लखनऊ। स्ट्रॉबेरी की खेती एवं विपणन पर 30 व 31 अक्टूबर 2019 को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) द्वारा किया गया। कार्यशाला में कानपुर, बाराबंकी, कौशांबी, जालौन और लखनऊ के आसपास के किसानों ने भाग लिया।
सीआईएसएच के डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य किसानों को रोपण सामग्री के वास्तविक स्रोत, उसकी विशेषताओं और विश्वसनीयता के मुद्दों के बारे में मार्गदर्शन करना था।
उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी एक संवेदनशील फसल है और इसे लगाने से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचने के विभिन्न स्तर पर सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए कम मिट्टी की आवश्यकता होती है और इसे छोटी सी जगह में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। डॉ. कुमार ने अधिक उत्पादन के लिए संशोधित तकनीक के बारे में विस्तार से बताया।
सीआईएसएच संस्थान द्वारा प्रशिक्षित और वर्तमान में स्ट्रॉबेरी का अधिक उत्पादन करने वाले किसान धीरेंद्र सिंह ने कार्यशाला में अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए। पैकेजिंग और विपणन के बारे में भी काफी अनुभव प्राप्त कर चुके श्री सिंह ने बताया कि स्ट्राबेरी की खेती के लिए किसानों का एक नेटवर्क विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि कम मात्रा में उपज का भी अच्छा मूल्य मिल सके। उन्होंने कहा कि अधिकतर कुछ किलो स्ट्रॉबेरी के साथ एक किसान उच्च मूल्य वाले बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं होता है।
किसान धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि स्ट्रॉबेरी का विपणन इसकी लाभदायक खेती के लिए कई बार सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। अपूर्ण बाजार शृंखला किसानों को निराश करती है। किसानों को बाजार मिल जाए तो भविष्य में वे इसकी खेती के प्रति आकर्षित हो सकते हैं।
डॉ. कुमार ने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती में रोपण सामग्री महत्वपूर्ण है और किसानों को अच्छी रोपण सामग्री प्राप्त करने के लिए हिमाचल प्रदेश या पुणे जाना पड़ता है। इसमें अधिक लागत शामिल है और कम पौधों की आवश्यकता वाले किसान को खर्च वहन करने में असुविधा होती है।
उन्होंने कहा कि बागवानी के शौकीन काफी लोग इस आकर्षक फल का व्यवसायिक उत्पादन घरों की छतों पर करने के इच्छुक हैं। आम तौर काफी संख्या में महिलाएं भी शौक के लिए स्ट्रॉबेरी उगाना चाहती हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती एवं विपणन पर कार्यशाला आयोजित