नयी दिल्ली। किसान अन्नदाता से ऊर्जादाता भी बनें। केन्द्र सरकार किसानों की चिंताओं और ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुये उनकी प्रगति के लिये कई कार्यक्रम चला रही है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार, 12 नवंबर 2019 को यहाँ ग्रामीण और कृषि वित्त पर आयोजित 6वीं विश्व कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर इस आशय के विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास (नाबार्ड) और एशिया-प्रशांत ग्रामीण कृषि और ऋण संघ (एपीआरएसीए) ने संयुक्त रूप से किया।
निर्मला सीतारमण ने किसानों से ऊर्जा क्षेत्र में योगदान की जरूरत पर जोर देते हुये कहा कि किसानों को 'अन्नदाता' के साथ साथ 'ऊर्जादाता' भी बनने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण जीवन और कृषि क्षेत्र पर सामान्य से अधिक निर्भरता को स्वीकार करते हुये कई क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन और जल संबंधी दबाव वाले बिंदुओं पर गौर करने और किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने पर भी जोर दिया।
वित्त मंत्री ने इस मौके पर किसानों से सौर ऊर्जा क्षेत्र में योगदान करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों को पवन ऊर्जा, छतों और बंजर भूमि पर सोलर पैनल लगाने जैसे क्षेत्रों में भी आगे आना चाहिये ताकि किसान अन्नदाता के साथ साथ ऊर्जादाता भी बन सकें।
वित्त मंत्री ने कहा कि लद्दाख को सौर ऊर्जा का केन्द्र बनाने की दिशा में काम जारी है। अगले वर्ष जनवरी, फरवरी से इस दिशा में जोर-शोर से काम शुरू होगा। अभी वहाँ जमीनी स्तर पर इसकी तैयारी की जा रही है। यह नवगठित केन्द्र शासित प्रदेश भौगोलिक रुप से सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। सरकार ने इस वर्ष अगस्त में अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करने के साथ ही दोनों को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया है। अब सरकार इन दोनों केन्द्र शासित प्रदेशों को पूरे देश के साथ एकीकृत करने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने नाबार्ड द्वारा लद्दाख के क्षेत्र में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता भी जताई।
किसान 'अन्नदाता' से 'ऊर्जादाता' भी बनें: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण