इंदौर (मध्यप्रदेश)। केंद्र सरकार पूरे देश में सोयाबीन पर भावांतर भुगतान योजना लागू करे। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अध्यक्ष डेविश जैन ने यहाँ अंतर्राष्ट्रीय सोयाबीन सम्मेलन के दौरान बुधवार, 9 अक्टूबर 2019 को यह माँग की।
डेविश जैन ने कहा, ''अगर सरकार सोयाबीन पर पूरे देश में भावांतर भुगतान योजना लागू करती है, तो किसानों को उनकी उपज का बेहतर मोल मिलेगा और इस तिलहन फसल का उत्पादन बढ़ेगा। नतीजतन घरेलू संयंत्रों में सोयाबीन तेल उत्पादन में भी इजाफा होगा और आयातित खाद्य तेलों पर हमारी निर्भरता घटेगी।''
श्री जैन ने संवाददाताओं से बताया, ''भारत को अपनी भोजन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिये हर साल 1.55 करोड़ टन खाद्य तेल आयात करना पड़ रहा है। इस पर हमें बेहद बड़ी राशि की विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है।''
उन्होंने देश में खाद्य तेलों के धड़ल्ले से जारी आयात पर चिंता जताई। उन्होंने यह माँग भी की कि केंद्र सरकार को सोया खली और सोयाबीन प्रसंस्करण से बनने वाले अन्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में प्रसंस्करणकर्ताओं की मदद करनी चाहिये। इसके साथ ही, राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाने वाला मंडी शुल्क खत्म किया जाना चाहिये।
गौरतलब है कि अगर मंडियों में व्यापारियों द्वारा किसी कृषि जिंस की खरीदी सरकार के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर की जाती है, तो किसानों को सरकारी खजाने से दोनों भावों के अंतर का भुगतान किया जाता है। इसे आम शब्दों में भावांतर भुगतान योजना के नाम से जाना जाता है जिसे मध्यप्रदेश में कुछ जिंसों पर आजमाया जा चुका है।
सोयाबीन पर भावांतर भुगतान योजना पूरे देश में लागू की जाये: सोपा अध्यक्ष डेविश जैन