इस वर्ष अब तक पराली जलाने के मामलों में उत्तर प्रदेश में 48.2 प्रतिशत, हरियाणा में 11.7 प्रतिशत और पंजाब में 8.7 प्रतिशत की कमी दर्ज
इन तीनों राज्यों में 1 अक्टूबर, 2019 से 3 नवंबर, 2019 के बीच पराली जलाने के कुल 31,402 मामले दर्ज
पंजाब में 25,366, हरियाणा में 4,414 और उत्तर प्रदेश में 1,622 घटनाएं
वर्ष 2018-19 के दौरान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के लिए क्रमश: 269.38, 137.84 और 148.60 करोड़ रुपये जारी किए गए
वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को क्रमश: 273.80, 192.06 और 105.29 करोड़ रुपये जारी किए गए
इन राशि की मदद से अब तक 29,488 मशीनें खरीदी गई हैं, जिनमें से 10,379 मशीनें सीधे किसानों को दी गई हैं और 19,109 मशीनें कस्टम हायरिंग सेन्टर्स (सीएचसी) को दी गईं
नयी दिल्ली। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने खेतों में फसलों के अवशेष-पराली जलाने की समस्या से निबटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् आईसीएआर की प्रयोगशाला की ओर से सोमवार, 4 नंवबर, 2019 को जारी बुलेटिन संख्या 34 के अनुसार 2018 की समान अवधि की तुलना में पराली जलाने के मामलों में अब तक 12.01 प्रतिशत की कमी आई है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में इस वर्ष अब तक पराली जलाने के मामलों में क्रमश: 48.2 प्रतिशत, 11.7 प्रतिशत और 8.7 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। इन तीनों राज्यों में 1 अक्टूबर, 2019 से 3 नवंबर, 2019 के बीच पराली जलाने के कुल 31,402 मामलों की जानकारी प्राप्त हुई। पंजाब में 25,366, हरियाणा में 4,414 और उत्तर प्रदेश में ऐसी 1,622 घटनाएं हुई।
इससे पहले, पराली जलाने के कारण दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में होने वाले वायु प्रदूषण के संबंध में 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए तकनीकी तरीके अपनाने की सिफारिश की है। इसके आधार पर कृषि और किसान मंत्रालय ने एक योजना तैयार की जिसे 2018-19 के बजट में शामिल किया गया था। केन्द्र सरकार की इस योजना को 1,151.80 करोड़ रुपये की लागत से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए 2018-19 से 2019-20 तक लागू किया जाना है। इसके तहत पराली निबटाने के लिए उपयोग किए जाने वाले तकनीकी उपकरण सरकार की ओर से छूटी दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना के लागू होने के एक साल के अंदर देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में 8 लाख हेक्टेयर भूमि पर 500 करोड़ रुपये के खर्च से हैप्पी सीडर / जीरो टिलेज तकनीक उपयोग में लायी गई। योजना के तहत किसानों को तकनीकी तरीके से फसल अवशेष निबटाने के उपकरणों की खरीद पर सरकार की ओर से 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
छूटी दरों पर उपकरण उपलब्ध कराने की योजना के तहत वर्ष 2018-19 के दौरान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के लिए क्रमश: 269.38, 137.84 और 148.60 करोड़ रुपये जारी किए गए। वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को क्रमश: 273.80, 192.06 और 105.29 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। इन राशि की मदद से अब तक 29,488 मशीनें खरीदी गई हैं, जिनमें से 10,379 मशीनें सीधे किसानों को दी गई हैं और 19,109 मशीनें कस्टम हायरिंग सेन्टर्स (सीएचसी) को दी गईं।
2018 की समान अवधि की तुलना में पराली जलाने के मामलों में अब तक 12.01 प्रतिशत की कमी: केन्द्र सरकार