भाजपा का प्रदेशव्यापी जिला स्तरीय किसान आक्रोश आंदोलन 4 नवंबर 2019 को

Ranveer Singh Rawat Bhartiya Janta Party Kisan Morcha Madhyapradesh President
भोपाल। मध्यप्रदेश में विपक्षी दल के रूप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) निरंतर कांग्रेस सरकार के खिलाफ धरना, प्रदर्शन और आंदोलन करती रही है। एक बार फिर भाजपा सोमवार, 4 नवम्बर 2019 को किसानों की समस्याओं को लेकर पूरे प्रदेश में किसान आक्रोश आंदोलन करने जा रही है। इससे पहले किसानों की समस्याओं को लेकर शुक्रवार, 20 सितंबर 2019 को पूरे प्रदेश में विधानसभा स्तर पर धरना और ज्ञापन दिया गया था। उससे पहले कमलनाथ सरकार की वादाखिलाफी को लेकर कुंभकर्णी नींद में सो रही कांग्रेस सरकार को जगाने के लिये पूरे प्रदेश में बुधवार, 11 सितम्बर 2019 को घंटानाद आंदोलन किया गया था।
भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि मध्यप्रदेश की कमल नाथ सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। विशेषकर कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव से पूर्व जारी किए गए चुनावी घोषणा पत्र (जिसे कांग्रेस वचन पत्र कहती है), में किसानों से किए गए वादों से मुकर गई है।
भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रावत का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ का वचन देकर किसानों को छला और सत्ता पाई। 17 दिसम्बर 2018 को कमल नाथ से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और उसी दिन किसानों की कर्ज माफी का निर्णय तो लिया लेकिन लगभग 10 माह बीत जाने के बाद भी आज दिनांक तक मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार 25 प्रतिशत किसानों का भी 2 लाख रुपये तक की कर्ज माफी नहीं कर पायी है। प्रदेश में कर्ज माफी, कागजी निर्णय बनकर रह गयी है। कर्ज माफी के कारण भरोसे में किसान फसल बीमा सहित अन्य सुविधाओं से भी वंचित रह गया, डिफाल्टर हो गया। सरकार की किसान विरोधी नीतियों के फलस्वरूप किसानों में निराशा और हताशा का भाव है जिसके कारण वे आत्महत्या करने पर विवश हो रहे हैं, जो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्री रावत ने कहा कि सरकार द्वारा 12 घण्टे बिजली देना तो दूर बिजली कटौती की जा रही है। बिजली बिलों को हाफ करने के वायदे के विपरीत और बिजली कटौती होने के बावजूद बढ़े हुए बिजली बिल आने शुरू हो गये हैं।
किसानों की समस्याओं को लेकर ये हैं भारतीय जनता पार्टी के कमल नाथ सरकार पर आरोप और माँगें
01. आपदा प्रबंधन में नाकाम रही मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार
इस वर्ष प्रदेश के 52 जिलों में से 32 जिलों में अतिवर्षा से आई बाढ़ में हजारों घर बह गए, मवेशी, गाय, भैंस आदि हजारों की संख्या में बहकर मर गए। किसानों के घरों में रखी सोयाबीन, गेहूँ, सरसों, लहसुन, चना आदि फसलें नष्ट हो गई। घरों की तबाही ऐसी हुई की सर छुपाने की जगह नहीं बची। मुख्यमंत्री, मंत्री प्रभावित गाँवों में समय पर नहीं पहुँचे। सरकार आपदा प्रबंधन में पूर्ण रूप से नाकाम रही है।
प्रदेश में इस वर्ष अतिवर्षा हुई है। अतिवर्षा के कारण इन जिलों की मुख्य फसलों में सोयाबीन, मक्का, मूँग, उड़द, कपास, केला, संतरा व सब्जियों की खेतों में पड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं। इन सभी जिलों में सरकार कोई सर्वे न कराकर उसका शत-प्रतिशत नुकसान मानकर किसानों को आरबीसी की पुस्तिका में उल्लेखित मुआवजा प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये दिया जाए।
बाढ़ के अतिरिक्त सोयाबीन की फसल अफलन का भी षिकार हुई है। फसलों को यलो मोजैक, सफेद मच्छर, लाल मकड़ी, इल्ली सहित अन्य कीट-व्याधि से भी नुकसान हुआ है। इन सभी फसलों को शत-प्रतिशत नुकसान मानकर किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये की मुआवजा/ क्षतिपूर्ति राशि तुरंत दी जाए ताकि किसान रबी फसल की तैयारी में जुट सकें।
02. मध्यप्रदेश सरकार फसल बीमा दिलाने के लिए प्रभावी कार्यवाही करे
अतिवर्षा के कारण नष्ट हुई फसलों को नुकसानी के एवज में बीमा राशि बिना किसी बहाने के भुगतान करें। इसको मुआवज़े से नहीं जोड़ा जाए। यानि की मुआवज़ा राशि और बीमा राशि दोनों का भुगतान हो।
03. कर्ज़ माफी का वचन निभाए सरकार
कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था, सभी किसानों का 2.00 लाख तक कर्ज़ माफ करेंगे। जिसमें सहकारी बैंक एवं राष्ट्रीयकृत बैंकों का चालू एवं कालातीत कर्ज़ शामिल रहेगा। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने वादा किया था कि सरकार बनते ही 10 दिन में कर्ज़ माफ कर देंगे, नहीं तो मुख्यमंत्री बदल देंगे। 17 दिसम्बर 2018 को शपथ लेने के 9 माह बाद भी किसानों का पूरा कर्ज़ माफ नहीं हुआ और ना ही मुख्यमंत्री ही बदले गए। म.प्र. की कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 25 प्रतिशत किसानों की भी कर्ज़ माफी नहीं कर पायी है। इस कारण किसान भरोसे में फसल बीमा सहित अन्य सुविधाओं से भी वंचित रह गया।
04. कर्ज़ माफी के लिए प्रतीक्षारत किसानों को फसल बीमा का लाभ दे सरकार
 मध्यप्रदेश की कमल नाथ सरकार ने अपने वचन पत्र में सभी किसानों का 2 लाख रुपये तक की कर्ज़ माफी का वचन दिया था। किसान अभी भी कर्ज़ माफी की प्रतीक्षा में हैं। इस कारण वह बीमा प्रीमियम जमा नहीं करा पाया, उसकी बीमा प्रीमियम सरकार को जमा करानी थी जो कि नहीं की गई। इस कारण कर्ज़ माफी की प्रतीक्षा में बैठा हुआ किसान फसल बीमा से वंचित हो रहा है। सरकार उन सभी किसानों को जिनकी बीमा प्रीमियम कर्ज़ माफी की प्रतीक्षा में जमा नहीं हो पाई है, उनको मुआवजा भी दे तथा फसल बीमा राशि का भुगतान भी करे।
05. राज्य में वर्ष 2018 व 19 में पड़े तुषार और पाला से व्यापक स्तर पर रबी फसलों का नुकसान हुआ था। उन सभी किसानों को आज दिनांक तक मुआवज़ा/ क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली है। ओला-पाला पीढ़ित किसानों को तुरंत मुआवज़ा राशि दी जाए।
06. कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जीरो प्रतिशत ब्याज योजना का वास्तविक लाभ देने का वचन दिया था। खरीफ ऋण की डयू-डेट 31 दिसम्बर तय करेगें का वादा किया था, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं किया। म.प्र. के किसान को कालातीत घोषित कर दण्ड ब्याज सहित कर्ज़ की वसूली की जा रही है तथा किसानों को सहकारी एवं राष्ट्रीकृत बैंकों से पुर्न ऋण वितरण भी नहीं हो पा रहा है। वित्त पौषण नहीं होने से किसानों का काम प्रभावित हो रहा है।
07. म.प्र. की कांग्रेस सरकार ने सहकारी संस्थाओं से एन.पी.ए. हुए किसानों की ऋण मॉफी के लिए सहकारी संस्थाओं से ऋण की आधी राशि वहन करने का जबरिया प्रस्ताव अधिकारियों से प्राप्त किया है। ऐसी स्थिति में संस्थाओं में जमा किसानों की अंष पूजी व संस्था का मुनाफा दोनों ही मिलाकर इस आधी राशि की पूर्ति नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में सहकारी संस्थाएँ डूबने के कगार पर आ गई हैं।
08. समस्त अधिसूचित फसलों की खरीदी करे सरकार
राज्य सरकार ने 16 सितंबर 2019 को खरीफ की धान, ज्वार और बाजरा मात्र तीन फसलों की खरीदी हेतु पंजीयन कराने के संबंध में विज्ञापन प्रकाषित किया है। सरकार खरीफ की अन्य अधिसूचित फसलों को भी खरीदने की व्यवस्था करे और खरीदी हेतु आवश्यक कार्यवाही पूरी करे। ज्ञात हो कि पूरा रबी फसल 2018-19 निकल गया। प्रदेश सरकार ने फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं की। ना भावान्तर और ना ही प्रोत्साहन राशि दी है। विपणन वर्ष 2018-19 में ग्रीष्मकालीन मूँग व उड़द की खरीदी भी नहीं की गई जिससे किसानों को औने-पौने दामों में अपनी फसल बेचने को बाध्य होना पड़ा है।
09. मंडियों में किसानों को नगद भुगदान कराए सरकार
कांग्रेस ने चुनाव के पूर्व अपने वचन पत्र में वादा किया था कि हम मंडियों में किसानों को विक्रय की गई फसल का नगद भुगतान कराएंगे। सरकार बने 9 माह बीत गए अभी भी किसान नगद भुगतान के लिए दर-दर भटक रहा है। व्यापारी आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से किसानों को भुगतान कर रहे हैं। जिसके कारण किसान असुविधा महसूस कर रहा है। उसकी छोटी-छोटी आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। जबकि केंद्र सरकार ने कृषि उपज मंडियों से संबंधित क्रय-विक्रय करने वाले व्यापारियों को बैंक से नगद राशि आहरण करने पर कोई पाबंदी नहीं रखी है। 2 प्रतिशत टीडीएस भी समाप्त कर दिया है। मध्यप्रदेश सरकार तत्काल प्रभाव से मंडी प्रांगणों में किसानों से क्रय की गई फसलों का नगद भुगतान सुनिश्चित करे।
10. गत वर्ष समर्थन मूल्य पर मक्का नहीं खरीद पाई सरकार
म.प्र. सरकार ने किसानों की मक्का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी कर किसानों को बाजार उपलब्ध कराना था लेकिन म.प्र. सरकार ने किसानों को मार्केट फोर्सेस के भरोसे छोड़ दिया तथा किसानों की मक्का 1,100 से 1,350 रुपये में ही बिक गई। मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,700 रुपयें क्विंटल था लेकिन म.प्र. की कांग्रेस सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण खरीदी नहीं होने से 250 रुपये क्विंटल बोनस मिलाकर भी सरकार किसानों को समर्थन मूल्य नहीं दिला पायी। पंजीकृत मक्का खरीदी के बाद मक्का के भाव 2,000 से 2,200 रुपये क्विंटल हो गये जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ा। भाजपा ने 1,700 रुपये समर्थन मूल्य पर 500 रुपये क्विंटल बोनस देने का वादा किया था, कांग्रेस ने अभी तक 250 रुपये भी नहीं दिया। हम सरकार से माँग करते हैं कि मक्का सहित सभी अधिसूचित फसलों की खरीदी सुनिश्चित करे।
11. रबी वर्ष 2018-19 में खरीद की गई फसलों का तत्काल भुगतान करे सरकार
रबी विपणन वर्ष 2018-19 में कई समितियों द्वारा चना व सरसों खरीदी का भुगतान किसानों को नहीं किया गया है। यह राशि किसानों को अविलंब दी जाए।
12. गत वर्ष पंजीकृत किसानों को भावान्तर राशि का भुगतान करे सरकार
गत वर्ष पंजीकृत किसानों को ग्रीष्मकालीन मूँग व ग्रीष्मकालीन उड़द की 800 रुपये प्रति क्विंटल, सोयाबीन की 500 रुपये प्रति क्विंटल, प्याज की 400 रुपये प्रति क्विंटल, चना, मसूर तथा सरसों की 100 रुपये प्रति क्विंटल और गेहूँ की 165 रुपये की प्रोत्साहन राशि सरकार अविलंब किसानों के खाते में जमा कराए।
13. फसलों पर बोनस का वचन निभाए सरकार
रबी फसल 2018-19 और खरीफ फसल 2019 निकल गया, प्रदेश सरकार ने गेहूँ के अतिरिक्त किसी भी अन्य फसल पर बोनस नहीं देकर किसानों के साथ धोखा किया है। रबी फसल 2018-19 में प्रदेश सरकार ने गेहूँ पर 160 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस घोषित तो किया लेकिन यह बोनस आज दिनांक तक किसानों को अप्राप्त है। जबकि यह राशि गत वर्ष गेहूँ खरीदी पर किसानों को 265 रुपये प्रति क्विंटल से 105 रुपये प्रति क्विंटल कम है। सरकार वचन पत्र के अनुसार किसानों को गेहूँ, धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, सरसों, कपास, अरहर, मूँग, चना, मसूर, उड़द, लहसुन, प्याज, टमाटर तथा गन्ने पर बोनस दे।
14. “मुख्यमंत्री कृषक प्याज प्रोत्साहन योजना” में अब तक 2 लाख 32 हजार मीट्रिक टन प्याज का पंजीकृत किसानों ने मण्डी में विक्रय किया है जिन्हें घाषणा के अनुरूप (मई-जून में विक्रय 800 रुपये प्रति क्विंटल से कम होने की अंतर की राशि) आज दिनांक तक किसानों को नहीं दी गई है। यह राशि किसानों को तुरंत दी जाए।
15. म.प्र. में 15 वर्षों के बाद फिर अंधेरे में धकेला प्रदेश की जनता को
कांग्रेस ने वचन दिया था कि नियमित रूप से 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति रखी जायेगी लेकिन कांग्रेस सरकार आने के बाद म.प्र. की जनता को 2003 के पहले की यादें ताजा हो गई हैं। बिजली की अघोषित रुप से कटौती की जा रही है जिससे म.प्र. की जनता को चिमनी व लालटेन की याद आने लग गई है तथा बाजार में इन्वेटर की खरीदी प्रारम्भ हो गई है। सरकार विद्युत कटौती बंद करे व घरेलू बिजली 24 घण्टे देना सुनिश्चित करे।
16. खेती के लिए किसानों को 12 घण्टे बिजली दे सरकार
कांग्रेस ने वचन पत्र में कहा था, “किसानों को थ्री-फेस की बिजली प्रतिदिन 12 घण्टे देना सुनिश्चित करेंगे, जिसमें कम से कम 8 घण्टे दिन का समय रहेगा।” सरकार नियमित रूप से खेती के लिए दिन में 12 घण्टे बिजली देने का वचन पूरा करे और ग्रामीण क्षेत्रों में अविलंब कटौती बंद कर नियमित रूप से दिन में 24 घण्टे घरेलू बिजली आपूर्ति करे।
17. बिजली उपभोक्ताओं के साथ धोखा करना बंद करे सरकार
मध्य प्रदेश चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में “किसानों का कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ” का नारा दिया था, लेकिन सरकार अब बिजली उपभोक्ताओं को धोखा दे रही है और अपने वचन से मुकर रही है। कांग्रेस सरकार ने अभी घाषणा की है कि 150 यूनिट तक उपभोक्ता को एक रुपए प्रति यूनिट लगेगा व 151 यूनिट खर्च कर देने पर वह उस उपभोक्ता को अमीर उपभोक्ता की श्रेणी में माना जाएगा व उसे पूरा बिजली बिल 8 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ेगा जो की लगभग 1,200 रुपये होगा। मध्यम श्रेणी के उपभोक्ता से इतनी वसूली अनुचित है। मध्य प्रदेश सरकार ने बिजली उपभोक्ता के साथ धोखा किया है, झूठा वचन दे कर सरकार में आ गए अब अपना वचन नहीं निभा रहे हैं।
18. बढ़े हुए बिजली बिलों की राशि माफ करे सरकार
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती होने और विद्युत कनेक्षन काटे जाने के बावजूद बढ़ी हुई राशि के बिजली बिल आ रहे हैं। इनके समाधान के लिए सरकार अविलंब बिजली बिल समाधान शिविर लगाकर बढ़ी हुई राशि को माफ करे।
19. किसानों को गेहूँ बीज अनुदान राशि दे सरकार
छिंदवाड़ा जिले को छोड़कर सरकार ने गेहूँ बीज उत्पादकों को 265 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बीज अनुदान राशि नहीं दी है। सरकार सभी गेहूँ बीज उत्पादकों को बीज अनुदान राशि दे।
20. किसानों के खेतों में वन्यप्राणी सूअर, हिरण, सांभर आदि द्वारा गन्ना, धान और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाया जाता है। सरकार वन्य प्राणियों द्वारा नुकसान पहुँचाई गई फसल पर भी मुआवजा राशि देना सुनिश्चित करे।
21. किसानों को कृषि उपकरणों पर अनुदान अविलंब दिया जाए
भाजपा की मध्यप्रदेश सरकार किसानों को उपकरणों की खरीदी पर अनुदान उपलब्ध कराती रही है। कांग्रेस सरकार के 9 महीने के बाद भी किसानों को कृषि उपकरणों की खरीदी पर अनुदान दिए जाने का निर्णय अभी तक नहीं कर पाई। इससे किसानों के काम की गति धीमी हुई है तथा उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। किसानों को कृषि उपकरणों पर अनुदान दिए जाना शुरू किया जाए।
22. पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए अभियान चलाए सरकार
अतिवृष्टि के कारण मध्य प्रदेश में वर्षाजनित बीमारियां पशुओं में तेजी से आ रही है। खुरपका, गलाघोटू जैसी महामारियाँ पशुओं में तेजी से फैल रही हैं, जिसके कारण किसानों को बड़ी हानि होने की संभावना है। हम सरकार से मांग करते हैं कि पशुधन को बचाने के लिए सघन टीकाकरण व अन्य आवश्यक उपचार के अभियान चलाए जाएं। पशुओं को मरने से व पशुपालकों को होने वाले नुकसान से बचाया जाए।
23. प्रत्येक पंचायत में गौशाला खोलने का वचन निभाए सरकार
कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में वचन दिया था कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौशालाएं खोलेगें तथा इधर-उधर भटकने वाली गौमाताओं की पुख्ता सेवा की जावेगी, लेकिन 9 माह के बाद भी म.प्र. के किसी भी ग्राम पंचायत में गौशाला नहीं खोली गई तथा अपने वचन पत्र के अनुसार किसी भी ग्राम पंचायत में गायों के लिए अतिरिक्त गौचर भूमि उपलब्ध नहीं करवाई।
24. किसानों को किसान सम्मान निधि योजना से वंचित न करे मध्यप्रदेश सरकार
केंद्र सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि योजना के तहत सभी किसानों को 6,000 रुपये प्रतिवर्ष की राशि दी जा रही है। मध्यप्रदेश सरकार किसानों की समस्त जानकारी केंद्र सरकार को अविलंब उपलब्ध कराए जिससे की केंद्र सरकार किसानों के खातों में यह राशि जमा कर सके।
25. किसानों को किसान मानधन योजना से वंचित न करे मध्यप्रदेश सरकार
केंद्र सरकार की किसानों के लिए ऐतिहासिक किसान मानधन योजना के तहत 18 से 40 वर्ष तक की आयु वाले लघु और सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु होने पर न्यूनतम 3,000 रुपये प्रति माह पेंशन उपलब्ध करायी जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार इस योजना को तत्काल लागू करे।