़ता रहता है और शाम होने पर पेड़़ों पर, झाडिय़ों में, फसलों इत्यादि में बसेरा करता है और वहाँ रात गुजारता है। अत: टिड्डियों के दलों की तलाश के सिलसिले में खासतौर से इन स्थानों की जाँच की जानी चाहिये। फिर वे सुबह होने पर सूरज उगने के बाद अपने बसेरे के स्थान से उठकर उडऩा शुरू कर देते हैं। 
टिड्डी दलों की पहचान:- अपरिपक्व वयस्क टिड्डी दल गुलाबी रंग के होते हैं और धीरे-धीरे वे धुंधले सलेटी अथवा भूरापन लिए हुए लाल रंग के हो जाते हैं। परिपक्वता की स्थिति में पहुँचने पर वे पीले हो जाते हैं।
शिशु टिड्डी झुण्ड के रूप में चलते हैं। पीली अथवा नारंगी शरीर-पृष्टिका लिए हुए उनकी आकृति गहरी काली होती है।
आने वाले टिड्डी दल दो रंग के होते हैं- गुलाबी और पीला। पीले रंग की टिड्डी ही अण्डे देने में सक्षम होती है। इसलिए पीले रंग के टिड्डी दल के पड़ाव डालने पर ध्यान रखने की आवश्यकता है, क्योंकि पड़ाव डालने समय अण्डे देने शुरु कर देती हैं। अण्डे देते समय दल का पड़ाव उसी स्थान पर 3 से 4 दिन तक रहता है और दल उड़ता नहीं है। इस स्थिति का पूरा लाभ उठाना चाहिये। गुलाबी रंग की टिड्डियों के दल का पड़ाव अधिक समय नहीं होता इसलिए इनके नियंत्रण हेतु तत्परता बहुत जरुरी है।
टिड्डी का जीवन चक्र:-
टिड्डी के जीवन-चक्र की तीन अवस्थाएं होती हैं। 1. अण्डा 2. शिशु-टिड्डी और 3. वयस्क।
1. अण्डा अवस्था:- मादा टिड्डियाँ अपनी दुम जमीन में घुसाकर 6 इन्च की गहराई पर अण्डें देती हैं। ये लगभग 10 से.मी. की गहराई पर नम मिट्टी वाली भूमि में झुण्ड में अण्डे देती हैं। यूथचारी या समूहशील मादा टिड्डी दल 2-3 अण्डगुच्छे देते हैं जिनमें प्रत्येक में 60 से 80 अण्डे होते हैं। 10-12 दिन में अण्डे सेते हैं अर्थात उनमें से शिशु-टिड्डी निकलती हैं। जिस जगह अण्डे दिये गये हैं वहाँ सुराख दिखाई देते हैं जिसके मुंह पर सफेद झाग से नजर आते हैं। तापमान के अनुसार लगभग 12 से 14 दिन पश्चात अण्डों से फाके निकलते है।
2. शिशु टिड्डी अवस्था:- अण्डों से निकलने के बाद पंखहीन सफेद शिशु टिड्डी दल वनस्पतियों, पेड़़-पौधो की तलाश में जमीन की सतह पर चलने लगते हैं। इसके तुरन्त बाद वे काले रंग के हो जाते हैं और बाद में उनके शरीर की आकृति पीले रंग की विकसित होने लगती है। वयस्क होने के पहले शिशु टिड्डी दलों को पाँच उप अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। काली आकृति के साथ उम्रदार टिड्डी चमकीले पीले रंग की हो जाती है। यूथचारी या समूहशील टिड्डी 30 दिन के अन्दर वयस्क हो जाती है।
3. वयस्क टिड्डी अवस्था:- वयस्क दल काली आकृति के साथ उम्रदार टिड्डी चमकीले पीले रंग की हो जाती है। यूथचारी या समूहशील टिड्डी 30 दिन में वयस्क हो जाती हैं। वयस्क टिड्डी दल परिपक्वता की स्थिति में तभी पहुँच पाते हैं जब उन्हें प्रजनन के लिए अनुकूल स्थितियाँ मिलती हैं। सामान्यत: अण्डे देने की प्रकिया मैथुन के बाद दो दिन के अन्दर आरम्भ होती है।
टिड्डी नियंत्रण के सिलसिले में शीघ्र ही समुचित नियंत्रण उपाय करने के लिये टिड्डी दलों की खोज और उनकी पहचान से सम्बधित जानकारी समय पर मिलना आवश्यक है। टिड्डियों के दल दिन के समय सूरज की चमकीली रोशनी में तेज उड़ाका झुण्डों के रूप में उड़ते रहते हैं लेकिन शाम के समय के दौरान वे झाडिय़ों व पेड़़ों पर आराम करने के लिये नीचे उतर आते हैं और अगले दिन अपने बसेरों से उठकर उडऩा शुरू करने से पहले बसी हुई शान्त स्थिर टिड्डियों के झुण्डों की तरह वहाँ रात गुजारते हैं।
टिड्डियों की रोकथाम के सिलसिले में कारगर, असरदार और सफल नियंत्रण उपाय संचालित करने और उनकी भावी गतिविधि के बारे में भविष्यवाणी करने के लिए उनके आकार, उनके उडऩे की दिशा, रंग, घनत्व इत्यादि से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी की आवश्यकता होती है।
अ- उड़ाका टिड्डियों के झुण्ड:-
1. टिड्डियों के झुण्डों को देखने का स्थान, समय और उन्हें देखने की तारीख।
2. दिशा का नाम जिससे टिड्डी दल आते हुए/ उड़ते हुए देखे जाएं और उस दिशा का नाम जिसमें वे बढ़ते हुए/उड़ते हुए देखे जाएं।
3. टिड्डी दल का घनत्व अर्थात वे सघन हैं अथवा छितरे हुए हैं।
4. उनका रंग।
5. उनका अनुमानित आकार यानी उनकी लम्बाई और चौड़ाई।
ब. बैठा हुआ शान्त और स्थिर टिड्डी दल:-
1. देखने या पता लगने का स्थान, समय और तारीख।
2. उनका रंग।
3. दल का अनुमानित आकार।
4. फसल/ फसलों और पेड़़ पौधों के नाम जहाँ टिड्डी दल बैठा हुआ है और उसके द्वारा पहुँचाया गया अनुमानित नुकसान, यदि कोई/ कुछ हुआ हो। 
5. यदि संभोगरत देखा गया।
स. टिड्डी प्रजनन:-
1. शुद्ध क्षेत्रफल: अण्डों से या फाकों से।
2. स्थान, तहसील, जिला एवं ग्राम।
3. यदि दिनांक का ज्ञान हो तो यह भी बतायें जब टिड्डी दल ने अण्डे दिये हो अथवा अण्डों से फाके निकले हो।
4. अण्डों व फाकों के प्रकोप से ग्रस्त क्षेत्रफल के आसपास की खड़ी फसलों, वृक्षों व बाग आदि का विवरण दें।
द. शिशु टिड्डी
1. शिशु टिड्डी को देखने या उनके बारे में पता लगने का स्थान, समय एवं दिनांक।
2. अवस्था अर्थात छोटे या बड़े।
3. रंग।
4. शिशु टिड्डी दल का अनुमानित क्षेत्रफल।
5. शिशु टिड्डी दल के प्रकोप से प्रभावित फसल/ फसलों और पेड़़ पौधों के नाम और अनुमानित नुकसान, यदि कोई/ कुछ हुआ हो।
स्रोत: भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग
वनस्पति रक्षा, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय
टिड्डी चेतावनी संगठन, वायु सेना मार्ग, जोधपुर (राजस्थान)
फोन: 0291-2671749, 2748771, फैक्स 0291-2671748