मौजूदा कैलेंडर वर्ष के पहले आठ महीनों में भारत ने 48 लाख डॉलर मूल्य के 31.4 लाख किलोग्राम चाय का निर्यात किया
पाकिस्तान को निर्यात 50 प्रतिशत से अधिक घटकर 31.4 लाख किलोग्राम रहा
संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात 37.87 प्रतिशत घटकर 37.4 लाख किलोग्राम रहा
मिस्र को निर्यात 69.77 प्रतिशत की गिरावट के साथ महज 15.9 लाख किलोग्राम रहा
कजाकिस्तान को होने वाले निर्यात 16.41 प्रतिशत फिसलकर 33.1 लाख किलोग्राम रहा
ईरान को निर्यात 120 प्रतिशत तक बढ़कर 2.34 करोड़ किलोग्राम हो गया
कोलकाता, सोमवार, 28 अक्टूबर 2019। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव और संबंधों में आए खिंचाव के कारण भुगतान को लेकर बने अनिश्चितता के माहौल के बीच भारत से पाकिस्तान को होने वाले चाय निर्यात में भारी गिरावट आई है। इस साल अगस्त तक पाकिस्तान को होने वाला चाय निर्यात 50 प्रतिशत से अधिक घटकर 31.4 लाख किलोग्राम रह गया। इस दौरान ईरान किए जाने वाले निर्यात में दोगुने से अधिक की उछाल आई है जबकि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के कारण भारत से निर्यात पर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई थी। इसके अलावा निर्यातकों ने इस बार वैकल्पिक मार्ग के रूप में कजाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र का भी उपयोग रोक दिया है।
चाय बोर्ड के आँकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा कैलेंडर वर्ष के पहले आठ महीनों में भारत ने 48 लाख डॉलर मूल्य के 31.4 लाख किलोग्राम चाय का निर्यात किया जबकि 2018 की समान अवधि में भारत ने अपने पड़ोसी देश को 90.2 लाख डॉलर मूल्य के 61.7 लाख किलोग्राम चाय का निर्यात किया था। निर्यात में आई कमी को लेकर चाय निर्यातकों का कहना है कि कोई भी निर्यातक पाकिस्तान को निर्यात करने वाले के तौर पर चिह्नित नहीं होना चाहता। विशेष कर तब जबकि सीमा पर तनातनी का माहौल है और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को बार बार उछाल रहा है।
पाकिस्तान को निर्यात करने वाले एक व्यवसायी ने कहा, 'सामान्य तौर पाकिस्तानी खरीदार भुगतान से डिगते नहीं हैं और व्यापार सामान्य रहता है। हालांकि पुलवामा हमले के बाद स्थिति बदल गई। निर्यातकों पर हमले हुए। अब स्थिति और अधिक तनावग्रस्त हो चुकी है और हम इस बात को लेकर आशंकित हैं कि यदि हमने खेप भेजी तो क्या भुगतान आ पाएगा अथवा नहीं।' हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों को कड़े करते हुए पाकिस्तानी सामानों के आयात पर लगने वाले शुल्क में 200 प्रतिशत की वृद्धि कर दी थी। वहीं पाकिस्तान ने चाय पर आयात शुल्क को 11 प्रतिशत पर कायम रखा था। सामान्यतया दक्षिण भारत से सस्ती चाय पाकिस्तानी खरीदारों को बेची जाती है। निर्यातकों में शामिल सूत्रों का कहना है कि जब कभी भारत-पाकिस्तान का संबंध अत्यधिक तनावपूर्ण हो जाता है तो किसी भी तरह के कारोबारी संकट को दूर करने के लिए दूसरे देशों के माध्यम से इसका निर्यात बढ़ा दिया जाता है। इस तरह से चाय के निर्यात के लिए प्रमुख तौर पर संयुक्त अरब अमीरात के दुबई को केंद्र बनाया जाता है। इसके अलावा कजाकिस्तान और मिस्र आदि देशों के रास्ते भी निर्यात किया जाता है।
व्यापार के इस प्रारूप में भारत से चाय इनमें से किसी देश में खरीदार को चाय भेजी जाती है जहाँ से वह खरीदार उस खेप को वैसे ही सीलबंद रूप में पाकिस्तानी बंदरगाहों को भेज देता है। यहाँ से पाकिस्तान में पहले से तय खरीदार इसे प्राप्त कर लेता है। हालांकि भारतीय निर्यातक को पाकिस्तानी खरीदार की ओर से सीधे भुगतान किया जाता है और इसमें बिचौलियों की भूमिका नहीं होती है। एक निर्यातक ने कहा, 'हालांकि, इस बार दूसरे देशों के जरिये भी चाय का निर्यात नहीं हो रहा है।' निर्यातकों को भय है कि खेप का सक्रियता से नजर रखी जा रही है और माल की अंतिम बंदरगाह पर की गई आपूर्ति या अंतिम गंतव्य का पता लगाना बहुत आसान है।
चाय बोर्ड के आँकड़े से पता चलता है कि संयुक्त अरब अमीरात को जनवरी से अगस्त तक किया जाने वाला चाय निर्यात 37.87 प्रतिशत घटकर 37.4 लाख किलोग्राम रह गया जबकि मिस्र को होने वाले निर्यात में 69.77 प्रतिशत की गिरावट आई और यह महज 15.9 लाख किलोग्राम रहा। वहीं कजाकिस्तान को होने वाले निर्यात में भी कमी देखी जा रही है और यह 16.41 प्रतिशत फिसलकर 33.1 लाख किलोग्राम रहा। पाकिस्तान को किए जा रहे निर्यात के बारे में पूछने पर एक चाय उत्पादक ने कहा, 'कुछ बागान मालिकों का पाकिस्तानी खरीदारों के साथ समझौता है और इस समझौते पर सत्र से पहले ही हस्ताक्षर किए गए थे। फिलहाल पाकिस्तान को भेजी जाने वाली चाय की खेप महज उतनी ही है जितने का समझौता हुआ था।' साल 2019 के पहले आठ महीनों में भारत से ईरान को होने वाला निर्यात 120 प्रतिशत तक बढ़कर 2.34 करोड़ किलोग्राम हो गया।
उधर पाकिस्तान अपनी जरूरत पूरी करने के लिए केन्या की चाय पर भरोसा कर रहा है। वह अपने यहाँ की चाय जरूरत का 80 प्रतिशत हिस्सा केन्या से मंगाता है। साप्ताहिक चाय बाजार रिपोर्ट में कहा गया है कि केन्या के बाजार में पाकिस्तान अग्रणी बना हुआ है जिसके बाद जिसके अफगानिस्तान के खरीदारों का स्थान है। कोलंबो, मलावी या इंडोनेशिया जैसे बड़े केंद्रों में हुई नीलामी में पाकिस्तान मौजूद नहीं था।
पाकिस्तान को चाय निर्यात पड़ा ठण्डा