चीनी उत्पादन 20 प्रतिशत घटकर 2.6 करोड़ टन रहने के आसार: इस्मा

Sugar
मुंबई। पेराई सत्र 2019-20 में घरेलू चीनी उत्पादन करीब 20 प्रतिशत गिरकर लगभग 2.6 करोड़ टन रहने के आसार हैं, जबकि पिछले साल यह उत्पादन 3.3 करोड़ टन से भी अधिक था। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने बुधवार, 6 नवम्बर 2019 को यह जानकारी दी है।
गन्ने का क्षेत्रफल 48.3 लाख हेक्टेयर आंका गया है। जुलाई में इस्मा द्वारा वर्ष 2019-20 के लिए जताए गए शुरुआती अनुमान की तुलना में चीनी का यह पूर्वानुमान लगभग 8 प्रतिशत कम है। पिछले अनुमान में चीनी उत्पादन 2.82 करोड़ टन आंका गया था। यह अनुमान दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को सामान्य मानकर पहले उपग्रह मानचित्रण पर आधारित था।
चीनी उत्पादन में विभिन्न कारणों से गिरावट आई है। सितंबर में महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ भी इन कारणों में शामिल है जिसकी वजह से फसल को भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा पेट्रोल में मिलाने के लिए एथनॉल उत्पादन की घरेलू क्षमता में भी इजाफा हुआ है। इस्मा ने अपने जुलाई के अनुमान में एथनॉल उत्पादन के लिए बी-भारी शीरे और गन्ने के रस के संभावित प्रयोग को कारण नहीं माना था। अब अनुमान लगाया गया है कि आने वाले सत्र में इसकी वजह से चीनी उत्पादन में लगभग 8.5 लाख टन की कमी आएगी।
इस्मा की रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 सत्र के लिए जल्द ही तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा एथनॉल खरीद की निविदा खोली जाने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार बी-भारी शीरे/ गन्ने के रस से उत्पादित एथनॉल की बोली अधिक रहने की संभावना है इसलिए इस क्षेत्र में गन्ने के उपयोग में तेजी आएगी। एथनॉल धीरे-धीरे गन्ने की परंपरागत मूल्य शृंखला को बिगाड़ रहा है और मौसम के उतार-चढ़ाव तथा निर्यात बाजार के झटकों से चीनी क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक व्यावहारिक विकल्प का भरोसा देता है। हालांकि इस्मा ने कहा है कि बोली खोली जाने के बाद एथनॉल के लिए गन्ना उपयोग की मात्रा का निर्धारण किया जा सकता है, इसलिए अगर जरूरत पड़ती है तो इस्मा अनुमान में संशोधन कर सकता है।
इस्मा ने कहा कि भारत के वार्षिक चीनी उत्पादन में संयुक्त रूप से 35-40 प्रतिशत का योगदान करने वाले महाराष्ट्र और कर्नाटक में पिछले साल सूखे और इस साल बाढ़ की वजह से गन्ने की फसल प्रभावित हुई थी जिसके परिणामस्वरूप फसल कम रहने के आसार हैं। महाराष्ट्र में बाढ़ से प्रभावित कोल्हापुर, सांगली, सतारा और पुणे में लंबे समय तक रहे जलभराव के कारण फसल नष्ट हुई है। ऐसे में 2019-20 के लिए गन्ना क्षेत्रफल पिछले साल के 11.5 लाख हेक्टेयर की तुलना में 33 प्रतिशत घटकर 7.76 लाख हेक्टेयर रह गया है। वर्ष 2018-19 में एक करोड़ टन से अधिक चीनी उत्पादन की तुलना में इस वर्ष उत्पादन 40 प्रतिशत गिरकर 62 लाख टन रहने का अनुमान है। 
कर्नाटक में अगस्त 2019 के दौरान हुई लगातार बारिश से बेलगाम और बीजापुर जिलों में उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र पर असर पड़ा है। इसलिए गन्ने का क्षेत्रफल वर्ष 2018-19 के सत्र में 5 लाख हेक्टेयर के मुकाबले लगभग 4 लाख हेक्टेयर रहने की संभावना है। इसलिए चीनी उत्पादन पिछले साल के 44.3 लाख टन के मुकाबले 32 लाख टन के स्तर पर रहने के आसार हैं।
देश के शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में 2018-19 की तुलना में क्षेत्रफल कम रह सकता है। हालांकि अधिक उपज देने वाली किस्मों के क्षेत्र से इतर फसल और मौसम की स्थिति को देखते हुए प्रति हेक्टेयर उपज में सुधार की संभावना है। इसलिए उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 1.2 करोड़ टन तक रहने का अनुमान है जो लगभग पिछले साल के 1.182 करोड़ के समान है।