किसान पराली न जलाकर अन्य विकल्प अपनाएं: मुख्यमंत्री श्री सिंह

Burning of crop residues Parali
पंजाब में पिछले साल की तुलना में पराली जलाने के 30 प्रतिशत मामले बढ़े
चंडीगढ़, शनिवार, 2 नवम्बर 2019। किसान पराली न जलाकर अन्य विकल्प अपनाएं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य के किसानों ये यह अपील की है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाए जाने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन बढ़ते वायु प्रदूषण से आम जनता का जीना दुश्वार हो रहा है। एनसीआर में लोगों का सांस लेना भी दूभर हो गया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे पराली न जलाकर अन्य विकल्प अपनाएं। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, पंजाब में 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक पराली जलाने के 19,860 से अधिक मामले सामने आए हैं। अधिकारियों ने कहा कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान सामने आए मामलों की अपेक्षाकृत यह आँकड़ा 30 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल पंजाब में धान की कटाई के मौसम में कुल 50,495 मामले देखे गए। यहाँ कटाई का सत्र 15 नवंबर तक रहता है।
पंजाब और हरियाणा के किसानों की ओर से आमतौर पर फसल अवशेषों को जलाने से वार्षिक 30 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान होता है। इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ और श्वसन संक्रमण का भी बड़ा जोखिम रहता है। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) व इसके सहयोगी संस्थानों का कहना है कि इस धुंए से श्वसन रोग, खासकर बच्चों में काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब के तरनतारन जिले में सबसे अधिक 2,520 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए। इसके बाद फिरोजपुर में 2,269 और संगरूर जिले में 2,157 मामले दर्ज किए गए। पठानकोट जिले में सबसे कम 2 मामले देखे गए।
पंजाब कृषि विभाग के अनुसार, किसानों ने अभी तक कुल 110 लाख टन धान की फसल काट ली है, जबकि 70 लाख टन अभी भी बची है। कृषि सचिव के.एस. पन्नू ने मीडिया को बताया, 'इस बार हम उम्मीद कर रहे हैं कि पूरे सत्र में अवशेषों के जलने के मामलों में गिरावट आएगी।'
हरियाणा में पराली जलाने के 4,200 मामले सामने आए
इसके अलावा पड़ोसी राज्य हरियाणा में 30 अक्टूबर तक पराली जलाने के कुल 4,200 मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश में पिछले वर्ष इनकी संख्या 4,360 थी। करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, जींद, पलवल और पानीपत जिलों में 13 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती होती है। ऐसे में इन जिलों में विशेषकर फसल अवशेष जलाने के मामले देखे जाते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में लगभग 50 प्रतिशत फसल काट ली गई है।
हरियाणा और पंजाब में किसानों की ओर से जलाई जाने वाली पराली से उठने वाले धुंए से दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है।