मुख्यमंत्री कमल नाथ की किसानों से अपील
अति-वृष्टि से किसानों की फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिये सरकार वचनबद्ध
भोपाल। प्रदूषण की रोकथाम और भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने नरवाई नहीं जलाएं किसान। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने गुरुवार, 7 नवम्बर 2019 को किसानों से यह अपील की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम, प्रदेश की आबोहवा को सुरक्षित रखने और भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये पराली (नरवाई) नहीं जलाएं। उन्होंने कहा कि नरवाई जलाने पर भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने में सहायक कृषि-सहयोगी सूक्ष्म जीवाणु तथा जीव भी नष्ट हो जाते हैं। कमल नाथ ने किसानों से कहा है कि आप हरियाली के जनक हैं, आबोहवा के पहरेदार हैं, इसलिये नरवाई को जलाने की बजाए उसका अन्य उपयोग करें, जिससे उन्नत खेती, पशु-चारे की उपलब्धता और सभी को स्वच्छ प्राण वायु मिल सके। साथ ही, अन्य प्रदेशों में हवा में फैल रहे जहर से हम अपने प्रदेश को समय रहते बचाये रख सकें।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने किसानों को बताया कि हम सभी को पर्यावरण संरक्षण की चिंता करनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि साफ हवा में सांस लेने का हक सबको है। कमल नाथ ने बताया कि नरवाई जलाने से वातावरण को चौतरफा नुकसान होता है और जमीन के पोषक तत्वों के नुकसान के साथ प्रदूषण भी फैलता है। ग्रीन हाउस गैसें पैदा होती हैं, जो वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाती हैं। उन्होंने कहा कि नरवाई जलाने से अधजला कार्बन, कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड तथा राख और अन्य विषैले पदार्थ तथा जहरीली गैसें पैदा होती हैं, जो पूरे वातावरण में गैसीय प्रदूषण के साथ धूल के कणों की मात्रा में भी वृद्धि करती हैं। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने किसानों से आग्रह किया है कि समय की जरूरत का विशेष ध्यान रखें और प्रदेश की आबोहवा को प्रदूषण से बचाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि नरवाई को जलाने की बजाय उसे भूसे और पशुचारे में परिवर्तन करना अधिक उपयोगी है। विशेषज्ञों का भी सुझाव है कि नरवाई का उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा कार्ड-बोर्ड और कागज बनाने में किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार नरवाई को जलाए बिना उसी के साथ गेहूँ की बुआई की जाये। ऐसा करने पर सिंचाई के साथ जब नरवाई सड़ेगी, तो अपने आप खाद में बदल जाएगी और उसका पोषक तत्व मिट्टी में मिलकर गेहूँ की फसल को अतिरिक्त लाभ देगा। उन्होंने कहा कि अब तो ऐसे यंत्र भी उपलब्ध हैं, जो आसानी से ट्रैक्टर में लगाकर खड़े डंठलों को काटकर इकट्ठा कर सकते हैं और उन्हीं में बुआई भी की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों ही विकल्प किसानों के लिये फायदेमंद हैं।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने किसानों से कहा है कि अति-वृष्टि से उनकी फसलों को हुए नुकसान से राज्य सरकार चिंतित है तथा इसकी भरपाई के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये हमने केन्द्र सरकार से मदद भी माँगी है। कमल नाथ ने कहा कि हाल ही में हुए फसली नुकसान की भरपाई के लिये राज्य सरकार वचनबद्ध है।
प्रदूषण की रोकथाम और भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने नरवाई नहीं जलाएं किसान