राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण कम करने पर 165 दिन 'अच्छे' रहे: प्रकाश जावड़ेकर

Cental Environment Minister Prakash Javdekar addressing to media in New Delhi on 7 October 2019


इस दिवाली जलाएं हरित या ग्रीन पटाखे
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण कम करने पर 165 दिन 'अच्छे' रहे हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहाँ सोमवार, 7 अक्टूबर 2019 को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए यह जानकारी दी।
श्री जावड़ेकर ने कहा कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रयासों से दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में पर्यावरण की दृष्टि से अब पहले की तुलना में कहीं अधिक 'अच्छे दिन' देखने को मिल रहे हैं। 
श्री जावड़ेकर ने कहा, 'किसी समस्या की मौजूदगी को मान लेने भर से ही उसके समाधान की शुरुआत हो जाती है। वैसे तो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या वर्ष 2006 से ही विकराल रूप लेने लगी थी, लेकिन वर्ष 2014 तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया था। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को प्रस्तुत किया गया था। आज 113 एक्यूआई निगरानी केंद्र दिल्ली-एनसीआर में कार्यरत हैं। 29 और एक्यूआई निगरानी केंद्र जल्द ही स्थापित किए जाएंगे।' उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्ष 2019 में 30 सितम्बर तक कुल 273 दिनों में से 165 दिन 'अच्छे', 'संतोषजनक' और 'सामान्य' रहे हैं, जबकि वर्ष 2016 में यह आँकड़ा 104 दिनों का था।
इस दिवाली जलाएं हरित या ग्रीन पटाखे
हरित लोगो एवं क्यूआर कोडिंग प्रणाली के साथ हरित पटाखों का शुभारंभ शनिवार को किये जाने को एक ऐतिहासिक पहल बताते हुए श्री जावड़ेकर ने लोगों को इस दिवाली पटाखे न जलाने की सलाह दी। हालांकि, यदि कोई पटाखे जलाना ही चाहता है, तो उसे हरित या ग्रीन पटाखे जलाने चाहिए, जिसका उद्देश्य प्रदूषण के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी जोखिम में कमी लाना है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए किये गये विभिन्न प्रयासों को रेखांकित करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा, 'आज से ही केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 46 दल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर का जायजा ले रहे हैं और वे आवश्यकता पडऩे पर समुचित कदम उठाएंगे।'
40,000 माल वाहनों राष्ट्रीय राजधानी से दूर गुजर रहे हैं
श्री जावड़ेकर ने बताया कि लगभग 17,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किये गये ईस्टर्न एवं वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की बदौलत ऐसे 40,000 माल वाहनों का मार्ग अब राष्ट्रीय राजधानी से परे कर दिया गया है, जिनके रूट पर दिल्ली नहीं पड़ती है। इसका अत्यंत सकारात्मक असर प्रदूषण पर पड़ा है।
ई-मोबिलिटी और दिल्ली मेट्रो रेल निगम के नेटवर्क से जुड़ी पहलों का उल्लेख करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि 274 स्टेशनों वाली 377 किलोमीटर लम्बी मेट्रो लाइनें हर दिन 30 लाख से भी अधिक यात्रियों को पर्यावरण अनुकूल सेवाएं प्रदान कर रही हैं। उन्होंने इसे पूरी दुनिया में सार्वजनिक परिवहन की सर्वोत्तम प्रणालियों में से एक बताया, क्योंकि इसकी बदौलत सड़कों पर 4 लाख से भी अधिक वाहनों की आवाजाही रोकने में सफली मिली है, जिससे प्रदूषण में काफी कमी आई है।
श्री जावड़ेकर ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी राज्यों से मिल-जुलकर काम करने का आह्वान किया। यह जानकारी दी गई कि अकेले दिल्ली को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से 52 मेगावाट ऊर्जा मिलती है और अपशिष्ट कम्पोस्ट संयंत्र चालू है।