कोलकाता। चाय उद्योग में संगठित क्षेत्र को असंगठित क्षेत्र से बड़ा खतरा है। चाय बोर्ड के अध्यक्ष प्रभात कुमार बेजबरुआ ने शुक्रवार, 9 नवम्बर 2019 को यहाँ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) चाय कॉनक्लेव में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि संगठित क्षेत्र को छोटे चाय उत्पादकों (स्मॉल टी ग्रोअर्स-एसटीजी) और चाय की पत्ती खरीद कर चाय बनाने वाली कंपनियों (बॉट लीफ फैक्ट्रीज-बीएलएफ) के संयोजन से 'सबसे बड़ा खतरा' है। ये कम लागत के स्तर पर काम करते हैं। देश के वार्षिक उत्पादन में छोटे चाय उत्पादकों की लगभग 48 प्रतिशत हिस्सेदारी है जो वर्ष 2020 के अंत तक बढ़कर 50 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
श्री बेजबरुआ ने कहा, ''संगठित क्षेत्र के सामने सबसे बड़ा खतरा एसटीजी-बीएलएफ गठबंधन से है। उनकी लागत संरचना संगठित क्षेत्र की तुलना में बहुत कम है, क्योंकि संगठित क्षेत्र को कुछ वैधानिक दायित्वों और खर्चों को पूरा करना होता है।'' उन्होंने कहा कि चाय बागान के पुराने होते जाने और मिट्टी की उर्वरता में कमी आने की स्थिति के साथ-साथ संगठित चाय क्षेत्र सख्त श्रम कानूनों से भी जूझता है। इसके अलावा चाय उद्योग के सामने दूसरी बड़ी चुनौती माँग-आपूर्ति का अंतर है।
चाय उद्योग में संगठित क्षेत्र को असंगठित क्षेत्र से बड़ा खतरा: चाय बोर्ड के अध्यक्ष