पराली नहीं जलाने का लाभ बासमती उत्पादक किसानों को नहीं

जालंधर, गुरुवार, 14 नवम्बर 2019। पंजाब में बासमती उत्पादक किसानों को खेतों में पराली नहीं जलाने पर राज्य सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी जायेगी।
एक ओर जहाँ बासमती चावल उगाने वाले किसानों की हालत अच्छी नहीं है, वहीं खेतों में पराली नहीं जलाने के लिए भी राज्य सरकार से उन्हें कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिलेगी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार ने केवल लघु और सीमांत किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए प्रति क्विंटल 100 रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी, जो सिर्फ गैर-बासमती किस्मों पर ही लागू होती है।
यूँ तो पराली नहीं जलाने के एवज में किसानों को प्रति क्विंटल 100 रुपये देने की योजना में इस सत्र के लिहाज से काफी देर हो चुकी है। अधिकतर किसानों ने अब तक अपने खेतों से पराली का निपटारा कर चुके हैं। हालांकि कुछ बासमती उत्पादक इस योजना का लाभ जरूर उठा सकते हैं, क्योंकि पूसा 1121 और पूसा 1718 किस्मों की कटाई नवंबर के पहले सप्ताह में होती है।  राज्य सरकार ने बासमती उत्पादकों को इस योजना की परिधि से बाहर रखा है।
बासमती उत्पादक किसान बलविंदर सिंह कहते हैं, 'सामान्य किस्मों और बासमती की पराली में कोई अंतर नहीं होता है। मैं इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहा हूं। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार मैं पराली नहीं जला सकता। दूसरी फसल की बुआई में भी देर हो रही है।'
भारत किसान यूनियन सिधुपुर एकता के पंजाब अध्यक्ष जगजीत सिंह डालेवाल ने कहा कि न्यायालय के आदेश पर प्रोत्साहन दिया गया है। श्री डालेवाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने अपनी तरफ से कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने सभी किसानों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है, लेकिन राज्य सरकार केवल दिखावा कर रही है और जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है।