नयी दिल्ली। मत्स्यपालन क्षेत्र किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकता है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने एनएएससी परिसर, पूसा, नई दिल्ली में गुरुवार, 21 नवम्बर 2019 को विश्व मत्स्य दिवस, 2019 समारोह के उद्घाटन अवसर पर यह बात कही।
मत्स्य, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान तथा प्रताप चंद्र सारंगी इस अवसर पर उपस्थित थे। इन्होंने उत्कृष्ट मत्स्य किसानों, एक्वाप्रिन्योर्स, मछुआरों को इस क्षेत्र और इस क्षेत्र के विकास में उनके योगदान के लिए मान्यता देते हुए सम्मानित किया।
गिरिराज सिंह ने कहा कि किसान और मछुआरे अपने-अपने क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए विभिन्न अर्थोपाय प्रयासों द्वारा सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्वास व्यक्त करते हुए मत्स्यपालन के लिए अलग मंत्रालय बनाया है। भारत में बहुत अवसर मौजूद हैं और उनका यह लक्ष्य है कि सभी किसानों और मछुआरों की सहायता से जो लक्ष्य पिछले 70 वर्षों में अर्जित नहीं किया जा सका है, उसे 10 वर्षों में हासिल किया जाए।
गिरिराज सिंह ने कहा कि मत्स्यपालन को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है एक समुद्री मत्स्यपालन और दूसरा अन्तर-देशीय मत्स्यपालन, जो नदियों, नहरों, तालाबों और अन्य छोटे जल निकायों में किया जाता है। उन्होंने कहा कि मत्स्यपालन में अक्सर प्रतिबंधित अवधि का दुरुपयोग किया जाता है इससे मछलियों को संभावित नुकसान का सामना करना पड़ता है। इनका नियमन किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मछली पकडऩे का काम वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीके से हो। वियतनाम का उदाहरण देते हुए, श्री सिंह ने कहा कि उनकी उत्पादकता हमारी तुलना में 20 गुना बेहतर है। भारत को इस बारे में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में तीन हजार किसान अपनी नाव का मशीनीकरण करके बेहतर रूप से मछली पकड़ रहे हैं। मछलीपालन विभाग मछुआरों के लिए प्रशिक्षण देने, उन्हें इस क्षेत्र के अनुभव की जानकारी देने और श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को साझा करने के बारे में योजना बनाएगा।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान नारे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान का नाम दिया है। जिसमें पूरे देश की बेहतरी के लिए प्रौद्योगिकी उपयोग को शामिल किया गया है। हम आरएएस प्रौद्योगिकी का उपयोग करके 1/10वें क्षेत्र में उतना ही उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रौद्योगिकी को व्यापक रूप से लागू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निर्यात बाजार के लिए अच्छी फिशब्रीड्स की पहचान की जानी चाहिए। आईसीएआर ने निर्यात के लिए मछलियों की 61 प्रजातियों की पहचान की है। इस क्षेत्र के विकास में योगदान देने वाले लोगों को पुरस्कार देने के बाद उन्होंने कहा कि विभाग बेहतर प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार राशि में बढ़ोतरी करेगा।
उन्होंने कहा कि कई उपायों की घोषणा के बीच सरकार ने अल्पकालिक ऋण सुविधा का दायरा बढ़ाया है और किसानों के अलावा मछुआरों, पशुपालकों को भी इसमें शामिल किया है। सरकार ने 2018-19 के बजट में किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाते हुए इसमें पशुपालकों और मछुआरों को भी शामिल करने की घोषणा की ताकि उनकी कार्यशील पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सके। केंद्रीय मंत्री श्री सिंह ने कहा, ''अब तक 8,400 मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड मिला है। देशभर में करीब 2 करोड़ मछुआरे हैं, इसकी तुलना में यह संख्या कम है। हम इसकी समीक्षा करने जा रहे हैं और अधिक लोगों तक पहुँचने के लिए कदम उठा रहे हैं।''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। इसलिए किसानों की आय बढ़ाने के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मछुआरों की आय अगले पाँच साल में पाँच गुना तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है और इसलिए मत्स्यपालन एवं पशुपालन क्षेत्र पर ध्यान देने के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है।
राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की किसानों की आय को दोगुना करने के कार्य को पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन जैसी सहयोगी गतिविधियों को बढ़ावा दे कर ही पूरा किया जाएगा। श्री बालियान ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड को उत्तर भारत में और अधिक काम करने और पूरे देश में सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को मछली पकडऩे के समुदाय के लिए उपलब्ध कराने का आह्वान किया। डॉ. बालियान ने कहा कि एक मंत्री की भूमिका लोगों की जरूरतों को नौकरशाही के पास ले जाना तथा अधिकारियों और जनता के बीच एक सेतु के रूप में काम करना है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि दोनों के बीच दोतरफा संवाद हो और जनता की भलाई के लिए काम हो।
सभा को संबोधित करते हुए मत्स्य सचिव श्रीमती रजनी सेखरी सिब्बल ने कहा कि भारत में विभिन्न प्रकार की मछलियाँ हैं और एक विशाल तटीय बेल्ट भी उपलब्ध है। कानून के अभाव में चीन जैसे पड़ोसी देश भारत के समुद्री संसाधनों का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह आगे बढऩे में तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीली अर्थव्यवस्था का उपयोग करके किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा। मछली पकडऩे और इससे संबंधित गतिविधियों से 4 गुना तक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सचिव ने आगे कहा कि विभाग इस लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने और प्रमुख नीतिगत बदलाव तथा कार्य करने की जरूरत है। मछलियों के विपणन के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि कश्मीर में ट्राउट मछली 250 रुपये किलो बिकती है जबकि यह दिल्ली में 1,200 से 1,500 रुपये में बिकती है। इसके निर्यात की भी बहुत अधिक संभावनाएं हैं। इस मछली की बहुत अधिक माँग है और मछुआरों को उत्पादन के लिए बहुत अच्छी दर मिल सकती है।
उन्होंने आइसलैंड का उदाहरण भी दिया जो मछली के सभी हिस्सों का उपयोग करता है और विशेष रूप से इसकी त्वचा सबसे महंगी होती है, जबकि भारत में 25 प्रतिशत मछली बर्बाद हो जाती है। उसने कहा कि विभाग को इस पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2014-15 में, 10 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) मछली का उत्पादन किया गया था, जबकि अब यह 13 एमएमटी तक बढ़ गया है और अगले 5 वर्षों के दौरान उत्पादन 20 एमएमटी तक बढ़ाने का लक्ष्य है। यहाँ तक कि उत्पादकता जो पहले 2.3 टन प्रति हेक्टेयर थी, उसे अब बढ़ाकर 3 टन प्रति हेक्टेयर कर दिया गया है।