नयी दिल्ली। कृषि आँकड़ों के लिए नयी प्रौद्योगिकी अपनाने की जरुरत है। मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने कृषि सांख्यिकी के 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यहाँ सोमवार, 18 नवम्बर 2019 को यह बात कही।
उन्होंने कहा कि विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था में कृषि आँकड़ों को जुटाना एक बड़ी चुनौती है तथा नीति निर्माण के लिए वृहद आंकड़े एवं कृत्रिम मेधा जैसी नयी तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता वाले आँकड़ों को पेश करने के लिए, यह देखने की जरुरत है कि आँकड़े कैसे एकत्र किये गये है।
श्री श्रीवास्तव ने यहाँ कृषि संबंधी आँकड़ों पर वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ''भले ही देश की जीडीपी में कृषि का योगदान लगभग 17 प्रतिशत है, लेकिन देश का लगभग 50 प्रतिशत श्रमबल कृषि पर ही निर्भर है। हमारे पास बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था है और एक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को मापना एक बड़ी चुनौती होती है जो सांख्यिकीय प्रणाली को सामना करना पड़ता है।'' देश की विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था और सांख्यिकीय ढांचा, आँकड़ों के विकास और संग्रहण में चुनौती पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की मशीनरी दिन-प्रतिदिन इन चुनौतियों का सामना कर रही है।
पारंपरिक आँकड़ों की माँग में बढ़ोतरी जारी होने की बात रखते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि गुणवत्ता वाले आँकड़ों की आवश्यकता है क्योंकि निर्णय उस जानकारी के आधार पर लिए जाते हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव श्री श्रीवास्तव ने आगे कहा, ''यदि आप जलवायु परिवर्तन और कृषि और किसानों पर इसके प्रभाव को देखना चाहते हैं, तो हमें वास्तव में वृहद आँकड़े, कृत्रिम मेधा अथवा जो भी नया और समीचीन तकनीक का उपयोग करते हुए गैर-समावेशी तरीकों से आँकड़ों को जुटाने की आवश्यकता है। आप उन्हें अपनाएं तो हम नीति निर्माण के लिए अधिक वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि आँकड़ों के लिए नयी प्रौद्योगिकी अपनाने की जरुरत: मुख्य सांख्यिकीविद