बेमौसम बारिश से हुई फसल क्षति से बढ़ेगा दलहन आयात

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2019-20 में देश की लगभग 2.6 करोड़ टन की वार्षिक माँग
दलहन आयात वित्त वर्ष 2018-19 में 23.7 लाख टन रहा
तय कोटे से 4 लाख टन अरहर आयात पहले ही हुआ
मुंबई, बुधवार, 6 नवम्बर 2019। वर्ष 2018-19 के दौरान दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर रहने के केवल एक साल बाद ही भारत फिर से आयात पर निर्भर होने वाला है। अक्टूबर और नवम्बर में हुई बेमौसम बारिश से कई राज्यों में खरीफ की खड़ी फसल को नुकसान पहुँचा है। मुख्य रूप से खरीफ में दलहनी फसलों अरहर (तुअर या तूर), मूँग और उड़द की बुवाई की जाती है।
बाढ़ की वजह से अकेले महाराष्ट्र में ही कुल फसल में से लगभग 30 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुँचने का अनुमान है। मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश सहित अन्य कृषि राज्यों ने भी खड़ी फसल का बड़ा हिस्सा पानी में डूबने के कारण भारी फसल क्षति की सूचना दी है। गन्ने, तिलहन, दलहन, ज्वार, धान और बाजरा जैसी खड़ी फसल की बड़ी मात्रा खेतों में नष्ट होने का अनुमान है जिससे इस साल उत्पादन कम होने का डर है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा एकत्रित आँकड़ों के अनुसार देश का कुल दलहन आयात वित्त वर्ष 2018-19 में 23.7 लाख टन, वर्ष 2017-18 में 53.7 लाख टन और 2016-17 में 63.4 लाख टन था। वर्ष 2019 में अप्रैल और अगस्त के बीच की अवधि में देश का कुल दलहन आयात 11.2 लाख टन दर्ज किया गया था।
वित्त वर्ष 2018-19 में 23.7 लाख टन आयात की यह मात्रा राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) सहित अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा लगभग इसी मात्रा में अपने पास रखी गई दलहन की वजह से प्रभावहीन साबित होती है। दाम बढ़ने की स्थिति नियंत्रित करने के लिए फिलहाल सरकार के पास 8 लाख टन अरहर और 15 लाख टन चने का बफर स्टॉक है।
फरवरी में होने वाले पाँचवें द्विवार्षिक वैश्विक दहलन सम्मेलन की घोषणा करते हुए भारतीय दलहन और अनाज संघ (आईपीजीए) के अध्यक्ष जवेरचंद भेडा ने कहा था कि मध्य प्रदेश सहित प्रमुख उत्पादक राज्यों में लगभग 50 प्रतिशत फसल क्षति के कारण उड़द के लिए यह परिदृश्य जोखिमपूर्ण है। अक्टूबर और नवम्बर में उड़द की बुआई वाले खेतों में लगातार बेमौसम बारिश हुई है जिससे जल जमाव हो गया और इस तरह फसल को नुकसान हुआ।
हालांकि इस कमी को पूरा करने के लिए भारत के दलहन आयात में बहुत उछाल आने की संभावना है, लेकिन काफी कुछ सरकार की नीतियों पर निर्भर करेगा जिसमें मौजूदा वर्ष केलिए तय कोटे से अधिक आयात करना भी शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2019-20 में देश की लगभग 2.6 करोड़ टन की वार्षिक माँग को पूरा करने के लिए भारत का दलहन आयात पिछले साल के स्तर से आगे निकल जाएगा जो मौजूदा बफर स्टॉक से अधिक होगा। सरकार ने इस साल 4 लाख टन अरहर आयात कोटा तय किया है। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार इस कोटे का पहले ही आयात किया जा चुका है। व्यापारी और अधिक आयात के लिए और कोटे की घोषणा किए जाने का इंतजार कर रहे हैं।
दलहन आयातक प्रवीण डोंगरे ने कहा कि देश का बफर स्टॉक लगभग आयात की मात्रा के बराबर मानते हुए हम पिछले साल लगभग आत्मनिर्भरता की स्थिति तक पहुँच गए थे। लेकिन अब सरकार को कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि उड़द की खपत को किसी और दाल से परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। आने वाले सप्ताहों के दौरान म्याँमार में किसान उड़द की बुआई शुरू करने वाले हैं। अगर भारत सरकार वर्ष 2019-20 के लिए उड़द आयात की घोषित मात्रा से अधिक आयात की अनुमति दे देती है तो म्याँमार में उड़द की बुआई बढ़ जाएगी।