गाँवों ने दुनिया को मंत्र दिया 'दो गज दूरी' या 'दो गज देह की दूरी'
नयी दिल्ली। कोरोना संकट ने देश को सबक दिया है आत्मनिर्भर बनो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर देशभर की ग्राम पंचायतों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह बात कही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'ई-ग्राम स्वराज' नामक एक एकीकृत पोर्टल एवं ई-ग्राम स्वराज एप और 'स्वामित्व' नामक नई केंद्रीय योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी ने वाकई हम सभी के काम करने के तरीके को बहुत बदल दिया है। पहले हम लोग किसी कार्यक्रम में आमने-सामने मिलते थे, अब वही कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज दिवस, गाँव तक सुराज पहुँचाने के हमारे संकल्प को दोहराने का भी मौका होता है। और कोरोना संकट के इस दौर में इस संकल्प की प्रासंगिकता तो और बढ़ गई है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी ने, हमारे लिए कई मुसीबतें पैदा की हैं। लेकिन इस महामारी ने हमें एक नई शिक्षा भी दी है, एक नया संदेश भी दिया है। कोरोना संकट ने अपना सबसे बड़ा संदेश, अपना सबसे बड़ा सबक दिया है कि हमें आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि गाँव, अपने स्तर पर, अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर बने, जिला अपने स्तर पर, राज्य अपने स्तर पर, और इसी तरह पूरा देश कैसे आत्मनिर्भर बने, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमें बाहर का मुंह नहीं देखना पड़े, अब ये बहुत आवश्यक हो गया है। श्री मोदी ने कहा कि भारत में ये विचार सदियों से रहा है लेकिन आज बदली हुई परिस्थितियों ने, हमें फिर ये याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर बनो। हमारे देश की ग्राम पंचायतों की इसमें बहुत बड़ी भूमिका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी मुझे लगता है कि जीवन की सच्ची शिक्षा की कसौटी, उसकी परीक्षा, संकट के समय ही होती है। सकारात्मक वातावरण में, बहुत देखरेख भरे माहौल में सच्ची शिक्षा का पता नहीं चलता, सच्चे सामथ्र्य का भी पता नहीं चलता। इस कोरोना संकट ने दिखा दिया है कि देश के गाँवों में रहने वाले लोग, भले ही उन्होंने बड़ी और नामी विश्वविद्यालय में शिक्षा न ली हो लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने संस्कारों-अपनी परंपराओं की शिक्षा के दर्शन कराए हैं।
श्री मोदी ने कहा कि गाँव के खेत-खलिहान में काम करने वालों, फसल कटाई और बुवाई में जुटे लोगों, आदिवासी भाई-बहनों और गाँव के प्रत्येक व्यक्ति ने कोरोना संकट से बचाव का दुनिया को 'दो गज दूरी' का या 'दो गज देह की दूरी' का जो मंत्र दिया है वो बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी प्रेरणा देने वाला है। उन्होंने कहा कि इस मंत्र के पालन पर गाँवों में बहुत ध्यान दिया जा रहा है। 'दो गज दूरी' यानी सामाजिक दूरी बनाकर रखने से आप कोरोना विषाणु को भी खुद से दूर रख रहे हैं, किसी संभावित संक्रमण से खुद को बचा रहे हैं। ये आपके ही प्रयास है कि आज दुनिया में चर्चा हो रही है कि कोरोना को भारत ने किस तरह जवाब दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा संकट आया, इतनी बड़ी वैश्विक महामारी आई, लेकिन इन दो-तीन महीनों में भारत के नागरिक, सीमित संसाधनों के बीच, अनेक कठिनाइयों के सामने झुकने के बजाय, उनसे टकरा रहे हैं, लोहा ले रहे हैं। रुकावटें आ रही हैं, परेशानी हो रही है, लेकिन संकल्प का सामथ्र्य दिखाते हुए, नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते हुए, नए-नए तरीके खोजते हुए, देश को बचाने का और देश को आगे बढ़ाने का काम भी निरंतर जारी है।
कोरोना संकट ने देश को सबक दिया है आत्मनिर्भर बनो: प्रधानमंत्री श्री मोदी