राज्यपाल ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का किया शुभारंभ
धान की सूखा निरोधक, जैविक एवं अजैविक घटकों के प्रति सहनशील व पोषक तत्वों से भरपूर किस्में विकसित करें
नवीनतम तकनीकी पद्धति द्वारा 15 वर्षों के स्थान पर 5-6 वर्षों में ही खेतों तक नई किस्में पहुंचायें
दूबराज, जीराफूल एवं जवाफूल आदि सुगंधित किस्मों की कम होती उत्पादकता और सुगंध को बचाएं
रायपुर। कम लागत में अधिक उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर कार्य कर धान की खेती को लाभकारी बनाएं। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने शनिवार, 19 अक्टूबर 2019 को यहाँ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सभागृह में 'धान के नवीन किस्मों के शीघ्र विकास एवं बेहतर जैव विविधता उपयोग हेतु प्रजनन कार्यक्रम के आधुनिकीरण' विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के शुभारम्भ अवसर पर अपने संबोधन में यह बात कही।
राज्यपाल ने कहा कि कम लागत में अधिक उत्पादन बढ़ाने की रणनीति पर कार्य कर धान की खेती को लाभकारी बनाएं। धान की ऐसी प्रजातियाँ विकसित की जाए जो कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली हों। इसके साथ ही सूखा निरोधक, जैविक एवं अजैविक घटकों के प्रति सहनशील तथा पोषक तत्वों से भरपूर हो।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे ऐसा तंत्र विकसित करें जिससे वर्तमान में लगने वाले 15 वर्षों के स्थान पर 5-6 वर्षों में ही किसानों के खेतों तक नई किस्में पहुंच सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में प्रतिवर्ष तकनीकी के नए उत्पादों की माँग होती है। अत: कृषि वैज्ञानिकों को भी प्रासंगिक रहने की आवश्यकता है। सुश्री उइके ने कहा कि परपंरागत विधि से धान की एक किस्म तैयार करने में 10 वर्ष का समय लग जाता है और नई किस्म के बीजों को किसानों तक पहुँचने में और 5 वर्ष लग जाते हैं। इस प्रकार कुल 15 वर्षों में एक नई किस्म किसानों तक पहुँचती है, यह समय बहुत अधिक है। सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं को इस विषय पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
सुश्री उइके ने कहा कि दूबराज, जीराफूल एवं जवाफूल आदि सुगंधित किस्में हैं, जिनकी उत्पादकता कम है और उनकी सुगंध भी कम होती जा रही है। इन सुगंधित प्रजातियों की सुगंध को बनाए रखने और इनकी उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कार्यशाला को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि अनुसंधान कार्यों को न्यूनतम आर्थिक संसाधनों के अनुरूप और मानव आवश्यकताओं पर आधारित बनाने पर जोर दिया। उन्होंने इंटरनेशनल राईस रिसर्च इंस्टीट्यूट, फिलीपींस से आए वैज्ञानिकों एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से कहा कि वे चावल के अनुसंधान हेतु नए क्षेत्रों का चिन्हांकन करें। राज्यपाल ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने पर शुभकामनाएं भी दी। उन्होंने कार्यशाला पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल, राज्य सरकार के सलाहकार रमेश शर्मा, अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक संजय कटियार ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कृषि आधारित पत्रिकाओं का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में धरसींवा विधायक श्रीमती योगिता शर्मा सहित कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।