वैश्विक दूध उत्पादन में भारत का वर्चस्व बना रहेगा

Cow grazing
नयी दिल्ली। वैश्विक दूध उत्पादन में भारत का वर्चस्व बना रहेगा क्योंकि ताजा आँकड़े में संकर एवं देसी दोनों नस्लों के दुधारू मवेशियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत शासन के पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा बुधवार, 16 अक्टूबर 2019 को जारी 20वीं पशुधन आबादी 'गणना-2012' रिपोर्ट से यह बात साबित होती है।
पशुधन गणना के अनुसार देश में गोवंश की कुल संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले कुछ वर्षों में इनकी संख्या घट रही थी। लेकिन 2012 से 2019 के दौरान देसी नस्ल के गोवंश की संख्या में गिरावट चकित करने वाली रही। 2019 में देश में गोवंश की संख्या 19.24 करोड़ थी, जो 2012 की गणना से करीब 0.8 प्रतिशत अधिक है। 2012 में गोवंश की कुल संख्या 2007 के 19.90 करोड़ से घटकर 19.09 करोड़ रह गई थी।
गोवंश की संख्या में बढ़ोतरी मुख्य रूप से संकर नस्ल की मवेशियों की संख्या बढऩे की वजह से हुई है। संकर नस्ल की गायें अधिक दूध देती हैं इसलिए किसान इसे पालना पसंद करते हैं। संकर नस्ल की मादा की संख्या 2012 के 3.37 करोड़ से 30 प्रतिशत बढ़कर 2019 में 4.69 करोड़ से अधिक हो गई, वहीं देसी मादा गायों की संख्या 10 प्रतिशत बढ़कर 2019 में 9.81 करोड़ पहुँच गई। हालांकि देसी नस्ल के मवेशियों की कुल संख्या 2019 में 2012 की तुलना में कम हुई है लेकिन देसी मादा मवेशियों की संख्या खासी बढ़ी है। 2012 से 2019 के दौरान दुधारू मवेशियों की कुल संख्या 6 प्रतिशत बढ़ी है।
संकर मवेशियों ने 2018-19 में भारत में कुल 18.8 करोड़ टन दुग्ध उत्पादन में लगभग 28 प्रतिशत का योगदान दिया। 20वीं मवेशी गणना के अनुसार भैंस की संख्या भी बढ़कर 10.98 करोड़ हो गई, जो वर्ष 2012 में 10.87 करोड़ थी।  कुल मिलाकर, आँकड़ों से पता चलता है कि मवेशियों की कुल संख्या 2019 में बढ़कर 53.57 करोड़ हो गई है, जो वर्ष 2012 में 51.20 करोड़ थी। इस बढ़ोतरी में भेड़ और बकरी की संख्या का खासा योगदान रहा है।
20वीं पशुधन गणना के महत्वपूर्ण निष्कर्ष इस प्रकार हैं:-
देश में कुल पशुधन आबादी 53.578 करोड़ है जो पशुधन गणना-2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है।
कुल गोजातीय आबादी (मवेशी, भैंस, मिथुन एवं याक) वर्ष 2019 में 30.279 करोड़ आंकी गई जो पिछली गणना की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत अधिक है।
देश में मवेशी की कुल संख्या वर्ष 2019 में 19.249 करोड़ है जो पिछली गणना की तुलना में 0.8 प्रतिशत अधिक है।
मादा मवेशी (गायों की कुल संख्या) 14.512 करोड़ है जो पिछली गणना (2012) की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है।
विदेशी/ संकर नस्ल और स्वदेशी/ अवर्गीय मवेशी की कुल संख्या देश में क्रमश: 5.042 करोड़ और 14.211 करोड़ है।
स्वदेशी/ अवर्गीय मादा मवेशी की कुल संख्या वर्ष 2019 में पिछली गणना की तुलना में 10 प्रतिशत बढ़ गई है।
विदेशी/ संकर नस्ल वाली मवेशी की कुल संख्या वर्ष 2019 में पिछली गणना की तुलना में 26.9 प्रतिशत बढ़ गई है।
स्वदेशी/ अवर्गीय मवेशी की कुल संख्या पिछली गणना की तुलना में 6 प्रतिशत कम हो गई है। हालांकि, 2012-2019 के दौरान स्वदेशी/ अवर्गीय मवेशी की कुल संख्या में कमी की गति 2007-12 के लगभग 9 प्रतिशत की तुलना में अपेक्षाकृत काफी कम है।
देश में भैंसों की कुल संख्या 10.985 करोड़ है जो पिछली गणना की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत अधिक है।
गायों और भैंसों में कुल दुधारू पशुओं की संख्या 12.534 करोड़ है जो पिछली गणना की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक है।
देश में भेड़ की कुल संख्या वर्ष 2019 में 7.426 करोड़ है जो पिछली गणना की तुलना में 14.1 प्रतिशत अधिक है।
देश में बकरी की कुल संख्या वर्ष 2019 में 14.888 करोड़ है जो पिछली गणना की तुलना में 10.1 प्रतिशत अधिक है।
वर्तमान गणना में देश में सुअर की कुल संख्या 90.60 लाख आंकी गई है जो पिछली गणना की तुलना में 12.03 प्रतिशत कम है।
मिथुन, याक, घोड़े, टट्टू, खच्चर, गधे, ऊंट सहित अन्य पशुधन आपस में मिलकर कुल पशुधन में लगभग 0.23 प्रतिशत का योगदान करते हैं और उनकी कुल संख्या 12.40 लाख है।
देश में कुल पोल्ट्री संख्या वर्ष 2019 में 85.181 करोड़ आंकी गई है जो 16.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
देश में घरों के आंगन में पोल्ट्री की कुल संख्या 31.707 करोड़ आंकी गई है जो पिछली गणना की तुलना में लगभग 46 प्रतिशत अधिक है।
देश में वाणिज्यिक पोल्ट्री की कुल संख्या 53.474 करोड़ है जो पिछली गणना की तुलना में 4.5 प्रतिशत अधिक है।