किसानों को उनके हक की पूरी राशि मिले इसलिये अनुदान डीबीटी द्वारा देना सुनिश्चित किया गया: वित्त मंत्री

The Union Minister for Finance and Corporate Affairs, Smt. Nirmala Sitharaman at the inauguration of the 6th World Congress on Rural and Agricultural Finance, organised by the NABARD, APRACA and Government of India, in New Delhi on November 12, 2019.
नयी दिल्ली। किसानों को उनका हक की पूरी राशि मिले इसलिये केन्द्र सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान डीबीटी द्वारा देना सुनिश्चित किया गया है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार, 12 नवंबर 2019 को यहाँ ग्रामीण और कृषि वित्त पर आयोजित 6वीं विश्व कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर यह बात कही। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास (नाबार्ड) और एशिया-प्रशांत ग्रामीण कृषि और ऋण संघ (एपीआरएसीए) ने संयुक्त रूप से किया।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों को दी जाने वाली विभिन्न सहायता के मामले में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो इसके लिये डिजिटल तरीकों का उपयोग करते हुये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डी.बी.टी.), आधार का उपयोग करते हुये सुनिश्चित किया कि मदद की राशि सीधे वास्तविक व्यक्ति के बैंक खाते में पहुँचे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देश के सभी किसानों को वार्षिक 6,000 रुपये दिये जा रहे हैं। यह राशि सीधे किसानों के खाते में जमा की जा रही है। हालांकि कुछ राज्य सरकारें भी अपनी तरफ से किसानों को नकद सहायता उपलब्ध करा रही हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुये कहा कि यहाँ किसानों को 7,000 रुपये अतिरिक्त मिल रहे हैं इस प्रकार कुल 13,000 रुपये तक की सहायता उपलब्ध हो रही है।
वित्तमंत्री ने कहा कि उन्होंने बजट में 10 हजार किसान उत्पादक संगठन बनाने की घोषणा की थी ताकि किसानों को आसानी से संस्थागत वित्तपोषण मिल सके।
कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव देबाशीष पांडा ने इस अवसर पर कहा कि समावेशी और सतत विकास के लिये वित्तीय समावेश पर जोर दिया। इस मामले में उन्होंने कहा कि जनधन खाते, आधार संख्या और मोबाइल (जैम) तीनों के आने से वित्तीय समावेश का बेहतर लाभ मिल सकेगा।
नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. हर्ष कुमार भानवाला ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि ''देश में हर साल 20 अरब डालर का कर्ज छोटे और सीमांत किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। किसान उत्पादक संगठन की संख्या बढ़ने के साथ इसमें और वृद्धि होगी। डॉ. भानवाला ने इस अवसर पर नाबार्ड के सबसे बड़े स्वयं सहायता समूह-बैंक संपर्क कार्यक्रम का लाखों ग्रामीण महिलाओं को लाभ हुआ है। उन्होंने घोषणा की कि इस कार्यक्रम को जल्द ही डिजिटल प्लेटफार्म पर ले जाया जायेगा।