अजोला में होते हैं प्रोटीन, आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा कैरोटीन)
सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, फैरस, कॉपर एवं मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं
पशुओं के लिए आदर्श आहार के साथ-साथ भूमि उर्वराशक्ति बढ़ाने के लिए हरी खाद के रूप में भी उपयुक्त
रिजका एवं संकर नेपियर की तुलना में 4 से 5 गुना उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन
मुर्गियों को 40-50 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से मुर्गियों में शारीरिक भार व अण्डा उत्पादन क्षमता में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि होती है
भेड़ एवं बकरियों को 150-200 ग्राम ताजा अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि एवं दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है
दतिया, बुधवार, 9 अक्टूबर 2019। पशुओं को हरे चारे की कमी दूर करने के लिए अजोला-पशुओं के लिए उत्तम हरा चारा है। इस हरे चारे को स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र में तैयार किया जा रहा है। अजोला पैदा करने के लिए किसानों को केन्द्र में तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के पशु वैज्ञानिक डॉ. रूपेश जैन ने बताया कि मानसून के अलावा वर्ष भर पशुओं को हरे चारे की कमी रहती है, जिससे पशुओं की बढ़ोत्तरी, उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस समस्या से उभरने के लिए यदि पशुपालक हरे चारे के वैकल्पिक स्रोत के रूप में अजोला की खेती करते हैं, तो उनके पशुओं को वर्ष भर हरा चारा प्राप्त होता है। अत: हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए पशुपालकों को अजोला की खेती आवश्यक रूप से करनी चाहिए।
अजोला जल सतह पर मुक्त रूप से तैरने वाली जलीय फर्न है। यह छोटे-छोटे समूह में सघन हरित गुच्छ की तरह तैरती है। भारत में मुख्य रूप से अजोला की अजोला पिन्नाटा प्रजाति पाई जाती है। यह काफी हद तक गर्मी सहन करने वाली किस्म है। यह जल में तीव्र गति से बढ़वार करती है। इसमें प्रोटीन, आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा कैरोटीन) विकास वर्धक सहायक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, फैरस, कॉपर एवं मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें उत्तम गुणवत्तायुक्त प्रोटीन एवं सूक्ष्म पोषक तत्व होने के कारण मवेशी इसे आसानी से पचा लेते हैं।
शुष्क वजन के आधार पर इसमें 20-30 प्रतिशत प्रोटीन, 20-30 प्रतिशत वसा, 50-70 प्रतिशत खनिज तत्व, 10-13 प्रतिशत रेशा, बायो-एक्टिव पदार्थ एवं बायो पॉलीमर पाए जाते हैं। इसकी उत्पादन लागत काफी कम होती है। यह औसतन एक किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर दर से प्रति सप्ताह उपज देती है। सामान्य अवस्था में यह फर्न तीन दिन में दोगुनी हो जाती है। यह जानवरों के लिए प्रतिजैविक का कार्य करती है। यह पशुओं के लिए आदर्श आहार के साथ-साथ भूमि उर्वराशक्ति बढ़ाने के लिए हरी खाद के रूप में भी उपयुक्त हैं। रिजका एवं संकर नेपियर की तुलना में अजोला से 4 से 5 गुना उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन प्राप्त होती है। यदि जैव भार उत्पादन के रूप में तुलना करें तो रिजका व संकर नेपियर की तुलना में अजोला से 4 से 10 गुना अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। अत: अजोला को जादुई फर्न अथवा सर्वोत्तम पादप अथवा हरा सोना अथवा पशुओं के लिए च्यवनप्राश की संज्ञा दी गई है।
मुर्गियों को 40-50 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से मुर्गियों में शारीरिक भार व अण्डा उत्पादन क्षमता में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि होती है। भेड़ एवं बकरियों को 150-200 ग्राम ताजा अजोला खिलाने से शारीरिक वृद्धि एवं दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है। अजोला को दुधारू पशुओं के लिए गॢमयों में हरे चारे के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गाय एवं भैंस को प्रतिदिन 2 से 3 किलोग्राम अजोला आहार के साथ दिया जा सकता है। इसी तरह बकरियों को 400 से 500 ग्राम एवं मुर्गियों को 40 से 50 ग्राम अजोला प्रतिदिन दिया जा सकता है। इस तरह पशु आहार पर होने वाले खर्चो को अजोला के माध्यम से कम किया जा सकता है।
पशुओं के लिए उत्तम हरा चारा है अजोला