श्रीनगर, बुधवार, 16 अक्टूबर 2019। जम्मू-कश्मीर के सेब किसानों ने इस साल 9 अक्टूबर तक 4.50 लाख टन सेब का निर्यात किया है। पिछले साल की इसी अवधि में 5.79 लाख टन सेब का निर्यात हुआ था। जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद लगाये गये प्रतिबंधों को लेकर विरोध-प्रदर्शन के चलते सेब के निर्यात में इस वर्ष लगभग 1.35 लाख टन की कमी आई है।
प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच निर्यात बढऩे की उम्मीद है, जिस दौरान सेब की 70 प्रतिशत फसल का हर साल निर्यात होता है। सरकार ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर के 99 प्रतिशत क्षेत्रों में आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं है और पोस्ट पेड मोबाइल सर्विसेज भी 71 दिनों बाद 14 अक्टूबर से दोबारा शुरू की जा रही हैं। अधिकारियों ने कहा कि इससे फसल की कटाई और निर्यात में मदद मिलेगी।
कश्मीर से हर साल लगभग 20 लाख टन सेब का निर्यात किया जाता है। बागवानी उद्योग 8,000-9,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इससे रोजगार के भी अच्छे मौके बनते हैं।
आतंकवादियों ने किसानों से सेब की फसल काटने से रोका है
उत्तर और दक्षिण कश्मीर में सेब उगाने वालों ने सरकार के 5 अगस्त के निर्णय के विरोध में कटाई में देरी की है। दक्षिणी कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में आतंकवादियों ने किसानों से सेब की फसल नहीं काटने और उनके निर्देश का इंतजार करने को कहा है।
किसानों से सीधे खरीदेंगे सेब
विरोध-प्रदर्शन रोकने और किसानों से फसल काटने की गुहार करते हुए प्रशासन ने बाजार हस्तक्षेप योजना शुरू की है। इसमें घाटी के चार स्थानों पर सीधे किसानों से सेब खरीदे जाएंगे। हालांकि, योजना का अब तक मामूली असर देखने को मिला है। किसान सरकार के गुणवत्ता मानकों और घोषित कीमतों से नाखुश हैं। सरकार ने पिछले हफ्ते सेब की विभिन्न किस्मों की कीमतों में बदलाव करने का निर्णय किया। इससे किसानों के लिए इस योजना का आकर्षण बढ़ेगा।
योजना के तहत राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफैड) द्वारा शोपियाँ, श्रीनगर, अनंतनाग और सोपोर केन्द्रों द्वारा 9 अक्टूबर तक सेब के 78,800 पेटियाँ खरीदी गई हैं। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग केन्द्र से सर्वाधिक 70,000 पेटियों की खरीदारी हुई है। उत्तर कश्मीर के सोपोर में लगभग 3,700 और श्रीनगर में 2,500 पेटियाँ खरीदी गई हैं। दक्षिण कश्मीर के शोपियाँ केन्द्र से सबसे कम 2,381 पेटियाँ खरीदी गई हैं।
हम सिर्फ परेशान किसानों की मदद करना चाहते हैं
'फलों के कारोबार में एग्रीगेटर्स का एक नेटवर्क है, जो किसानों को सीधे बिक्री करने से रोकता है। हम सिर्फ परेशान किसानों की मदद करना चाहते हैं। योजना को फलों के व्यापार के दशकों तक चलने वाले विकल्प की तरह नहीं देखना चाहिए।Ó -मंजूर अहमद लोन, उद्यानिकी सचिव, जम्मू और कश्मीर।
कश्मीर में विरोध-प्रदर्शनों से सेब के निर्यात में कमी