फसलों की विविधता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता: प्रभांशु कमल

Additional Chief Secretary cum Agriculture Production Commissioner APC of Madhyapradesh addressing meeting on November 21, 2019 in Sagar
सागर। फसलों की विविधता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि प्रतिकूल परिस्थितियों में बेहतर प्रबंधन से फसलों को बचाया जा सके। कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभांशु कमल ने आयुक्त सभाकक्ष में गुरुवार, 21 नवम्बर 2019 को यह बात कही। उन्होंने संभाग में खरीफ 2019 की समीक्षा की एवं रबी 2019-20 की तैयारियों के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए। 
प्रभांशु कमल ने कहा कि प्रकृति पर मानव का नियंत्रण नहीं है पर हम अपने स्तर पर बेहतर प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कम या अधिक वर्षा और मौसम की प्रत्येक परिस्थिति में कृषकों को नुकसान से बचाने तथा हर स्थिति में उन्हें आर्थिक रूप से लाभ में रखने की कृषि कार्ययोजना बनाने और अमल में लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फसलों की विविधता से प्रतिकूल परिस्थितियों में बेहतर प्रबंधन से फसलों को बचाया जा सकता है।
प्रभांशु कमल ने पशुपालन, उद्यानिकी और मत्स्यपालन को भी अपनाने के लिए कहा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने आगामी रबी सत्र में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक बीज एवं अन्य कृषि आदानों को माँग के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। 
बैठक में प्रमुख सचिव कृषि अजीत केसरी, संभागायुक्त आनंद कुमार शर्मा, संचालक कृषि मुकेश शुक्ला, आयुक्त सहकारिता सहकारी पंजीयक संस्थाएं डॉ. ए.के. अग्रवाल, प्रबंध संचालक मार्कफेड श्रीमती स्वाति मीणा नायक, प्रबंध संचालक बीज एवं फार्म विकास निगम, प्रबंध संचालक बीज प्रमाणीकरण, पशुपालन, मत्स्यपालन, उद्यानिकी विभागों के विभाग प्रमुख अधिकारी सागर कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक सहित संभाग के जिलों के कलेक्टर्स, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा संबंधित विभागों के संभागीय एवं जिला अधिकारी मौजूद थे। 
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि प्रदेश में जहाँ भी कृषि क्षेत्र में समन्वित कृषि, फसल विविधता तथा उपयोगी तकनीक का प्रयोग हुआ है। उन क्षेत्रों में अधिक वर्षों के दौरान भी अच्छा उत्पादन कृषकों ने प्राप्त किया है।
उन्होंने जिलावार फसल, उत्पादन तथा उत्पादकता, बीज-खाद, कीटनाशक दवाइयों की माँग उपलब्धता आपूर्ति की समीक्षा की। बैठक में किसानों को ऋण वितरण, जय किसान ऋण माफी योजना की समीक्षा की गयी। खाद-बीज, कीटनाशक दवाओं के गुणवत्ता नियंत्रण के लिये अभियान के रूप में कार्य करने, अमानक पाये गये नमूनों पर सख्त कार्यवाई के निर्देश दिये गये। कहा गया कि कृषकों को प्रमाणित उन्नत बीज की उपलब्धता सुगमता से रहे। बाजार में उपलब्ध सभी बीजों के नमूने लेकर परीक्षण कराया जाये। हितग्राहियों को कृषि यंत्रों के लिये ऑनलाइन पंजीयन तथा अनुदान राशि प्राप्त करने में असुविधा नहीं होने पाये। कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल की प्रगति के सम्बन्ध में जिलाधिकारियो से नियमित समीक्षा के निर्देश दिये गये एवं यंत्र अनुदान की राशि कृषकों के खाते में डीबीटी माध्यम से पहुँचती रहे इसकी सुनिश्चिता बनाये रखने हेतु भी निर्देशित किया गया।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने उद्यानिकी की समीक्षा करते हुए कहा कि उद्यानिकी क्षेत्र में वृद्धि की जाये तथा उद्यानिकी फसल उत्पाद की प्रसंस्करण सुविधा भी विकसित की जाय। उन्होंने कहा कि शासन तथा नाबार्ड की अनेक योजनायें हैं जिनका लाभ कृषकों को दिलायें।                                             
उन्होंने बताया कि उज्जैन जिला में कृषि क्षेत्र के 25 प्रतिशत क्षेत्र को उद्यानिकी फसलों से आच्छादित कर बेहतर कार्य किया गया है। उन्होंने सागर संभाग के जिलों में भी इसी तरह के कार्य की अपेक्षा की। समन्वित कृषि प्रणाली इस लक्ष्य को पाने के लिये उपयोगी साबित होगी। बैठक में हर जिले में एक मॉडल नर्सरी विकसित करने के निर्देश दिए गये। संरक्षित कृषि, सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के निर्देश दिये गये।
पशुपालन विभाग की समीक्षा में निराश्रित गौवंशीय पशुओं के लिये गौशालाओं का निर्देशानुसार निर्माण करने तथा बिजली, पानी आदि इंतजाम सुनिश्चित करने तथा चारागाह विकसित करने के निर्देश दिये गये है। बैठक में जानकारी दी की सागर संभाग में इस वित्तीय वर्ष में 141 गौशालाएं बनाई जा रही है। उन्होंने गौशालाओं का कार्य शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने पशुओं का टीकाकरण करने के भी निर्देश दिए।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने मत्स्यपालन की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की और तालाबों की पूरी क्षमता उपयोग मछली उत्पादन करने के लिए कहा। उन्होंने जिलावार मत्स्यबीज उत्पादन, संचयन मत्स्योत्पादन, मछुआ दुर्घटना बीमा, मछुआ सहकारिता की जानकारी भी ली।