संसद में गूंजा महाराष्ट्र के किसानों का मुद्दा

नयी दिल्ली। सत्ता संघर्ष में उलझे महाराष्ट्र में पिछले महीने बेमौसम बारिश से विभिन्न फसलों, बागवानी और किसानों को हुए नुकसान की गूंज सड़क से संसद तक सुनाई दे रही है। अलग-अलग राजनीतिक दलों के लोग मुंबई में किसानों के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र के सांसद दिल्ली में लोकसभा के बाहर और अंदर किसानों को तुरंत मुआवजा देने की माँग करते नजर आए। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने से लगभग सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि राज्यपाल के पास बेमौसम बारिश से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की गुहार लगाने जा चुके हैं। प्रशासन की तरफ से उठाए जा रहे कदमों से ये राजनीतिक दल संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में सोमवार, 18 नवम्बर 2019 से शुरू संसद के शीतकालीन सत्र में महाराष्ट्र के नेताओं ने किसानों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। शिवसेना सांसदों ने अपनी इस माँग के समर्थन में संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
सत्र की शुरुआत होते ही लोकसभा के अंदर राज्य से चुनकर आए सांसदों ने एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण भी किया। महाराष्ट्र से निर्दलीय सदस्य नवनीत राणा ने शून्यकाल में यह विषय उठाया और कहा कि राज्य के किसानों की मौजूदा दयनीय स्थिति के लिए सीधे तौर पर शिवसेना जिम्मेदार है। श्री राणा ने आरोप लगाया कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के पीछे शिवसेना का स्वार्थ छिपा था।
महाराष्ट्र से एआईएमआईएम के सदस्य इम्तियाज जलील सैयद ने कहा कि राज्य में तीन साल से सूखा पड़ रहा था, लेकिन इस बार बेमौसम बारिश से फसल पूरी तरह बरबाद हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। श्री सैयद ने प्रति हेक्टेयर सहायता राशि 8,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर करने की माँग की।
महाराष्ट्र से शिवसेना के सदस्य हेमंत पाटिल ने बेमौसम बारिश से राज्य में सोयाबीन, ज्वार, कपास, धान सहित अंगूर और संतरा जैसे बागवानी फसलों को नुकसान होने का जिक्र करते हुए पीडि़त किसानों को जल्द से जल्द मुआवजे की राशि का भुगतान करने की माँग की। महाराष्ट्र में पिछले महीने बेमौसम बारिश के कारण करीब 70 लाख हेक्टेयर भूमि में खड़ी व तैयार फसल को नुकसान हुआ है। कुछ दिनों पहले राज्य के पूर्व वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कुछ दिन पहले कही थी।