नयी दिल्ली। अगर हमारी चिंताओं का समाधान होता है, भारत आरसीईपी देशों के साथ बातचीत को लेकर तैयार है। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार, 5 नवम्बर 2019 को संवाददाताओं से चर्चा में यह संकेत दिया।
उन्होंने कहा कि अगर आरसीईपी के सदस्य देश चिंताओं को दूर कर और घरेलू उद्योग के लिये बेहतर बाजार पहुँच के साथ अच्छी पेशकश लाते हैं तो भारत बातचीत के लिये तैयार है। हालांकि उन्होंने कहा कि अभी सरकार का निर्णय अंतिम है कि भारत चीन समर्थित वृहत व्यापार समझौता, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होगा।
पीयूष गोयल ने कहा, ''फिलहाल यह अंतिम निर्णय है। हम आरसीईपी से नहीं जुड़ रहे हैं। लेकिन अगर हमारी माँगें मानी जाती है, भारतीय उद्योग को वृद्धि के लिये और अवसर मिलते हैं, भारत के हितों को नुकसान पहुँचाए बिना बाजार पहुँच बढ़ता है तो मुझे लगता है कि हर सरकार बातचीत के लिये तैयार होगी।''
उन्होंने कहा, ''अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गतिविधियों और संबंधों के रास्ते किसी के लिये भी कभी बंद नहीं होते। अगर वे हमारी चिंताओं को दूर करने के लिये ईमानदार प्रयास करते हैं, हमें भरोसा देते हैं और व्यापार असमानता को संतुलित करने में हमारी मदद करते हैं, तब मुझे लगता है कि किसी भी देश को अपने मित्रों से बातचीत करनी चाहिए। हम किसी के साथ कोई दुश्मनी करके नहीं बैठे हैं।''
भारत ने चीन जैसे देशों के साथ बढ़ते व्यापार घाटा, वस्तुओं के आयात में अचानक से वृद्धि या डंपिंग को रोकने के लिये प्रणाली, शुल्क में कटौती के लिये आधार वर्ष 2014 की जगह 2019 किये जाने जैसे मामलों को लेकर आरसीईपी में कड़ा रुख अपनाया है।
पीयूष गोयल ने कहा कि इन वार्ताओं से यह सबक मिली है कि किसी को समय सीमा के साथ जल्दबाजी में व्यापार समझौते को अंतिम रूप नहीं देना चाहिए जैसा कि 2010-11 में जापान, कोरिया और आसियान के साथ समझौते किये गये। उन्होंने कहा, ''व्यापार वार्ताओं में पर्याप्त समय मिलना चाहिए ताकि लोगों और देश के हितों को सावधानीपूर्वक ध्यान रखा जाए।''
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने अंतिम मिनट में समझौते को तोड़ने वाला बना, पीयूष गोयल ने कहा कि देश इन मसलों को 2014 से उठा रहा है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये अपने रुख पर कायम है।
अगर हमारी चिंताओं का समाधान होता है, भारत आरसीईपी देशों के साथ बातचीत को लेकर तैयार: पीयूष गोयल