रायसेन, शुक्रवार, 25 अक्टूबर, 2019। कृषि विज्ञान केन्द्र, रायसेन द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन के अन्तर्गत कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर के सहयोग से रबी वर्ष 2019-20 में चना फसल प्रदर्शन 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 25 कृषकों के खेतों पर, मसूर व अलसी फसल प्रदर्शन 10-20 हेक्टेयर में 25-50 कृषकों के खेतों पर किया गया है।
दलहन चना क्लस्टर का प्रदर्शन आमखेड़ा, तरावली, लिलगाँवा आदि ग्रामों में किया गया है। मसूर का प्रदर्शन ग्राम पेनगाँवा, हिनोतिया, चन्दोनीगंज में व असली का प्रदर्शन गैरतगंज व बेगमगंज विकासखण्ड के ग्राम गोरखा, कक्रुआगुलाब, उमरहरी, सेमरा ग्रामों में किया गया है।
डॉ. स्वप्निल दुबे, वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख ने बताया कि क्लस्टर प्रदर्शन के अन्तर्गत चना की उन्नत किस्म जे.जी.-12, मसूर की उन्नत किस्म आर. बी.एल.-31 व अलसी की उन्नत किस्म जे.एल.एस.-66 का प्रदर्शन कृषकों के खेतों पर किया गया है। इन दलहन क्लस्टर हेतु कृषकों का चयन कर उन्नत उत्पादन तकनीक सम्बन्धी जानकारी दी गई।
केन्द्र के वैज्ञानिक प्रदीप कुमार द्विवेदी द्वारा चने में इल्ली नियंत्रण हेतु एकीकृत कीट प्रबंधन के अन्तर्गत टी आकार की खूंटी 20-25 प्रति हेक्टेयर, फैरोमोन ट्रेप 10-12 प्रति हेक्टेयर, एन.पी.व्ही. विषाणु 250 एल.ई. प्रति हेक्टेयर, नीम तेल 2 लीटर प्रति हेक्टेयर व रासायनिक कीटनाशक के रूप में क्विनालफॉस 25 प्रतिशत ई.सी. 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या प्रोफेनोफॉस 50 प्रतिशत ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर के प्रयोग करने की तकनीकी जानकारी से अवगत कराया गया।
केन्द्र के वैज्ञानिक आलोक सूर्यवंशी द्वारा चने में उकठा नियंत्रण हेतु उकठा निरोधी प्रजातियाँ जैसे जे.जी.-16, जे.जी.-12, जे.जी.-14, जे.जी.-63 किस्मों का चयन, ट्राइकोडर्मा विरिडी से बीजोपचार 5 ग्राम प्रति किलो बीज, नीम की खली 75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर व चने के साथ अंतवर्तीय फसल में अलसी को लगाकर नियंत्रण के उपाय बताये।
वैज्ञानिक रंजीत सिंह राघव द्वारा चने में एकीकृत पोषण प्रबंधन के अन्तर्गत बुवाई के समय पोटाश खाद के उपयोग की जानकारी दी गई।