नयी दिल्ली। देश में काजू की डंपिंग के आरोपों की जाँच शुरू करने के लिए काजू निर्यात संवर्धन परिषद व्यापार उपचार महानिदेशालय को आवेदन दे। एक अधिकारी ने यहाँ मंगलवार, 19 नवम्बर 2019 को यह जानकारी दी।
वाणिज्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि काजू निर्यात संवर्धन परिषद से व्यापार उपचार महानिदेशालय (डायरेक्टोरेट ऑफ ट्रेड रेमेडीज- डीजीटीआर) के पास आवेदन देने को कहा है ताकि देश में काजू की डंपिंग के आरोपों की जाँच शुरू की जा सके। डीजीटीआर, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करता है। यह विश्व व्यापार संगठन व्यवस्था के संबंधित ढांचे के तहत निर्यातक देशों की अनुचित व्यापार पद्धतियों जैसे उत्पादों की डंपिंग, अनुचित ढंग से अनुदान देने आदि मामलों के प्रतिकूल प्रभाव के खिलाफ घरेलू उद्योग को व्यापार प्रतिस्पर्धा करने का समान अवसर देना सुनिश्चित करता है।
अधिकारी ने बताया कि काजू की डंपिंग से घरेलू उत्पादकों पर असर पडऩे की शिकायतें मिल रही हैं। पिछले महीने देश के निर्यात प्रदर्शन पर हुई बैठक में परिषद ने भारत में टुकड़ा काजू की डंपिंग का मामला उठाया था। इसलिए भारतीय काजू निर्यात संवर्धन परिषद से डंपिंग-रोधी जाँच के लिए डीजीटीआर के समक्ष अनुरोध दायर करने को कहा गया है।
डीजीटीआर जाँच में यदि यह पता चलता है कि डंपिंग और आयात बढऩे से घरेलू उत्पादक प्रभावित हो रहे हैं तो महानिदेशालय डंपिंग-रोधी और रक्षोपाय शुल्क लगाने की सिफारिश कर सकता है। इस पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय को लेना है।
परिषद के अध्यक्ष आर.के. भूदेस ने कहा कि गुयाना, मोजाम्बिक, तंजानिया और आइवरी कोस्ट सहित अफ्रीकी देशों से बड़ी मात्रा में अद्र्ध-प्रसंस्कृत काजू की भारत में डंप की जा रही है।
वाणिज्य मंत्रालय ने काजू निर्यात संवर्धन परिषद को डंपिंग जाँच के लिए आवेदन करने को कहा