देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की जरूरत है
नयी दिल्ली। मृदा स्वास्थ्य के संरक्षण के साथ फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिये उर्वरकों के संतुलित उपयोग की जरूरत है। केन्द्रीय किसान कल्याण तथा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019 को यहाँ पूसा में वर्ष में दो बार होने वाले उर्वरक अनुप्रयोग जागरूकता कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर यह बात कही। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, डी.वी. सदानंद गौड़ा और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला इस अवसर पर उपस्थित थे।
किसानों के बीच उर्वरक के उपयोग को लेकर जागरूकता पर आयोजित सम्मेलन में नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत की आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा अपने भरण-पोषण के लिए कृषि पर निर्भर करता है, लेकिन सभी लोगों की खाद्य जरूरतें इस पर ही निर्भर हैं, इसलिए उत्पादकता, उत्पादन और स्थिरता को और अधिक बेहतर बनाने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मिट्टी को उर्वरकों, सूक्ष्म पोषकों और रसायनों की संतुलित मात्रा में जरूरत होती है और इसका बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग करने से यह भूमि को खराब कर सकती है और इसलिए इसका उपयोग बेहतर तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से खेत बर्बाद हो जाएंगे। उर्वरकों के संतुलित उपयोग से किसानों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिये और सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ''हम मृदा स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे रहे हैं और 8 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किये जा चुके हैं।''
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत के किसानों को मजबूत और समृद्ध होना चाहिए और भूमि संसाधनों का उपयोग इस तरीके से किया जाना चाहिए जिससे कि भविष्य की पीढिय़ों के लिए भी इसका उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। श्री तोमर ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि की हिस्सेदारी फिलहाल 14 प्रतिशत है, यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने यहाँ सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ''क्या हम कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाकर जीडीपी का 50 प्रतिशत कर सकते हैं?
उन्होंने कहा कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यभार संभाला है, तब से उनका प्रयास गाँव, गरीब और किसान के विकास और उनकी बेहतरी के लिए समर्पित रहा है। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी सिर्फ इस बारे में नहीं सोचते हैं कि उनकी बेहतरी के लिए कैसे नीतियाँ बनाई जा सकती हैं बल्कि वे यह भी सोचते हैं कि गाँव, गरीब और किसान की उत्पादकता, उत्पादन और पशुधन में सुधार कैसे किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी अपने प्रयासों को, अपनी सरकार तथा सभी अधिकारियों के साथ इस दिशा में समर्पित करते हैं।
श्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत का कम-से-कम 1.5 गुना तय किया है और पीएम किसान योजना (पीएम किसान सम्मान निधि योजना) के तहत 14 करोड़ किसानों को 6,000 रुपये वार्षिक दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि करीब 8 करोड़ किसान इस योजना से लाभान्वित हो चुके है। कुल 87,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये है। राशि सीधे किसानों के खाते में हस्तांतरित की जा रही है और कोई भ्रष्टाचार नहीं है।
अपने भाषण के प्रारंभ में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि आज पूसा में मौजूद हजारों किसानों के लिए और देश भर के 714 कृषि विज्ञान केंद्रों में इस कार्यक्रम को लाइव देख रहे लोगों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि यह विषय बहुत ही प्रासंगिक है और यह सभी नागरिकों के जीवन को जुड़ा हुआ है।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, डी.वी. सदानंद गौड़ा ने अपने संबोधन में सभी किसानों का स्वागत किया और कहा कि हालांकि उनकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन वे पहली बार हिंदी में सभी को संबोधित करने का प्रयास करेंगे। श्री गौड़ा ने कहा कि कृषि, ग्रामीण भारत की आजीविका का मुख्य आधार बनी हुई है और देश में खाद्यान्न उत्पादन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कृषि के लिए उर्वरक सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। श्री गौड़ा ने मिट्टी के समुचित संरक्षण पर जोर दिया क्योंकि यह भोजन, पोषण, पर्यावरण और आजीविका सुरक्षा के लक्ष्यों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने मिट्टी की स्थिरता में सुधार लाने के लिए मिट्टी का संरक्षण और प्रबंधन करने का आग्रह किया।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने यूरिया और पोषक तत्वों पर आधारित विभिन्न राजसहायताओं का भी उल्लेख किया, जो भारत सरकार द्वारा फास्फेटिक और पोटैशिक उर्वरकों पर दी जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जस्ता और बोरान जैसे सूक्ष्म पोषकों की कमी को दूर करने के उद्देश्य से, जस्ता और बोरान से लेपित उर्वरकों पर एक अतिरिक्त राजसहायता प्रदान की जा रही है। श्री गौड़ा ने आईसीएआर संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ-साथ विभिन्न विभागों से कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और बनाए रखने में योगदान देने का आग्रह किया।
पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने किसानों के बीच उर्वरकों के सही उपयोग करने की जागरूकता फैलाने के लिए एक मंच प्रदान करने वाली पहल की सराहना की। मंत्री ने पूरे देश में किसानों के फायदे के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि-केंद्रित वृत्तचित्रों और फिल्मों को स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं में डब/ अनुवाद करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस पहल से किसानों को अधिक प्रभावी तरीके से मदद मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न मापदंडों के आधार पर उर्वरक पोषकों का आदर्श उपयोग करके कृषि उत्पादकता को बनाए रखने के लिए किसानों के बीच ज्ञान का प्रसार करने और उन्हें उर्वरक का उपयोग और प्रबंधन के क्षेत्र में नई उन्नतियों से अवगत कराने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय नई दिल्ली के पूसा में संयुक्त रूप से वर्ष में दो बार उर्वरक अनुप्रयोग जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करता है। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रत्येक वर्ष दोनों मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से राज्य सरकारों की मदद से खरीफ और रबी फसल के सत्र से पहले किया जाता है।
तकनीकी सत्र में उर्वरक से जुड़े इन मुद्दों पर हुई चर्चा
भारतीय कृषि के संदर्भ में कई मुद्दे हैं, जिनका संबंध उर्वरक के उपयोग के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ में तकनीकी सत्र के दौरान जिन उर्वरकों के उपयोग पर चर्चा की गई थी, उनमें से कुछ प्रमुख पोषक तत्वों के उपयोग में असंतुलन के बारे में है, यानि की एन, पी और के; मिट्टी (सूक्ष्म पोषक) द्वारा आवश्यक एन-पी-के अलावा किसी अन्य पोषक तत्वों के उपयोग और कमी के बारे में जागरूकता का नहीं होना; उर्वरक के उपयोग में मिट्टी की प्रतिक्रिया का घटता हुआ अनुपात (उर्वरकों की अक्षमता); सिंगल सुपर फॉस्फेट जैसे कम विश्लेषण वाले उर्वरकों का कृषि-विज्ञान में महत्व; नए प्रकार के उर्वरकों का विकास जैसे द्रव्य उर्वरक, विशेष यौगिक, जैव-उर्वरक, धीमा-निकलने वाला उर्वरक, आदि; जलवायु क्षेत्रों, मिट्टी के प्रकारों, उर्वरकों का उपयोग और मात्रा की विधि और फसलों के लिए उपयुक्तता; कृषि की दीर्घकालीन स्थिरता; और प्रत्येक फसल के लिए सही मात्रा में और सही प्रकार के खाद को प्राप्त करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग।
कार्यक्रम से इतर चर्चा करते हुए कृषि मंत्री श्री तोमर ने किसानों से फसल अवशेष नहीं जलाने का आग्रह किया क्योंकि इससे मृदा के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और वायु प्रदूषण भी होता है। उन्होंने किसानों से फसल अवशेष जलाने के बजाए इसके निपटान से जुड़ी सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने को कहा।