नयी दिल्ली। आरसीईपी व्यापार समझौते से नहीं जुड़ने का निर्णय राष्ट्र हित देख कर लिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार, 5 नवम्बर 2019 को यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।
पीयूष गोयल ने कहा कि आरसीईपी वार्ता में भारत अपनी दलील पर डटा रहा और राष्ट्र हित को देखते हुए चीन की अगुवाई वाले इस वृहत व्यापार समझौते से नहीं जुडऩा है।
पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घरेलू उद्योग, छोटे उद्यमियों, डेयरी क्षेत्र और किसानों के हितों की रक्षा के लिये कड़ा रुख अपनाते हुए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने का सबसे अच्छा निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल यही निर्णय अंतिम है और भारत इस निर्णय के कारण विश्व स्तर पर अलग-थलग नहीं है।
पीयूष गोयल ने कहा, 'भारत एक ठोस समझौते से बाहर नहीं निकला है, इसलिए हमने तर्क के साथ अपने मुद्दों को सामने रखा है। सभी देशों ने हमारे रुख की सराहना की है। हम अपने आत्मसम्मान को ऊँचे स्तर पर ले गए हैं।'
वाणिज्य मंत्री श्री गोयल ने कहा, 'आरसीईपी से अंतिम समय में कोई वाकआउट नहीं किया गया और हम पिछले पाँच वर्षों से आरसीईपी की वार्ता में समान मुद्दों को उठा रहे हैं। भारत सतत व्यापार घाटे के साथ आरसीईपी का हिस्सा नहीं होगा। इसलिए हमारे ऊपर डील ब्रेकर (समझौता तोड़ने वाला) का टैग नहीं लगा है।'
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार, 4 नवम्बर 2019 को बैंकाक में 16 देशों के समूह की शिखर बैठक में भारत के आरसीईपी से नहीं जुड़ने के निर्णय की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने कहा था, ''भारत ने विभिन्न घरेलू हितों से जुड़ी चिंताओं के दूर नहीं होने के कारण आरसीईपी से नहीं जुड़ने का निर्णय किया। अब तक हुई बातचीत हमारे मसलों और चिंताओं को समाधान करने में विफल रही है।''
आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के 10 सदस्य देश (ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्याँमार, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा उनके 6 मुक्त व्यापार साझेदार देश भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच होने वाला वृहद मुक्त व्यापार समझौता है।
आरसीईपी व्यापार समझौते से नहीं जुड़ने का निर्णय राष्ट्र हित देख कर: पीयूष गोयल