प्याज भण्डारण के लिए इजराइल, ब्राजील जैसे कम लागत वाले तरीकों पर विचार की जरूरत: फिक्की अध्ययन

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नयी दिल्ली। भारत में सीमित आपूर्ति की वजह से प्याज की खुदरा कीमत के 100 रुपये प्रति किलो तक पहुँच जाने के बीच उद्योग संगठन फिक्की ने शुक्रवार, 8 नवम्बर 2019 को कहा कि भारत को खाद्य जिंसों के भण्डारण के लिए इजराइल और ब्राजील जैसे देशों की कम लागत वाली आधुनिक तकनीक पर ध्यान देने की जरूरत है।
केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में टमाटर-प्याज-आलू (टीओपी) योजना की घोषणा की गई थी। इस योजना से उम्मीद की गई थी कि उत्पादक क्षेत्रों में अधिशेष उत्पादन की समस्या का समाधान होगा, लेकिन यह योजना शुरु नहीं हो पाई है।
फिक्की ने कहा कि सरकार को परिवहन लागत को कम करने के लिए रेलवे रेक उपलब्ध कराने चाहिए। फिक्की ने कहा कि निर्यात प्रतिबंधों में तदर्थवाद के गंभीर परिणाम रहे हैं। प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से हटाने की आवश्यकता है। किसानों से पारदर्शी तरीके से सीधे खरीदारी करने के लिये कृषि विपणन सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्याज में पानी की मात्रा में अधिक होने के कारण, यह भण्डारण के लिहाज से काफी नाजुक जिंस है।
अध्ययन में कहा गया है कि फसल कटाई के बाद उपयुक्त भण्डारण सुविधा उपलब्ध नहीं होने और इस दौरान कुछ क्षेत्रों में अधिक बरसात से करीब 40 प्रतिशत प्याज का नुकसान हो सकता है। फिक्की ने सरकार को भेजी एक रिपोर्ट में कहा, ''इस साल प्याज की कीमतों में तेजी लाने में कई कारकों ने योगदान दिया है। हालांकि, प्याज की मौसमी कीमत और इसके आगमन की जो स्थिति है, वह भविष्य में एक टिकाऊ नीति के लिए रणनीति के स्तर पर कोई दिशा दे सकते हैं।''
प्याज के मौजूदा संकट को दूर करने के लिए, फिक्की ने कहा कि सरकार को एक दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिसमें इजराइल और ब्रा$जील मॉडल का अध्ययन करना और प्याज के भण्डारण के लिए कम लागत वाली आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए निवेश करना शामिल है। प्याज के भण्डारण की कम लागत को सुनिश्चित करने के लिए, फिक्की ने कहा कि कम लागत के लिये खेत के नजदीक भण्डारण व्यवस्था के निर्माण पर जोर दिया जाना चाहिए।
ब्राजील में, प्याज की खरीद और भण्डारण के लिए, खेत के स्तर पर कम लागत वाले हवादार सिलोस प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे प्रशीतित भण्डारण कमरे का भी उपयोग करते हैं जो सबसे कुशल प्रणाली है। प्याज की खेती भारत के विभिन्न हिस्सों में लगभग पूरे वर्ष की जाती है और इसे जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीनों को छोड़कर सीधे बाजार में उपलब्ध कराया जा सकता है। लगभग इन तीन महीने की इस कम अवधि में प्याज की नियमित आपूर्ति बनाए रखने के लिए, प्याज को पारंपरिक रूप से हवादार गोदामों (थोक में) में रखा जा रहा है, जहाँ नुकसान बहुत अधिक हैं। इसमें नुकसान मुख्य रूप से फसल पूर्व और कटाई बाद के खराब प्रबंधन के कारण 20-40 प्रतिशत के बीच है।
फिक्की ने कहा, ''प्याज के भण्डारण हेतु उम्दा तकनीकी समाधान खोजने के लिए अनुसंधान में निवेश करने की आवश्यकता है। भण्डारण की मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करने से नुकसान लगभग 5-10 प्रतिशत तक रह जाने की संभावना है।'' इसके अलावा, प्याज की फसल के भण्डारण की विधि को अनाज और आलू जैसे सामान्य कृषि उपज के समान नहीं समझा जाना चाहिए। भारत के कुल प्याज उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान देने वाले कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में अत्यधिक बारिश के कारण प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।