फल और सब्जियों के प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ाने के लिए किसानों को और अधिक अनुदान

Fruits and Vegetables
नयी दिल्ली, शनिवार, 21 नवम्बर 2019। फल और सब्जियों के प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार किसानों को और अधिक अनुदान दे सकती है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहाँ यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि केन्द्र सरकार किसानों को फल और सब्जियों के प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ाने के लिए 10 लाख रुपये तक का अनुदान दे सकती है। इस सम्बन्ध में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की ओर से 2 हजार करोड़ रुपये का एक प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के पास अनुमति के लिए भेज दिया गया है। इस प्रस्ताव को मंत्रिमण्डल की अनुमति की भी जरूरत होगी।
अधिकारी ने बताया, 'हमें उम्मीद है कि संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में इस प्रस्ताव को अनुमति मिल जाएगी। इस कदम से गाँवों में छोटे उद्योगों को आधुनिक बनाने और खाद्य प्रसंस्करण में उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।'
अधिकारी ने बताया कि अगर खाद्य प्रसंस्करण इकाई का मालिक कर्ज लेता है तो ब्याज अनुदान के अलावा उस इकाई को योजना के तहत मिलने वाली राशि की ऊपरी सीमा 10 लाख रुपये होगी। उन्होंने कहा, 'महिलाओं और उद्यमियों की ओर से चलाई जा रही परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। पहली बार कदम रख रहे उद्यमियों को आसानी से कर्ज मिल जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए उन्हें बैंकों से जोड़ा जायेगा।'
अधिकारी ने कहा, 'मंत्रालय का प्रयास है कि अनाजों और मसालों जैसे कच्चे सामान के निर्यात के लिए मूल्य संवर्धन (वेल्यू एडीशन) पर अधिक ध्यान दिया जाये। इससे अधिक विदेशी मुद्रा मिलेगी और किसानों बेहतर प्रतिफल मिल सकेगा।'
उल्लेखनीय है कि भारत दुनियाभर में फल और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। हालांकि कुल उत्पादन का 10 प्रतिशत से कम ही प्रसंस्कृत हो पाता है और शेष बड़ी मात्रा में बर्बाद हो जाता है। सरकार पिछले कुछ सालों में ऐसे खाद्य पदार्थों के प्रसंस्करण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश लाने पर ध्यान दे रही है। 
अधिकारी का कहना है कि इस योजना से किसानों, कुटीर उद्योगों, किसान संगठनों सहित अन्य लोगों को तरक्की करने का मौका मिलेगा, साथ ही देसी और वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। योजना का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाना और किसानों की आय दोगुनी करना है। अधिकारी ने बताया, 'छोटे और मझोले उद्योगों को पूंजी उपलब्ध कराने और उन्हें बढ़ावा देने से हम फार्म-टू-मार्केट लिंकेज बनाने में मदद करेंगे। इससे ग्रामीण भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने, नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाने, तकनीक अद्यतन करने और खाद्य पदार्थों की नयी शृंखला लाने में भी मदद मिलेगी।'