मुंबई। मानसूनी वर्षा के इस बार 25 वर्षों में सबसे अच्छी रहने से 2019-20 के खरीफ मौसम में कुल खाद्यान्न उत्पादन, पिछले पाँच वर्षों में औसत से 84 लाख टन ऊँचा हो कर 14 करोड़ 5.7 लाख टन तक पहुँचने की उम्मीद है। राष्ट्रीय बल्क हैंडलिंग कॉर्पोरेशन (एनबीएचसी) ने सोमवार, 7 अक्टूबर 2019 को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार 84 प्रतिशत क्षेत्रों में मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहा है। बाकी क्षेत्रों में बारिश अपर्याप्त रही। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2019-20 में मॉनसून में बोई गयी खाद्य फसलों का उत्पादन 14 करोड़ 5.7 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले पाँच वर्षों में औसत उत्पादन से 84 लाख टन अधिक होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल धान का क्षेत्रफल 2.80 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है। पंजाब में पिछले साल की उच्च निर्यात माँग के कारण किसानों ने धान के 20-25 प्रतिशत खेत में गैर-बासमती चावल की जगह बासमती की खेती की है।
एनबीएचसी के अनुसंधान और विकास प्रमुख हनीश कुमार सिन्हा ने एक बयान में कहा, ''बिहार, ओडिशा और कर्नाटक के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी स्तर के घटने के कारण धान के क्षेत्रफल में सुधार लाने में मदद मिली है लेकिन धान की बुवाई में देरी हुई है जिससे उपज में 2.58 प्रतिशत कमी होने की उम्मीद है।'' मक्के की खेती का क्षेत्रफल बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन बड़े पैमाने पर 'आर्मीवर्म' कीटों से प्रभावित होने के कारण उत्पादन में 5.75 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि ज्वार के खेती के क्षेत्रफल और उत्पादन में क्रमश: 4.79 प्रतिशत और 0.61 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है, जबकि बाजरे की खेती का क्षेत्रफल 2.47 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है, लेकिन इसके उत्पादन में 4.69 प्रतिशत की गिरावट होने की उम्मीद है।
दलहन के क्षेत्र में, अगस्त में व्यापक बरसात के कारण बुवाई के बढ़ने से अरहर और उड़द की खेती का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले अधिक होने की उम्मीद है। सरकार ने भी इसके पुराने भण्डारण का निपटान करना शुरू कर दिया है। अरहर खेती का क्षेत्रफल 1.69 प्रतिशत बढ़ने और उत्पादन में 21.27 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि होने की उम्मीद है। जबकि उड़द का उत्पादन 0.16 प्रतिशत कम रहने की उम्मीद है। श्री सिन्हा ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि मूँग खेती के क्षेत्रफल में 4.66 प्रतिशत की वृद्धि होगी, लेकिन मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में खेतों में बाढ़ के कारण उत्पादन में 17.23 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है।''
तिलहनों में, घरेलू बाजार में अरंडी की बेहतर कीमत की वजह से अरंडी खेती का क्षेत्रफल 5.32 प्रतिशत बढ़ने और उत्पादन में 21.07 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि होने की संभावना है। तिल और सूरजमुखी के लिए उत्पादन में क्रमश: 8.90 प्रतिशत और 2.32 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है। मूँगफली और राम तिल के उत्पादन में क्रमश: 4.93 प्रतिशत और 4.93 प्रतिशत का सुधार होने की संभावना है। सोयाबीन का क्षेत्रफल 5.68 प्रतिशत बेहतर होने की उम्मीद है, लेकिन प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण इसका उत्पादन 17.72 प्रतिशत कम होने की संभावना है।
नकदी फसलों का उत्पादन स्थिर रहने की संभावना है क्योंकि गन्ने का क्षेत्रफल 14.32 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है लेकिन उत्पादन 5.60 प्रतिशत तक घटने की संभावना है क्योंकि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों के किसानों ने अन्य फसलों का रुख किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कपास खेती का क्षेत्रफल और उत्पादन क्रमश: 4.32 प्रतिशत और 9.99 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
मानसून बेहतर से खरीफ उत्पादन 14 करोड़ 5.7 लाख टन तक पहुँचने का अनुमान: एनबीएचसी