नयी दिल्ली, बुधवार, 13 नवम्बर 2019। चालू रबी सत्र में फसलों की बुआई देर से शुरू होने के कारण पिछले साल की अपेक्षा इसमें कमी आई है। बेमौसम बारिश के कारण खरीफ सत्र की दलहन फसल को तो नुकसान पहुँचा ही है, साथ ही रबी सत्र की दलहन फसल की बुआई भी पिछड़ गई है। मौसम में बदलाव के मद्देनजर दलहन उत्पादन में भारत के लिए आत्मनिर्भरता बरकरार रख पाना मुश्किल होगा और देश में दलहन आयात की मात्रा बढ़ेगी। दलहन फसल को प्रोत्साहित करने वाली सरकारी नीतियों के कारण दलहन उत्पादन में देश ने महज एक साल पहले ही आत्मनिर्भरता हासिल की थी जो इस बार की बारिश में फिसलती नजर आ रही है। दरअसल अक्टूबर और नवंबर महीने में हुई बेमौसम बारिश ने फसलों को दोहरा नुकसान पहुँचाया है। एक तरफ खरीफ सत्र की तैयार फसल बरबाद हुई है तो दूसरी तरफ रबी सत्र की फसलों की बुआई देर से शुरू हो सकी है। इसका असर बुआई के आँकड़ों मेंं दिखाई दे रहा है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार चालू रबी सत्र में बुधवार, 6 नवम्बर 2019 तक दलहन फसलों की बुआई पिछले साल की अपेक्षा करीब 12 प्रतिशत कम है। देश भर में 27.845 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हो सकी है, जबकि पिछले साल इस अवधि में 39.926 लाख हेक्टेयर, 2017-18 में 54.338 लाख हेक्टेयर, 2016-17 में 45.452 लाख हेक्टेयर और 2015-16 में 37.272 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हुई थी। पिछले पाँच सालों (2013-14 से 2017-18) में इस समय तक देशभर में दलहन फसलों का औसत क्षेत्रफल 41.285 लाख हेक्टेयर रहा है। इस औसत के मुकाबले चालू रबी सत्र में अभी तक दलहन फसलों की बुआई 13.44 प्रतिशत कम रही है।
प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में भी दलहन फसलों की बुआई पिछड़ी हुई है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अब तक मध्य प्रदेश में महज 1.58 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक यहाँ 12.26 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। मध्य प्रदेश में रबी सत्र की दलहन फसलों का कुल क्षेत्रफल 43.384 लाख हेक्टेयर है। महराष्ट्र में पिछले साल अब तक 2.44 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हो चुकी थी, जबकि इस साल क्षेत्रफल केवल 0.23 लाख हेक्टेयर ही रहा है। उत्तर प्रदेश में भी पिछले साल के 5.511 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार 4.372 लाख हेक्टेयर में ही दलहन फसलों की बुआई हुई है। हालांकि कर्नाटक और राजस्थान में दलहन की बुआई पिछले साल की अपेक्षा अधिक हुई है। राजस्थान में नवंबर के पहले सप्ताह तक 8.368 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन फसलों की बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 5.293 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। कर्नाटक में इस साल अब तक 6.460 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 4.64 लाख हेक्टेयर में बुआई हो पाई थी।
वित्त वर्ष 2018-19 में देश का कुल दलहन आयात 23.7 लाख टन रहा, जबकि 2017-18 में 53.7 लाख टन और 2016-17 मेंं 63.4 लाख टन दलहन आयात किया गया था। चालू वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच देश में 11.2 लाख टन दलहन आयात किया गया है। वर्ष 2019-20 में देश में लगभग 2.6 करोड़ टन दलहन की माँग रहेगी जिसे पूरा करने के लिए आयात बढ़ाना होगा। दलहन आयातक प्रवीण डोंगरे के अनुसार पिछले साल देश में जितना बफर स्टॉक था, करीब उतना ही आयात किया गया था लेकिन इस साल दलहन फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इसे देखते हुए आयात बढऩा तय है। हालांकि इसका असर कीमतों पर कैसा रहेगा, यह वैश्विक कीमतों के आधार पर ही तय हो सकेगा।
चालू रबी सत्र में फसलों की बुआई भले ही पिछड़ी हुई है, लेकिन कृषि मंत्रालय के अधिकारियों को भरोसा है कि अगले एक-दो सप्ताह में क्षेत्रफल सही हो जाएगा क्योंकि देर से शुरू हुई बारिश के कारण खेतों को तैयार करने में समय लगा है। अब बुआई ने गति पकड़ी है इसीलिए मौजूदा आँकड़ों को देखकर पूरे सत्र का अनुमान लगाना सही नहीं होगा। चालू रबी सत्र की बुआई के आँकड़ों के अनुसार अब तक देश में कुल 95.35 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई हुई है जो पिछले साल की अपेक्षा 16.89 प्रतिशत कम है। पिछले साल नवंबर के पहले सप्ताह के आखिरी तक देश में रबी का क्षेत्रफल 112.24 लाख हेक्टेयर पहुँच चुका था। रबी सत्र की फसलों का कुल औसत क्षेत्रफल 633.94 लाख हेक्टेयर है। कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में रिकॉर्ड 29.11 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। खरीफ सत्र में 14.79 करोड़ टन और रबी सत्र में 14.32 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान शामिल है।
चालू रबी सत्र में पिछड़ी दलहन की बुवाई