नयी दिल्ली। इस साल मॉनसून सत्र के लंबा खिंचने से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और पंजाब के साथ-साथ मध्य प्रदेश में खरीफ की खड़ी फसल को भारी नुकसान पहुँचा है। देश में खरीफ उत्पादन पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है। मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने बुधवार, 6 नवम्बर 2019 को यह जानकारी दी है।
स्काईमेट के अनुसार हालांकि अक्टूबर में मॉनसून देर करके लौट चुका है, लेकिन कई जगहों पर अब भी काफी बारिश हो रही है। देश में खरीफ उत्पादन पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।
स्काईमेट ने कहा है कि फसल को सर्वाधिक नुकसान पश्चिम मध्य प्रदेश में हुआ है जहाँ 61 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। मध्य प्रदेश में जहाँ 40 से 50 प्रतिशत सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई, वहीं गुजरात में 30 से 40 प्रतिशत मूँगफली और 30 प्रतिशत तक कपास की फसल को नुकसान पहुँचा है। मध्य प्रदेश देश का सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक राज्य है। महाराष्ट्र में गन्ना, कपास, धान, सोयाबीन, अरहर, मूँगफली आदि फसलों को सर्वाधिक नुकसान पहुँचा है।
स्काईमेट का कहना है कि महाराष्ट्र में 7 सितंबर से 13 सितंबर के दौरान हुई अत्यधिक बारिश से फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में 66 प्रतिशत अधिक बारिश हुई जो 2010 के बाद सर्वाधिक रही। इससे गुजरात में मूँगफली की 30 से 40 प्रतिशत फसल और कपास की 20-30 प्रतिशत फसल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। कर्नाटक में भी पूरी उपज और खरीफ फसलों की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचने का डर है। यहाँ सितंबर के मध्य में भारी बारिश हुई थी।
केन्द्र सरकार द्वारा कुछ महीने पहले जारी खाद्यान्न के पहला अग्रिम अनुमान के अनुसार 2019 के खरीफ सत्र में खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल से महज 0.80 प्रतिशत घटकर 14.057 करोड़ टन रह सकता है। 2019 में खरीफ फसल का क्षेत्रफल 10.627 करोड़ हेक्टेयर रहा जो पिछले साल से महज 0.52 प्रतिशत कम है।
भारी बारिश से खड़ी खरीफ फसल को हुए नुकसान से घट सकता है उत्पादन: स्काईमेट