कैन बायोसिस प्रायवेट लिमिटेड, पुणे ने नयी जैव तकनीक विकसित की
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना तथा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने परीक्षणों में प्रभावी पाया
एक एकड़ के लिये 4 किलोग्राम स्पीड कम्पोस्ट को 50 किलोग्राम यूरिया के साथ मिलाकर कटाई के बाद खेतों में धान की कटाई के बाद पड़े डंठल पर छिड़कें
स्पीड कम्पोस्ट में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु धान के ऐसे डंठल को तेजी से गला-पचा कर कंपोस्ट खाद में बदल देगी
नयी दिल्ली। पंजाब और हरियाणा के कृषि विश्वविद्यालयों ने धान की पराली जलाने की समस्या से निजात दिलाने के लिए विकसित एक नयी जैव तकनीक (स्पीड कम्पोस्ट जैविक मिश्रण) को खेतों में आजमाने के बाद इसे कारगर बताया है। इस नयी तकनीक में जीवाणुओं की मदद से पराली को कम ही समय में कंपोस्ट खाद में बदल दिया जाता है। इस तकनीक का विकास करने वालों का दावा है कि इससे डंठल जलाने से पैदा प्रदूषण के छुटकारे के साथ साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।
स्पीड कम्पोस्ट का पेटेंट कृषि बायोटेक कंपनी कैन बायोसिस के नाम से दर्ज है। कंपनी खेत में जमा पराली को गलाने-सड़ाने के लिए ऐसे माइक्रोब्स (जीवाणुओं) का उपयोग करती है जो उसे जैविक रूप से खत्म करने के साथ खेतों की उर्वरता बढ़ाते हैं। कैन बायोसिस की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संदीपा रविन्द्र कनितकर ने यहाँ मंगलवार, 12 नवंबर 2019 को संवादाताओं से कहा कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना तथा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने अपने परीक्षणों के बाद इस नयी तकनीकी को अपेक्षित परिणाम देने वाली पाया है। इसमें 4 किलोग्राम स्पीड कम्पोस्ट को 50 किलोग्राम यूरिया के साथ मिलाकर कटाई के बाद खेतों में धान की कटाई के बाद पड़े डंठल पर छिड़का जाता है। यह मात्रा एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त होती है। स्पीड कम्पोस्ट में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु धान के ऐसे डंठल को तेजी से गला-पचा कर कंपोस्ट खाद में बदल देते हैं।
कंपनी का कहना है कि ''कार्बन-नाइट्रोजन की प्रचुरता वाले धान के डंठल के खेत में खाद बन जाने से पराली (पुआल) जलाने की जरूरत नहीं रहती तथा मिट्टी में कार्बन-नाइट्रोजन का स्तर बढऩे से मिट्टी की उर्वराशक्ति सुधारती है।'' उन्होंने कहा कि स्पीड कम्पोस्ट के उपयोग से धान पराली के निस्तारण करने के साथ साथ अगली फसल के लिए खेत को बेहतर ढंग से तैयार किया जा सकता है। इस पद्धति के उपयोग के कारण अगली फसल के समय किसानों की उर्वरक की लागत भी कम हो जाती है।
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स्पीड कम्पोस्ट जैविक मिश्रण से पराली समस्या के समाधान का दावा