सही जानकारी मिले तो छोटे जोत वाले किसान जलवायु परिवर्तन के नुकसान से निबट सकते हैं: बिल गेट्स 

Vice Chairman of Milinda & Gates Foundation Bill Gates addressing to Eigth International Conclave on International Agricultural Statistics in New Delhi on 18 Novermber, 2019
सरकार की कृषि केंद्रित योजनाओं को साकार करने में कृषि के आँकड़े महत्वपूर्ण है: नरेंद्र सिंह तोमर
कृषि सांख्यिकी पर आठवां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन नयी दिल्ली में शुरु
नयी दिल्ली। सही जानकारी मिले तो छोटे जोत वाले किसान जलवायु परिवर्तन के नुकसान से निबट सकते हैं। बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह अध्यक्ष व माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने कृषि सांख्यिकी के 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यहाँ सोमवार, 18 नवम्बर 2019 को यह बात कही।
बिल गेट्स ने कहा कि आज के समय में जब हमें उत्पादन और भोजन की उपलब्धता बढ़ाने की आवश्यकता है, जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए सांख्यिकीविद जो काम करते हैं, वह बहुत महत्वपूर्ण है। यह समझना कि जलवायु परिवर्तन फसलों को कैसे प्रभावित कर रहा है, और हम उत्पादन के लिए इन परिवर्तनों को कैसे अपना सकते हैं और अनुकूल बना सकते हैं, इसके लिए नए डिजिटल उपकरणों के उपयोग सहित सर्वोत्तम आँकड़ों की आवश्यकता है। यहाँ हर कोई, बदलती जलवायु के अनुकूल और निश्चित रूप से दुनिया के सबसे गरीब किसानों को सभी उपलब्ध जानकारी उपलब्ध कराने के मानवीय प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि बेहतर सांख्यिकीय सूचनाएं तथा नवोन्मेषी उपायों से कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बदलता मौसम किस तरह से हमारे फसलों और उत्पादकता को प्रभावित करता है, इसे समझने के लिये नये उपायों के उपयोग के साथ कृषि-सांख्यिकी में सर्वश्रेष्ठ कार्यों की जरूरत है।
श्री गेट्स ने कहा कि जलवायु परिवर्तन जटिल है और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप नए बीज विकसित करने सहित विभिन्न हस्तक्षेपों को सीखने की आवश्यकता और इन्हें सबसे गरीब किसानों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था होनी चाहिए। श्री गेट्स ने कहा कि पूरी दुनिया की 7 अरब आबादी में से छोटे किसानों की संख्या 2 अरब से अधिक है। यह एक विशाल समूह है जिसे मदद की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन प्रभावों के कारण छोटे जोत वाले किसानों का कृषि उत्पादन कम होता जा रहा है जिससे विशेष रूप से सूखा और बाढ़ जैसी अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तनों के कारण वे अपनी बचत की गई जमा पूंजी से हाथ धो बैठते हैं।
भारत के मृदा स्वास्थ्य कार्ड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मृदा की गुणवत्ता के आँकड़ों से किसानों को यह तय करने में मदद मिलेगी कि किस उर्वरक का उपयोग करें। अभी मौजूदा आँकड़ों के साथ अतिरिक्त आँकड़े जोडऩे तथा विस्तार से मृदा मानचित्रण के अवसर हैं। उन्होंने कहा, ''बेहतर मृदा, बेहतर सूचनाएं और बेहतर सांख्यिकी जलवायु परिवर्तन के नुकसान को कम करने में मदद करेगी।''


Vice Chairman of Milinda & Gates Foundation Bill Gates addressing to Eigth International Conclave on International Agricultural Statistics in New Delhi on 18 Novermber, 2019
उन्होंने कहा कि इस सबके बीच अच्छी खबर यह है कि इन चुनौतियों से निबटने के लिए बहुत सारे नवाचार उपलब्ध हैं। आज जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए नए किस्म के बीजों और विशेष रूप से उपलब्ध बीजों को विकसित करने में निवेश को दोगुना करने की आवश्यकता है। सूखे वाले क्षेत्रों के लिए बीज विकसित करने में भारत में इंटरनेशनल क्राप्स शोध इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी ऐरिड ट्रापिक्स (आईसीआरआईएसएटी) तथा सीजीआईआर केन्द्रों का उदाहरण देते हुए श्री गेट्स ने कहा कि इस तरह के और भी काम किए जाने की जरुरत है और यह सुनिश्चत किया जाना चाहिए कि इसका लाभ किसानों, विशेषकर छोटे किसानों तक पहुँचे।
बिल गेट्स ने यह भी कहा कि डेटा क्रांति न केवल किसानों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए आँकड़े कैसे इक_ा किए जाएं यह तय करती है। कई मामलों में नई तकनीकें पहले से ही उत्पादकता का अनुमान लगा लेती हैं। किसानों को अहम जानकारियाँ उपलब्ध नहीं हो पातीं। उन्होंने सांख्यिकीविदों और वैज्ञानिकों पर भरोसा जताते हुए कहा कि इनमें से हर कोई नवोन्मेषक बन सकता है और कृषि नीतियों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन किसानों और आने वाली पीढिय़ों के लिए कई लाभकारी उपाय सुझा सकता है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से छोटे किसान सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। ये किसान बहुत गरीब हैं और उनके बच्चे कुपोषित हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत में एक मुद्दा है।
उन्होंने कहा, ''एक मौसम का सूखा या बाढ़ इन परिवारों की सारी बचत बर्बाद करने के लिये काफी है। आने वाले समय में सूखा और बाढ़ दोनों की आवृत्ति बदलने वाली है। जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ेगा।''


Minister for Agricultue and Famer Welfate Narendra Singh Tomar addressing to Eigth International Conclave on International Agricultural Statistics in New Delhi on 18 Novermber, 2019
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत के लिए अकादमिक महत्व वाले इस सम्मेलन की मेजबानी करने का यह एक अनूठा और महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन विदेशी प्रतिनिधियों के लिए देश की समृद्ध सांख्यिकीय परंपरा, समृद्ध संस्कृति और विविधता के बारे में जानने और सीखने का अवसर होगा। उन्होंने कहा कि साथ ही यह भारतीय पेशेवरों को वैश्विक विशेषज्ञों के साथ विचार साझा करने और इस क्रम में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक विकास प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। उन्होंने भारत सरकार की विभिन्न कृषि केंद्रित योजनाओं को साकार करने में कृषि सांख्यिकी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में सांख्यिकी का विषय ऐतिहासिक है। मौर्य साम्राज्य के दौरान कौटिल्य के सिद्धांतों में इस बात का विस्तार से वर्णन है कि कृषि, जनसंख्या तथा आर्थिक गणना से संबंधित जानकारियाँ किस तरह से जुटायी जायें।


Minister for Agricultue and Famer Welfate Narendra Singh Tomar addressing to Eigth International Conclave on International Agricultural Statistics in New Delhi on 18 Novermber, 2019
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन एक बेहतरीन अनुभव होगा और उम्मीद है कि फलदायक चर्चाएं अंतत: कुछ नीतिगत सुझावों को सामने लाएंगी।
चार दिवसीय यह सम्मेलन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन, आईएसआई-सीएएस, एफएओ, यूएसडीए, एडीबी, विश्व बैंक, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूरोस्टेट, एफएफडीबी और विभिन्न अन्य संगठनों के सहयोग से आयोजित किया गया है। इस बार सम्मेलन का विषय 'सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सांख्यिकी के माध्यम से कृषि में सुधार' है। इसे कृषि पद्धतियों और नीतियों के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों की निगरानी के लिए डेटा तैयार करने में अधिकांश सांख्यिकीय प्रणालियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए चुना गया है।
यह सम्मेलनों की एक ऐसी शृंखला है जो 1998 में दुनिया भर में कृषि डेटा की जरूरत को महसूस करते हुए शुरू की गई थी। यह सम्मेलन हर तीन साल में दुनिया भर में कृषि संबंधी आँकड़ों की आवश्यकता के आधार पर आयोजित किया जाता है। पिछला सम्मेलन 2016 में रोम में आयोजित किया गया था। सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जिनमें वरिष्ठ कृषि सांख्यिकीविद्, अर्थशास्त्री और शोधकर्ता शामिल हैं।
सम्मेलन के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों में डेटा संकलन/ डेटा विश्लेशण / डेटा एकीकरण/ डेटा स्रोत/ डेटा गुणवत्ता/ डेटा का प्रसार और संचार तथा  नीति निर्धारण और अनुसंधान,खाद्य सुरक्षा, गरीबी, ग्रामीण विकास, कृषि के सामाजिक आयाम, टिकाऊ कृषि उत्पादन तथा खपत, कृषि में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों, कृषि में क्षमता विकास, सतत विकास लक्ष्यों की निगरानी में सांख्यिकी के उपयोग पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।
सम्मेलन के पूर्ण सत्र में सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में हासिल सफलता, तय सीमा में सटीक कृषि आँकड़े प्राप्त करने की आवश्यकता, कृषि सांख्यिकी: 50x2030 पहल, किसानों की आय बढ़ाने के लिए सूचनाएं पहुँचाने के तरीकों तथा कृषि सांख्यिकी के लिए वित्त पोषण जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।