प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी का केवल 10 प्रतिशत वाला आँकड़ा भ्रामक है: अरविंद केजरीवाल

Burning of crop rice residues after harvest Sangrur Punjab
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार की एजेंसी का यह दावा भ्रामक है कि पराली जलाने से हुआ प्रदूषण दिल्ली के कुल प्रदूषण का केवल 10 प्रतिशत है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार, 16 अक्टूबर 2019 को विश्लेषण के आधार पर प्रश्न उठाते हुए यह बात कही।
उल्लेखनीय है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता तथा मौसम की भविष्यवाणी करने वाली सेवा 'सफर' ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा था कि पराली जलाने से हुआ प्रदूषण दिल्ली में पीएम 2.5 से होने वाले कुल प्रदूषण का 10 प्रतिशत से भी कम है। पीएम 2.5 का अर्थ है हवा में तैरते वह सूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोन से कम होता है। 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कण सर्वाधिक हानिकारक होते हैं क्योंकि वे फेफड़े में भीतर तक चले जाते हैं और कुछ तो खून में जाकर मिल जाते हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''इसका क्या आधार है? केवल वास्तविक वातावरण में काम करने वाली स्रोत विभाजन मशीनें ही बता सकती हैं कि दिल्ली के प्रदूषण में किसका कितना योगदान है। दिल्ली सरकार इसे मंगाने का प्रयास कर रही है। अभी तक भारत में किसी के पास यह मशीन नहीं है।''
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, ''इन एजेंसियों को लोगों को भ्रमित नहीं करना चाहिए। यह बहुत संवेदनशील जानकारी है और जो एजेंसियाँ इसे प्रदान कर रही हैं उन्हें जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए।'' मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में स्थानीय प्रदूषण कारक तत्वों की मात्रा न घटी है न बढ़ी है और पिछले सप्ताह अचानक से प्रदूषण में आयी बढ़ोतरी का कारण बाहरी तत्व हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, ''हम यह मानते हैं कि दिल्ली में आतंरिक प्रदूषण तत्व हैं लेकिन इनसे उतना ही प्रदूषण हो रहा है जितना सितंबर या अक्टूबर में हो रहा था। पिछले कुछ दिनों में पराली जलाने के अलावा ऐसा कुछ विशेष नहीं हुआ जिसके कारण प्रदूषण बढ़े।'' दिल्ली में जाड़े के दिनों में कोहरे और धुंध के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
बुधवार की सुबह दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता 'वैरी पुअर' श्रेणी में रही और 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कण प्रदूषण के मुख्य कारक पाए गए। इससे पहले दिल्ली सरकार ने नासा द्वारा जारी चित्र के माध्यम से दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पराली जलाया जाना दिखाया था।