नई दिल्ली, शनिवार, 16 नवम्बर 2019। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार पंजाब और हरियाणा से उस कानून में बदलाव करने को कह सकती है, जिसमें धान की बुआई 15 जून से पहले करने पर रोक लगाई गई है। पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि यदि किसानों को 15 दिन पहले बुआई का मौका मिल जाए तो दिवाली के आसपास पराली जलाने की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है। इस संबंध में राज्यों से शुरुआती बातचीत भी की गई है।
पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए कानून बनाए हुए हैं। इनमें पंजाब प्रिजर्वेशन ऑफ सब-सॉयल वॉटर एक्ट-2009 और हरियणा प्रिजेर्वेशन ऑफ सब-सॉयल एक्ट-2009 शामिल हैं। दोनों कानून के तहत पंजाब में किसान धान की बुआई 20 जून और हरियाणा में 15 जून से पहले नहीं कर सकते, जबकि पूर्व में किसान मई के आखिर में धान की बुआई शुरू कर देते थे और जून के पहले हफ्ते में करीब-करीब खत्म कर लेते थे।
भूजल दोहन रोकने के लिए बनाए थे कानून
बिजली नि:शुल्क मिलने के कारण मई के आखिर में बुआई शुरू करने पर बड़ी मात्रा में भूजल का दोहन होता था। चूंकि आमतौर पर 15 जून के बाद बारिश हो जाती है और खेतों में नमी आ जाती है, लिहाजा भूजल का दोहन कम होता है। इसलिए ये कानून बनाए गए।
फसल की कटाई टलने से पराली संकट बढ़ा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि जब से ये कानून बने हैं, पराली की समस्या बढ़ी है। इसके पीछे दो कारण स्पष्ट दिखते हैं। पहला, धान की बुआई जल्द होने से फसल की कटाई जल्दी होती थी। 15 अक्टूबर तक खेत लगभग खाली हो जाते थे। इससे अगली फसल के लिए किसानों को पर्याप्त समय मिल जाता था। उन्हें पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। दूसरा, यदि पराली जलाई भी तो दिवाली दूर होने के कारण प्रदूषण के दो बड़े कारण साथ नहीं पड़ते थे और हवा अधिक जहरीली होने से बच जाती थी।
हवा की गति भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार
अधिकारी के अनुसार एनसीआर में हवा की गति थमने का मौसम भी अक्टूबर के आखिर में होता है। इस प्रकार तीन कारण एक साथ होते हैं। दीपावली, पराली और हवा की गति धीमी होना। यदि ये स्थितियाँ आपस में न टकराएं तो भी समस्या काफी हद तक कम हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस साल लोकसभा चुनाव होने के चलते पंजाब ने बुआई पर रोक की तारीख 13 जून तय की थी लेकिन यह गैर-जरूरी है। सरकारें सुनिश्चित करें कि जून के पहले सप्ताह में बुआई हो जाए, ताकि पराली की समस्या दिवाली से न जुड़े।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढऩे की धान की बुआई भी है एक बड़ी वजह