भारत में कृषि क्षेत्र का रीअल टाईम डाटा उपलब्ध नहीं है: प्रो. चंद

Professor Ramesh Chand Member of Niti Aayog Government of India
नयी दिल्ली। भारत में कृषि क्षेत्र का रीअल टाईम डाटा उपलब्ध नहीं है। नीति अयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कृषि सांख्यिकी के 8वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यहाँ सोमवार, 18 नवम्बर 2019 को यह बात कही।
प्रो. रमेश चंद ने कहा कि गुणवत्ता आँकड़ों की उपलब्धता में पर्याप्त समय के अंतर होने का एक कारण यह है कि, कल्याणकारी देश अभी भी राजस्व अधिकारियों से प्राप्त होने वाले मौखिक जानकारी पर निर्भर है।
उन्होंने कहा, ''यह कृषि में अधिक ऊजागर है जहाँ अधिकांश गतिमान स्थितियों के बारे में 'रीअल टाईम' आँकड़ा उपलब्ध नहीं है। उदाहरण के लिए, हम अक्सर भोजन की बर्बादी की बात करते हैं। लेकिन, हमारे पास इस बात का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है कि विकासशील देशों में खाद्य उत्पादन कितना बर्बाद होता है। साधारण भूमि उपयोग के आँकड़े चार पाँच वर्षो के अंतर के साथ उपलब्ध हैं। सिंचाई के आँकड़ों के मामले में भी ऐसा ही है।''
उन्होंने कहा, ''हमने आँकड़ा एकत्र करने के लिए रिमोट सेंसिंग (सुदूर संवेदी उपकरण) और उपग्रहीय क्षेत्र में काफी उन्नति की है। कृषि आँकड़ों में इनका उपयोग बहुत कम है।''
उन्होंने कहा कि भारत ने कुछ विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित सांख्यिकीविदों को तैयार किया है और इसके परिणामस्वरूप सांख्यिकीय प्रणाली का एक पूरा सेट तैयार किया जा सका है। उन्होंने कहा, ''हालांकि यह अब अतीत की बात है, मुझे लगता है कि हम विकसित देशों में कृषि के आँकड़ों के साथ तालमेल नहीं रख सकते।'' उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों के दौरान, लगभग सभी क्षेत्रों में सांख्यिकीय आँकड़ों, संकेतक, गुणवत्तापूर्ण और सांख्यिकीय अनुप्रयोगों की उपलब्धता के मामले में विकसित और विकासशील देशों के बीच एक बड़ा अंतर पैदा हुआ है।