नवीन तकनीकों और विचारों के द्वारा देश की कृषि व्यवस्था में क्रांति लाने के प्रयास करें: राज्यपाल श्री टंडन


Lalji Tondon Governor of Madhyapradesh, Sachin Subhash Yadav Agriculture Minister of Madhyapradesh, S. Koteshwar Rao Vice Chancellor of Rajmatha Vijayaraje Scindhiya Agriculture University in Gwalior on 22 October 2019राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर का दीक्षांत समारोह सम्पन्न
ग्वालियर। नवीन तकनीकों और विचारों के द्वारा देश की कृषि व्यवस्था में क्रांति लाने के प्रयास करें। इससे देश के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने कृषि उपाधि प्राप्त छात्र-छात्राओं का आह्वान करते हुए मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019 को यह बात कही। राज्यपाल ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के षष्टम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। श्री टंडन ने समारोह में 521 विद्यार्थियों को उपाधियाँ और पाँच छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किये। समारोह में सचिन यादव, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री, मध्यप्रदेश शासन, विशिष्ट अतिथि के रूप में सुविख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. मंगला राय, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. राव, कृषि महाविद्यालय के कुलसचिव डी.एल. कोरी सहित प्रमंडल सदस्यगण आदि उपस्थित थे। 
राज्यपाल श्री टंडन ने समारोह में कुल 521 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदाय कर 5 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए। छात्रों में पीएचडी उद्यानिकी में प्रवीण कुमार सिंह गुर्जर को (फल विज्ञान) में, पीएचडी कृषि एग्रोनॉमी में आर्तिका कुशवाह एवं कृषि स्नातकोत्तर में ऐश्वर्या शर्मा, स्नातक कृषि में राहुल यादव (इंदौर) एवं उद्यानिकी में गणेश जालोदिया मंदसौर को प्रदाय किया गया। तीन विद्यार्थियों को सिरताज बहादुर सिन्हा स्मृति नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राज्यपाल श्री टंडन ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि हम परंपराओं को भूल रहे हैं। दुनिया का बाजारवाद देश पर हावी हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम कृषि के क्षेत्र में अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में अंधाधुन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं। जिसका दुष्परिणाम है कि भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है। वहीं हम दूषित खाद्य पदार्थों का उपयोग कर विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमें किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ धरती माँ की उर्वरा शक्ति को भी बचाना होगा। महँगी रासायनिक खाद की अपेक्षा जैविक खाद का उपयोग करना होगा। जैविक खाद के कारण जहाँ भूमि में अनेकों लाभदायक जीवाणु जन्म लेते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रहने के साथ-साथ उत्पादित होने वाले खाद्य पदार्थों की भी गुणवत्ता एवं स्वाद में काफी अच्छे होते हैं, जो शरीर के लिए लाभदायक हैं। जैविक खाद के उपयोग से किसानों की आय का बड़ा हिस्सा उर्वरकों की खरीदी में व्यय नहीं होगा।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि गौ माता एवं धरती माता को आज संरक्षण देने की आवश्यकता है। खेती में गाय के गोबर की खाद के उपयोग के प्रति अब देश में चेतना जागृत हो रही है। राज्यपाल श्री टंडन ने देश में हो रही सांस्कृतिक क्रांति का उल्लेख करते हुए कहा कि योग की स्वीकृति विश्वव्यापी हुई है। इसी तरह की ही क्रांति परंपरागत खेती की सफलता के लिए जरुरी है। गाय, गोमूत्र, जैविक खेती के बीच आपसी तालमेल को बढ़ाना होगा। ऐसा होने से किसान और हम सभी विभिन्न संकटों से बच जाएंगे। उन्होंने परंपरागत खेती को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में देशी नस्ल की गाय के गोबर की खाद का उपयोग सेब की फसल लेने में किया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि सेब का आकार बढऩे के साथ-साथ स्वादिष्ट होने एवं किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रसित नहीं है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में रासायनिक उर्वरक के स्थान पर गाय के गोबर से बनी खाद एवं गौमूत्र का उपयोग किया जा रहा है। गौ मूत्र कीटनाशक के रूप में भी अच्छा काम करता है। 
राज्यपाल ने कहा कि जैविक खेती में निवेश करने से जहाँ भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी वहीं समाज को शुद्ध खाद्य सामग्री भी प्राप्त होगी और किसानों को भी सही दाम मिलेंगे। जैविक खेती के उत्पादों की कीमत अन्य उत्पादों से अधिक है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि उपाधि प्राप्त करने के बाद जब वे क्षेत्र में जाएं तो लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करें। जैविक खेती के लिए किसी गाँव को गोद लेकर उस गाँव के किसानों का फसल बीमा भी कराएं।
लालजी टंडन ने कहा कि भारत का नया स्वरूप सामने आ रहा है। हमारे पूर्वजों ने जैविक खेती करने की जो विधि अपनाई थी, उस विधि को हमें भी अपनाना होगा। शुरू में परेशानी होगी, लेकिन कुछ वर्षों में इस पद्धति का उपयोग करने से फसलों की बम्पर उपज मिलेगी।


Lalji Tondon Governor of Madhyapradesh, Sachin Subhash Yadav Agriculture Minister of Madhyapradesh, S. Koteshwar Rao Vice Chancellor of Rajmatha Vijayaraje Scindhiya Agriculture University in Gwalior on 22 October 2019
किसानों को टिकाऊ और संरक्षित खेती के लिये प्रोत्साहित करना होगा: कृषि मंत्री सचिन यादव
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री सचिन सुभाष यादव ने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था का आधार है। हमें कृषि को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने कहा कि देश एवं प्रदेश में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव देखने को मिल रहा है। इसी का परिणाम है कि अतिवर्षा के कारण प्रदेश के कई जिलों में फसलें प्रभावित हुई हैं। हमें फसलों की ऐसी प्रजातियाँ पैदा करनी होगी जो कम लागत एवं कम समय में अधिक उत्पादन दे सकें। कृषि के क्षेत्र में किसानों को जल के सही प्रबंधन की भी जानकारी दी जाए, जिससे पानी के प्रत्येक बूँद का उपयोग सही तरीके से हो सके।
मंत्री श्री यादव ने टिकाऊ एवं संरक्षित खेती पर बल देते हुए कहा कि हमें किसान भाईयों को कृषि के क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले असंतुलित उर्वरक को रोकने हेतु मिट्टी परीक्षण कराने की किसानों को सलाह देनी होगी। इसके लिए हमें किसानों को टिकाऊ खेती के लिए भी प्रोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि पर ही निर्भर न रहकर फलोद्यान, मछलीपालन, पशुपालन, डेयरी जैसे व्यवसायों को भी अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि बढ़ते औद्योगीकरण एवं शहरीकरण के कारण खेती का क्षेत्रफल कम हो रहा है। हमें अनुपयोगी एवं बंजर भूमि का सही प्रबंधन कर उसे कृषि योग्य बनाना है। इसके लिए किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों के कल्याण हेतु संचालित योजनाओं की भी जानकारी देनी होगी। श्री यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में राज्य परिषद गठित करने का भी निर्णय लिया है।
मंत्री सचिन यादव ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय ने एक दशक में उल्लेखनीय प्रगति की है, इसके लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर बधाई के पात्र हैं। छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण जो शिक्षा मिली है उस शिक्षा से सीमांत एवं लघु कृषकों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आयेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के माध्यम से छात्र-छात्राओं को हमें ऐसी शिक्षा देनी है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी नाम रोशन कर सकें।


Lalji Tondon Governor of Madhyapradesh, Sachin Subhash Yadav Agriculture Minister of Madhyapradesh in a function at Rajmatha Vijayaraje Scindhiya Agriculture University in Gwalior on 22 October 2019
कृषि वैज्ञानिक एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक एवं पूर्व सचिव डेयर डॉ. मंगला राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामनाएं की। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि जो डिग्री आज उन्हें दी गई है, उसके अनुरूप देश एवं समाज की सेवा करें। उन्होंने कहा कि ज्ञान अनंत है। वह एक ऐसा धन है, इसको जितना खर्च करेंगे या बढ़ायेंगे उतना और अधिक बढ़ेगा। उन्होंने छात्र छात्राओं से आह्वान किया कि वे उपाधि के अनुरुप स्वयं की गरिमा हमेशा बनाए रखें।
कार्यक्रम के शुरू में कुलपति प्रो. एस. कोटेश्वर राव ने स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के प्रतिवेदन का वाचन करते हुए विश्वविद्यालय के तहत ग्वालियर, इंदौर, सीहोर, खंडवा एवं मंदसौर में संचालित कृषि महाविद्यालय द्वारा संचालित गतिविधियों की जानकारी दी। प्रो. राव ने बताया कि स्थापना के बाद से विश्वविद्यालय अपनी गुणवत्तापरक शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों के कारण निरंतर सफलताएं अर्जित कर रहा है। उन्होंने नयी किस्मों के विकास, किसानों की सफलताएं व वैज्ञानिकों को मिले अवार्ड के बारे में विस्तृत जानकारी दी।



कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव डी.एल. कोरी एवं डॉ. रश्मि वाजपेयी ने किया। समारोह में मंचासीन प्रमंडल सदस्यगण सर्वश्री मुन्नालाल गोयल विधायक, पूर्व कुलपति प्रो. व्ही.एस. तोमर, शिवराज शर्मा, श्रीमती सुनंदा रघुवंशी, रंजीत राणा, राजपाल सिंह, आशुतोष कुरकुटे, अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉ. मृदुला बिल्लौरे, जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. संगीता शुक्ला, पूर्व कुलपति प्रो. ए.एस. तिवारी सहित गणमान्य नागरिक, कृषि वैज्ञानिकगण, शिक्षक एवं छात्र छात्राएं व कर्मचारीगण मौजूद थे।
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो. एस. कोटेश्वर राव के दीक्षोपदेश दिया। शुरू में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डी.एल. कोरी ने बताया कि दीक्षांत समारोह में 521 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की जा रही हैं। जिसमें स्नातक स्तर के 345, स्नातकोत्तर के 159, पीएचडी के 17 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। जबकि 5 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदाय किए जा रहे हैं।