नयी दिल्ली। भारतीयों में आयातित कैलिफोर्निया अखरोट की माँग तेजी से बढ़ी है। कैलिफोर्निया अखरोट आयोग (कैलिफोर्निया वॉलनट कमीशन-सी.डब्ल्यू.सी.) की अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ विपणन निदेशक पामेला ग्रेविएट ने रविवार, 10 नवम्बर 2019 को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान कैलिफोर्निया के अखरोट का आकर्षण तेजी से बढ़ा है। वर्तमान में दक्षिण एशिया, अमरीका से आयातित इस अखरोट का सबसे बड़ा उपभोक्ता बन चुका है। विशेषकर भारतीयों में कैलिफोर्निया से आयातित अखरोट की माँग तेजी से बढ़ी है।
उन्होंने कहा, ''5 साल पहले हम भारतीय बाजार में उतरे थे। उसके बाद से हम तेजी से आगे बढ़े हैं। उस समय भारतीय बाजार में एक भी कैलिफोर्निया का अखरोट नहीं था। आज हम भारतीय बाजार में 10,000 टन कैलिफोर्निया का अखरोट भेज रहे हैं।''
पामेला ग्रेविएट ने कहा, ''दक्षिण एशिया में भारत कैलिफोर्निया के अखरोट का सबसे बड़ा बाजार बन गया है। अधिकतर दक्षिण एशिया अखरोट के बारे में नहीं जानते। भारत में तो कश्मीर में तो अखरोट का खुद का उत्पादन होता हैं। वहीं अन्य देशों में लोग अखरोट के बारे में नहीं जानते।''
पामेला ग्रेविएट ने बताया कि अखरोट में पौध आधारित अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। वर्ष 1987 में स्थापित, कैलिफोर्निया वालनट कमीशन (सीडब्ल्यूसी) में 4,800 से अधिक उत्पादक और करीब 90 सहयोगियों का संगठन है। कैलिफोर्निया की केन्द्रीय घाटी की धूप जलवायु अखरोट उगाने के लिए आदर्श है। यहाँ कई पीढिय़ों के परिवारों अखरोट के बागों के मालिक हैं। करीब दो-तिहाई वैश्विक अखरोट व्यापार कैलिफोर्निया से आता है। सीडब्ल्यूसी अखरोट की खेती के भविष्य के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास, अखरोट में पोषण मूल्य को बढ़ाने, निर्यात बाजार विकास पर योजनाबद्ध ढंग से काम करता है। उन्नत प्रजातियों के विकास में अनुसंधान और विकास, कीट-सूत्रकृमि व रोग प्रतिरोधी प्रजातियाँ विकसित करने, बेहतर बाग प्रबंधन के लिए कई विश्वविद्यालयों के साथ काम कर रहा है। 11 देशों में, 55 से अधिक संस्थानों और 160 से अधिक वैज्ञानिक प्रकाशनों ने अखरोट के स्वास्थ्य दावों का समर्थन किया है।
यहाँ उल्लेखनीय है कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी 'अमरीका पहले' की नीति को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था कि भारत द्वारा अमरीकी उत्पादों पर जो शुल्क लगाए जा रहे हैं उनका देश अब उसे स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है। इसके बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर तनाव बढ़ा है। ट्रंप सरकार ने भारत को अपने तरजीह की सामान्य प्रणाली (जी.एस.पी.) के तहत व्यापार में मिलने वाली सुविधा समाप्त कर दी थी। उसके बाद 5 जून को भारत ने अखरोट, बादाम और सेब सहित 28 अमरीकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाया था।
इन्हीं बातों के चलते भारत और अमरीका के बीच अपने व्यापार मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत चल रही है।