मुंबई। महाराष्ट्र के लासलगाँव में प्याज के दाम घटकर 30 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ गए हैं। सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध तथा व्यापारियों पर इसके स्टॉक की सीमा लागू किए जाने के बाद एशिया की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी में कीमतों में खासी गिरावट आई है।
थोक बाजार में महज छह कारोबारी दिनों में प्याज के दाम 1,300 रुपये प्रति क्विंटल टूट गए जिसका असर खुदरा बाजार में भी देखने को मिल रहा है। लासलगाँव मंडी में गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019 को प्याज के दाम में 500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। लासलगाँव कृषि उपज विपणन समिति में प्याज का औसत थोक भाव घटकर 2,700 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया। प्याज का अधिकतम भाव 3,020 रुपये प्रति क्विंटल और न्यूनतम भाव 1,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के आँकड़ों के अनुसार, लासलगाँव मंडी में सितंबर के मध्य में प्याज के दाम 5,100 रुपये प्रति क्विंटल के उच्चस्तर पर पहुँच गया था, जबकि पिछले कारोबारी दिन यहाँ पर प्याज का औसत थोक भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल था। उल्लेखनीय है कि लासलगाँव मंडी से ही देशभर में प्याज की कीमतों का रुख तय होता है। इस मंडी में प्याज कीमतों में किसी तरह के उतार-चढ़ाव का असर देशभर में पड़ता है।
देश के दूसरे शहरों में प्याज की कीमतों में भी गिरावट आई है। मुंबई थोक बाजार में प्याज की कीमत गिरकर 3,100 रुपये, दिल्ली में 3,125 रुपये, लखनऊ में 3,500 रुपये, कोलकाता में 4,500 रुपये, चेन्नई में 3,800 रुपये और बेंगलूरु में 2,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। थोक बाजार में कीमतें गिरने का असर खुदरा बाजार पर भी पडऩे लगा है। हालांकि खुदरा बाजार में गिरावट थोक बाजार की तरह नहीं हुई है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार खुदरा बाजार में गुरुवार को मुंबई, दिल्ली, कोलकाता में प्याज का औसत भाव 60 रुपये किलो, बेंगलुरु में 40 रुपये, चेन्नई में 50 रुपये और लखनऊ में 45 रुपये प्रति किलो पहुँच गया जो महज 10 दिन पहले 100 रुपये प्रति किलो के करीब पहुँच गया था।
प्याज की कीमतों में अचानक तेजी की वजह बाढ़ और बारिश को माना जा रहा है। प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में बाढ़ की वजह से प्याज की आपूर्ति प्रभावित हुई है। खरीफ के प्याज की कम बुवाई की वजह से भी इसकी कीमतों पर दबाव बना है। इन कारणों के चलते अगस्त से ही प्याज कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। लेकिन सितंबर में प्याज के दाम ने रिकॉर्ड बनाना शुरू कर दिया था जिसके बाद सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। अभी पिछले साल की रबी फसल का भंडार किया हुआ प्याज बाजार में बिक रहा है। खरीफ की नई फसल की आवक नवंबर से शुरू होने की उम्मीद है।
दरअसल महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव के समय प्याज के दाम में भारी बढ़ोतरी सरकार की आंखों में आंसू लाने का काम कर सकती थी। इसलिए सरकार की तरफ से फौरन कारगर उपाय किए गए। बारिश के अलावा खरीफ सत्र में प्याज की कम बुआई भी कीमत बढ़ाने का काम कर रही थी। महाराष्ट्र में बाढ़ के कारण सितंबर में बाजार में प्याज नहीं आ सका जिससे कीमतों में तेजी आई। खरीफ की नई फसल की आवक नवंबर से शुरू होने की उम्मीद है।
सरकारी उपायों के बाद लासलगाँव में प्याज के दाम घटकर 30 रुपये किलो से नीचे आए