राज्य में अंगूर की 3 लाख एकड़ फसल में से 90,000 एकड़ पूरी तरह खराब होने का दावा
अंगूर खराब होने का सरकारी आँकड़ा 50,000 एकड़ का
अंगूर उत्पादक किसानों को करीब 9,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान
गत वर्ष 2,200 करोड़ रुपये का अंगूर निर्यात किया था
मुंबई, रविवार, 10 नवम्बर 2019। अक्टूबर में हुई बेमौसम बारिश से महाराष्ट्र में फसलों को भारी नुकसान पहुँचा है। सबसे अधिक नुकसान अंगूर की फसल को हुआ है। राज्य में 90,000 एकड़ की फसल पूरी तरह खराब होने का दावा किया जा रहा है, जबकि सरकारी अनुमान के अनुसार यह संख्या 50,000 एकड़ है। बेमौसम बारिश से अंगूर उत्पादक किसानों को करीब 9,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। फसल खराब होने का असर निर्यात और कीमत दोनों पर पड़ेगा।
देश का करीब 80 प्रतिशत अंगूर उत्पादन महाराष्ट्र में होता है। अक्टूबर में बेमौसम बारिश के कारण 30 प्रतिशत फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है। जो फसल बची भी है, उसकी गुणवत्ता निर्यात के लायक नहीं है। महाराष्ट्र कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार राज्य में 50,000 एकड़ में अंगूर की फसल को नुकसान हुआ है, जबकि अंगूर उत्पादक संघ के अनुसार राज्य में 30 प्रतिशत फसल यानी 90,000 एकड़ में फसल पूरी तरह बरबाद हो गई है। राज्य में तीन लाख एकड़ में अंगूर की फसल होती है।
कृषि संगठनों का कहना है कि एक एकड़ में अंगूर की फसल पर करीब 3 लाख रुपये की लागत आती है। इससे करीब 4 से 5 लाख रुपये मूल्य की फसल का उत्पादन होता है। औसतन अंगूर 50 रुपये किलो बिकता है। शुरुआती अनुमान के अनुसार अक्टूबर में हुई बारिश से 9,000 करोड़ रुपये की अंगूर फसल बरबाद हो चुकी है। जिसका असर निर्यात पर भी पड़ेगा क्योंकि जो फसल बची भी है, वह निर्यात लायक नहीं है।
नासिक जिले में अंगूर की खेती करने वाले नयन शिंदे कहते हैं कि बारिश ने किसानों को पूरी तरह बरबाद कर दिया है। अब भी बारिश होने की बात कही जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो कुछ भी नहीं बचेगा। किसानों का कहना है कि इस समय बाजार में अंगूर 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बिकता जो फायदे का सौदा होता। बाग में अंगूर की कटाई शुरू होते ही बारिश कहर बरपाने लगी और उसने फसल को तहस-नहस कर दिया।
अखिल भारतीय अंगूर निर्यातक संघ के अध्यक्ष जगन्नाथ खापरे के अनुसार बांग्लादेश और पश्चिम एशिया को सामान्य: नवम्बर में अंगूर निर्यात शुरू हो जाता है। इस बार इसमें एक महीने की देरी होगी। यूरोप को होने वाला निर्यात भी सामान्य रुप से 1 अक्टूबर से शुरू हो जाता है। हालांकि इस साल किसानों को यह अंगूर 7 नवम्बर के बाद ही उपलब्ध होने की संभावना जताई गई थी।
महाराष्ट्र कृषि विभाग में निर्यात अनुभाग के सलाहकार डॉ. गोविंद हांडे के अनुसार पिछले फसल सत्र में राज्य से करीब 2,200 करोड़ रुपये के अंगूर का निर्यात किया गया था। इस साल निर्यात कितना होगा, फसलों का नुकसान कितना हुआ है, इसकी अभी पूरी जानकारी दे पाना मुश्किल है। राज्य के कई हिस्सों में अंगूर की फसल का भारी नुकसान हुआ है। स्थिति को देखते हुए निर्यात करने वाले बागों का पंजीकरण शुरू किया गया है। अब तक 250 बागों का पंजीकरण किया जा चुका है। यह पंजीकरण 31 दिसंबर तक चलेगा।
इस साल निर्यात करने वाले बागों के पंजीकरण का लक्ष्य 90,000 होने का अनुमान था, लेकिन अब यह संख्या घटकर 40,000 से 43,000 तक रहने का अनुमान है। पिछले साल निर्यात करने वाली बागों की सबसे अधिक संख्या नाशिक जिले की थी। नाशिक के 36,000 बागों, सांगली के 2,215, सातारा के 474, पुणे के 1,508, नगर के 504, लातूर के 130, सोलापुर के156 और उस्मानाबाद जिले के 237 बागों से अंगूर निर्यात किया गया था।
अंगूर के बाग 18 महीने में तैयार होते है और एक साल में फसल आनी शुरू हो जाती है। एक फसल तैयार होने में 110 दिन लगते हैं। अंगूर के बाग से किसान साल में दो बार कटाई करते हैं। जो किसान अगैती फसल लेते हैं वे जून-जुलाई में कटाई करते हैं और इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में कटाई होती है, लेकिन इस साल बारिश के कारण फसल में देरी हुई जिससे कटाई 10 अक्टूबर से शुरू हुई और तभी बारिश शुरू हो गई जिसने फसल को पूरी तरह बरबाद कर दिया।
महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश से झड़े अंगूर