सरकारी ई-कॉमर्स पोर्टल 'भारतक्राफ्ट' लाखों ग्रामीण कारीगरों को बाजार उपलब्ध करवायेगा

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम-जेम) पोर्टल पर निजी कंपनियाँ और व्यापारी भी खरीद-बिक्री कर सकेंगे
नयी दिल्ली। सरकारी ई-कॉमर्स पोर्टल 'भारतक्राफ्ट' लाखों ग्रामीण कारीगरों को बाजार उपलब्ध करवायेगा। उद्योग संगठन फिक्की की ओर से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के लिए ई-कॉमर्स की संभावनाओं पर आयोजित एक सम्मेलन में एमएसएमई के शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019 यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि जहाँ एक ओर भारत क्राफ्ट के रूप में एक वैश्विक ई-कॉमर्स पोर्टल पर काम शुरू हो गया है, वहीं गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम-जेम) को भी अपग्रेड किया जा रहा है ताकि निजी कंपनियाँ और व्यापारी भी यहाँ खरीद-बिक्री कर सकें।
अधिकारी ने बताया कि एमेजॉन, अलीबाबा और इंडियामार्ट की तर्ज पर छोटे कारोबारियों और कारीगरों को सरकारी ई-कॉमर्स पोर्टल के रूप में वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। केंद्र सरकार का ध्यान ग्रामीण कारीगरों पर भी है, जिनके पास मोबाइल, बैंक अकाउंट और डाकघर जैसी तीन बुनियादी सुविधाएं पहले से हैं। छोटे कारोबारियों के लिए उत्पादों की सूचित और प्रशिक्षण पर भी काम हो रहा है।
कार्यक्रम से इतर अधिकारी ने चर्चा में कहा, 'भारत क्राफ्ट से लाखों ग्रामीण कारीगरों को जोडऩे पर काम चल रहा है। देश में 40 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन हैं, 1 अरब आधारकार्ड हैं और गाँव-गाँव में डाकघर हैं। ऐसे में बेचने वालों, खरीदने वालों, आपूर्तिकर्ताओं, परिवहनधारकों का आधारभूत ढांचा खड़ा है, हमें सिर्फ उसका उपयोग करना है। पोर्टल के तहत हर गाँव से कुछ निश्चित वस्तुओं को बिक्री की सूची में जोड़ने का लक्ष्य भी रखा जाएगा।'
उन्होंने बताया कि सरकारी पोर्टल का ध्यान भुगतान की समस्या से जूझ रहे एमएसएमई सेक्टर के लिए डिजिटल सॉल्यूशंस पर भी होगा। यही कारण है कि जीईएम को भी निजी क्षेत्र के लिए खोलने पर काम हो रहा है। सरकारी अनुमान है कि भारतक्राफ्ट पोर्टल का वार्षिक व्यापार दो-तीन साल में करीब 10 लाख करोड़ पहुँच जाएगा।
दूसरी ओर उद्योग चाहता है कि सरकारी पोर्टल के साथ ही मौजूदा निजी पोर्टल्स पर कारोबार के लिए भी छोटे कारोबारियों को सहूलियत और प्रशिक्षण मिले। फिक्की एमएसएमई समिति की अध्यक्षा अर्चना गरोडिया ने कहा कि उत्पादों की सूची जोडऩे या आधारभूत प्रशिक्षण में 4-5 दिन का ही समय लगता है। अभी यह काम निजी पोर्टल ही कर रहे हैं, लेकिन सरकार कई संगठनों और सरकारी एजेंसियों के जरिए कारीगरों से अधिक जुड़ाव रखती है और यह काम बेहतर कर सकती है। भारत उन गिने चुने देशों में है, जहाँ क्राफ्ट अभी जिंदा है, जिसे सिर्फ बाजार उपलब्ध करवाना है।
नीति आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर को ट्रेड रिसीवेबल डिस्काउंटिंग प्रणाली से जोडऩे के काफी फायदे मिल रहे हैं। 2017-18 में यहाँ 800 करोड़ का कारोबार हुआ था, जो 2018-19 में 7,000 करोड़ हो गया और इस साल 25,000 करोड़ पार करने की उम्मीद है। इसके जरिए फर्में अपना ट्रेड रिसीवेबल कॉर्पोरेट को बेचकर फंड जुटाती हैं।